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UP MLC Chunav : 10 सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की, सपा-बसपा को झटका तय

- जनवरी में खाली हो रही हैं Uttar Pradesh Vidhan Parishad की 12 सीटें- MLC Chunav में सबसे अधिक फायदा बीजेपी को और सबसे अधिक नुकसान बसपा होगा- नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा व नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का कार्यकाल जनवरी में हो रहा है पूरा

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Dec 21, 2020

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यूपी विधान परिषद की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें पांच समाजवादी पार्टी की, चार भारतीय जनता पार्टी और दो बहुजन समाज पार्टी की हैं

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. 30 जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद (Uttar Pradesh Vidhan Parishad) के 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इनमें नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) व नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन (Ahmad Hasan) के नाम शामिल हैं। इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कार्यकाल भी अगले महीने पूरा हो रहा है। एमएलसी चुनाव (MLC Chunav) में सबसे अधिक फायदा बीजेपी को और सबसे अधिक नुकसान बसपा होगा। भारतीय जनता पार्टी की चार सीटें खाली हो रही हैं, लेकिन उसकी 10 सीटों पर जीत पक्की है। बसपा के हाथ से तीन सीटें जा रही हैं, लेकिन वह एक भी जीतने की स्थिति में नहीं है। वहीं, समाजवादी पार्टी पांच के बदले सिर्फ एक या दो सीटें ही जीत सकती है।

यूपी विधान परिषद की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें पांच समाजवादी पार्टी की, चार भारतीय जनता पार्टी और दो बहुजन समाज पार्टी की हैं। इसके अलावा नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी सीट रिक्त है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से उच्च सदन गये थे, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद दल-बदल कानून के तहत उनकी विधान परिषद सदस्यता निरस्त कर दी गई थी। विधायकों की संख्या व मतदान प्रक्रिया के आधार पर उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी 10 और समाजवादी पार्टी एक सीट जीत सकती है। वहीं, जोड़तोड़ की राजनीति के बूते समाजवादी पार्टी अपना दूसरा उम्मीदवार जिता सकती है। लेकिन, अगर भाजपा ने 11वां कैंडिडेट उतारा या फिर बसपा का उम्मीदवार मैदान में आया तो 12वीं सीट की लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।

उच्च सदन में 10 उम्मीदवारों को जिताने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास 11वें उम्मीदवार को जिताने भर के वोट नहीं बचेंगे वहीं, सपा बिना जोड़तोड़ के दूसरा कैंडिडेट नहीं जिता पाएगी। भाजपा और सपा दोनों की कोशिश अपने समर्थन से कैंडिडेट जिताने की होगी। बसपा अपना कैंडिडेट उतारेगी इसकी कम ही संभावना है, लेकिन राजनीति में कुछ भी कहना जल्दबाजी होता है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों रिक्त हो रही हैं। कुल रिक्त सीटों की संख्या को कुल विधायकों की संख्या से भाग करने पर आये भागफल की संख्या के बराबर एक विधान परिषद सदस्य को वोट चाहिए। उत्तर प्रदेश में कुल 402 विधान सभा सदस्य हैं और 12 विधान परिषद सीटों पर चुनाव हैं। ऐसे में 402 को 12 से भाग देने पर 33.5 आता है। इस प्रकार से यूपी की एक सीट के लिए करीब 34 विधायकों के वोट चाहिए।

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हर दो वर्ष पर चुने जाते हैं एक तिहाई सदस्य
उत्तर प्रदेश में कुल 100 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से 38 सदस्यों का विधानसभा सदस्यों द्वारा और 36 सदस्यों का निर्वाचन स्थानीय निकायों द्वारा होता है। 8 सदस्यों का चुनाव शिक्षकों द्वारा और 8 सदस्य स्नातक सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। इसके अलावा 10 विधान परिषद सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है। विधायकों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर चुने जाते हैं।


30 जनवरी को इनका खत्म हो रहा कार्यकाल
1. स्वतंत्र देव सिंह- भारतीय जनता पार्टी
2. साहब सिंह सैनी- समाजवादी पार्टी
3. डॉ. दिनेश शर्मा- भारतीय जनता पार्टी
4. लक्ष्मण प्रसाद आचार्य- भारतीय जनता पार्टी
5. अहमद हसन- समाजवादी पार्टी
6. आशु मलिक- समाजवादी पार्टी
7. रमेश यादव- समाजवादी पार्टी
8. राम जतन- समाजवादी पार्टी
9. वीरेंद्र सिंह- समाजवादी पार्टी
10. धर्मवीर सिंह अशोक- बहुजन समाज पार्टी
11. प्रदीप कुमार जाटव- बहुजन समाज पार्टी
12. नसीमुद्दीन सिद्दीकी- (दलबदल कानून के तहत सदस्यता छीन ली गई थी)

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