
अनन्त चतुर्थी 23 को, 25 से होंगे श्राद्ध, जानिए सभी तिथियां
लखनऊ. अनंत चतुर्दशी इस बार 23 सितंबर को पड़ रही है। anant chaturdashi के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसके बाद 25 सितंबर को पूर्णिमा पूजन के बाद pitru paksha का श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएंगा। लखनऊ के इंदिरा नगर के रहने वाले आचार्य अशोक त्रिपाठी ने बताया कि, अनंद चतुर्दशी में पूजा स्थल पर बैठकर सूत में कुमकुम, केसर और हल्दी लगाकर अनंत सूत्र तैयार किया जाता है। उसमें 14 गांठें बना कर उसे भगवान विष्णु को अर्पित कर षोडशोपचार विधि से पूजा किया जाएगा। इसके बाद सूत्र को अपने दाहिने भुजा में धारण कर प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। बाद में सूत्र का विसर्जन कर दिया जाता है।
25 से पितृपक्ष
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संस्कृत साहित्याचार्य महेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि shradh मध्यान काल में किया जाता है, इसलिए उसका मान 25 सितंबर को लेना श्रेष्ठकर रहेगा। व्रत की पूर्णिमा 24 और स्नान दान की पूर्णिमा 25 सितंबर को होगी। पंचाग के अनुसार, 24 को पूर्णिमा सुबह 6:32 बजे से शुरू होगी जबकि सूर्योदय इससे पहले 6 बजे हो चुका होगा। दूसरी ओर पूर्णिमा का मान 25 सितंबर को सुबह 7:41 तक रहेगा। इसके बाद श्राद्ध की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी। इसलिए श्राद्ध कर्म पूर्णिमा के बाद से शुरू हो पाएगा। दूसरी ओर 9 अक्टूबर को श्राद्ध अमावस्या के बाद 10 अक्टूबर से Shardiya Navratri शुरू हो जाएंगे। जहां तक श्राद्ध तिथियों का प्रश्न है तो उस में 27 सितंबर को हस्त नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि योग, 29 सितंबर और 1 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग, 2 अक्टूबर को जीवत्पुत्रिका व्रत, 3 को मातृ नवमी और सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। उन्होंने बताया कि 6 अक्टूबर, द्वादशी को संत जनों का श्राद्ध पूजन किया जाएगा।
किस तिथि में करें किसका श्राद्ध
—किसी भी माह की जिस तिथि में परिजन की मृत्यु हुई हो इस महालय में उसी संबधित तिथि में श्राद्ध करना चाहिये। कुछ ख़ास तिथियाँ भी हैं जिनमे किसी भी प्रक्रार की मृत वाले परिजन का श्राद्ध किया जाता है।
—सौभाग्यवती यानी पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गयी हो, उन नारियों का श्राद्ध नवमी तिथि में किया जाता है।
—एकादशी में वैष्णव सन्यासी का श्राद्ध, चतुर्दशी में शस्त्र,आत्म हत्या, विष और दुर्घटना आदि से मृत लोगों का श्राद्ध किया जाता है।
—इसके अतिरिक्त सर्पदंश,ब्राह्मण श्राप,वज्रघात, अग्नि से जले हुए,दंतप्रहार-पशु से आक्रमण,फांसी लगाकर मृत्य, क्षय जैसे महारोग हैजा, डाकुओं के मारे जाने से हुई मृत्यु वाले प्राणी श्राद्धपक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये। जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो उनका भी अमावस्या को ही करना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष- 24 सितंबर से 8 अक्टूबर 2018 तक
24 सितंबर 2018 सोमवार- पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 मंगलवार- प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 बुधवार- द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 गुरुवार- तृतीय श्राद्ध
28 सितंबर 2018 शुक्रवार- चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 शनिवार- पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 रविवार- षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 सोमवार -सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 मंगलवार -अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 बुधवार- नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 गुरुवार -दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 शुक्रवार- एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 शनिवार- द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 रविवार- त्रयोदशी श्राद्ध चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 सोमवार- सर्वपितृ अमावस्या
Updated on:
20 Sept 2018 03:33 pm
Published on:
20 Sept 2018 09:08 am
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