
shivpal singh yadav
विधान परिषद चुनाव 2022 की वजह से एक बार फिर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव व प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच कड़वाहट उजागर कर रही है। विधान परिषद चुनाव में कोई महत्व न मिलने से नाराज शिवपाल यादव ने एक बड़ा ऐलान किया कि, अब निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ेंगी पार्टी। विधान परिषद चुनाव तो वजह है ही साथ में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की, जिसमें शिवपाल यादव का नाम नदारद था। यह देखकर शिवपाल यादव का मूड एक बार फिर बदला। और अपने पदाधिकारियों के साथ बैठक कर नई रणनीति तैयार की। शिवपाल यादव ने कहाकि, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) अपने पूर्व के अनुभवों से सबक लेते हुए आसन्न स्थानीय निकाय का चुनाव अपने दम पर लड़ेगी।
हमारे साथ विश्वासघात हुआ
शिवपाल यादव ने कहा कि, पिछले कुछ महीने मेरे जीवन के सबसे कठिन समय थे। यह राजनीतिक धैर्य, त्याग, आत्म संयम और समाज की उम्मीदों की परीक्षा थी। आप सभी के भावनाओं और जनभावना का सम्मान करते हुए हमने खुले हृदय से सपा के साथ गठबंधन किया था, उसके प्रतिउत्तर में हमारे साथ विश्वासघात हुआ। इस घात का परिणाम यह है कि आज समाजवादी पार्टी विपक्ष में बैठी है।
राम के नाम पर नफरत की राजनीति नहीं
शिवपाल यादव ने कहा कि प्रसपा प्रगतिशील समाजवाद व समावेशी राष्ट्रवाद के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ेगी। राम के नाम पर विभाजन व नफरत की राजनीति की इजाजत किसी को नहीं है।
शिवपाल अखिलेश के बीच बढ़ रही खटास
साल 2017 से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन है। मुलायम सिंह यादव ने चुनाव 2022 से पहले दोनों के बीच मिठास पैदा कराई। भाजपा को हराने के मकसद से शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया। और अपनी पार्टी से किसी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। खुद भी वे सपा के टिकट से ही चुनाव लड़े थे। पर चुनाव के बाद शिवपाल और अखिलेश में दूरियां बढ़ती गई।
Published on:
09 Jun 2022 11:32 am
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