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Ambedkar Jayanti के बहाने उत्तर प्रदेश में दलित पॉलिटिक्स शुरू, जानें- राजनीतिक दलों की स्ट्रैटजी

locationलखनऊPublished: Apr 11, 2021 05:37:20 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– Dr Bhimrao Ambedkar की जयंती पर भाजपा का समरसता दिवस, सपा मनाएगी दलित दिवाली’, बसपा बेचैन, कांग्रेस डाल रही डोरे- 14 अप्रैल को Dr Bhimrao Ambedkar Jayanti की 130वीं जयंती है- भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की अपनी-अपनी तैयारी

Ambedkar Jayanti के बहाने उत्तर प्रदेश में दलित पॉलिटिक्स शुरू, जानें- राजनीतिक दलों की स्ट्रैटजी

Ambedkar Jayanti के बहाने उत्तर प्रदेश में दलित पॉलिटिक्स शुरू, जानें- राजनीतिक दलों की स्ट्रैटजी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से दलित पॉलिटिक्स (Dalit Politics) शुरू हो गई है। अंबेडकर जयंती (Ambedkar Jayanti) के बहाने सभी राजनीतिक दल दलितों को रिझाने में जुट गये हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अंबेडकर जयंती को समरसता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) इस दिन ‘बाबा साहेब वाहिनी’ गठित करेगी वहीं, कांग्रेस (Congress) कार्यकर्ता दलितों बस्तियों में लोगों को बाबा साहेब के सिद्धांतों और विचारों को बताएंगे। छोटे दल भी दलितों को साथ जोड़ने की मुहिम से जुट गये हैं। इस सबके बीच बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) की बेचैनी बढ़ना लाजिमी है। क्योंकि दलित वोटर्स पर अभी तक बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का एक छत्र ‘राज’ था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से दलित वोटर अलग-अलग दलों में बंटते गये।
उत्तर प्रदेश में करीब 22 फीसदी दलित (Dalits) हैं जो दो हिस्सों में बंटे हैं। एक, जाटव जिनकी आबादी करीब 14 फीसदी है और दूसरे गैर-जाटव दलित हैं, जिनकी आबादी करीब 8 फीसदी है। इनमें 50-60 जातियां और उप-जातियां हैं। आमतौर पर यही वोट विभाजित होता है। हाल के वर्षों में हुए चुनावों के परिणाम बताते हैं कि गैर-जाटव दलितों का बसपा से मोहभंग हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दलित वोटर बीजेपी के पाले में खड़ा दिखा है, लेकिन यह किसी भी पार्टी के साथ स्थिर नहीं रहता। अब इस वोट बैंक पर सपा और कांग्रेस की भी नजर है। बसपा के कई बड़े नेता भाजपा, सपा और कांग्रेस में हैं, गैर-जाटव वोट जिनके साथ लामबंद हो सकता है।
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भाजपा का समरसता दिवस
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अंबेडकर जयंती को समरसता दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दिन भारतीय जनता पार्टी प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी। भाजपा ने कहा कि बाबा साहेब सभी के हैं। उनका सम्मान केवल एक समुदाय तक सीमित न रहे, इसलिए भाजपा ने उनकी जयंती को समरस्ता दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है ताकि समाज का हर वर्ग इसमें शामिल रहे। अंबेडकर जयंती पर भाजपाई प्रदेश भर में रक्तदान शिविर आयोजित करेंगे। कई सेमीनार होंगे, जिनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारतीय जनता पार्टी ने ज्योतिबा फुले की जयंती (11 अप्रैल) से अंबेडकर जयंती तक टीका उत्सव मनाने का फैसला किया है।
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सपा की ‘बाबा साहेब वाहिनी’ और दलित दिवाली
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar Jayanti) की जयंती पर समाजवादी पार्टी ‘बाबा साहेब वाहिनी’ का गठन करेगी। इस संदर्भ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को सक्रिय कर असमानता-अन्याय को दूर करने तथा सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर सपा की ‘बाबा साहेब वाहिनी’ के गठन का संकल्प लेते हैं। इससे पहले एक और ट्वीट में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दलित दिवाली मनाने का आह्वान किया था। हालांकि, पत्रकारों के सवाल के जवाब में सपा मुखिया ने कहा कि नाम में क्या रखा है, नाम तो कोई भी हो सकता है, आंबेडकर दीवाली, संविधान दीवाली, समता दिवस-नाम कुछ भी रखा जा सकता है।
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बाबा साहेब के मार्ग पर चल रही कांग्रेस : अंशू अवस्थी
अंबेडकर जयंती पर कांग्रेस (Congress) पार्टी दलित बस्तियों में जाएगी और लोगों को जागरूक करेगी। कांग्रेस नेता अंशू अवस्थी ने कहा कि कांग्रेस दिन विशेष पर विश्वास नहीं करती है, बल्कि पार्टी लगातार बाबा साहेब के बताये सिद्धांतों पर चल रही है। कहा कि प्रदेश में जब-जब दलितों पर अत्याचार की बात होती है, कांग्रेस पार्टी सबसे पहले और सबसे आगे खड़ी नजर आती है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी सिर्फ औपचारिक और प्रतीकात्मक तौर पर बाबा साहेब की जयंती मना रही है जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार दलितों की आवाज उठा रहे हैं।
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