
गाजीपुर, बनारस, इलाहाबाद, लखनऊ और बिजनौर सहित कई जिलों में फूल के खेती करने वाले किसान परेशान हैं कि करें तो क्या करें
ग्राउंड रिपोर्ट
गाजीपुर. लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश में फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं। ओलावृष्टि के बाद बची फसल अब खेतों में ही बर्बाद हो रही है। मंडी में भी फूलों को कोई पूछने वाला नहीं है। लॉकडाउन के चलते महानगरों और कस्बों में फूल की खपत लगभग शून्य हो गई है। गाजीपुर, बनारस, इलाहाबाद, लखनऊ और बिजनौर सहित कई जिलों में फूल के खेती करने वाले किसान परेशान हैं कि करें तो क्या करें, क्योंकि इसी फसल के सहारे उसने कई उम्मीदें पाल रखी थीं, जो अब टूटती नजर आ रही हैं। गाजीपुर का फुल्लनपुर इलाका फूलों की खेती के हब के तौर पर जाना जाता है। क्षेत्र में 200 से अधिक किसान परिवार इसकी खेती करते हैं। यहां के लोग पूरी तरह से फूलों की खेती पर ही निर्भर हैं। बेहतर फसल होने के बावजूद किसान इसे बेचने के बजाय फेकने को मजबूर हैं। कुछ ऐसा ही हाल फूल बेचने वालों का भी है। मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिये हैं। अब लॉकडाउन बढ़ते ही किसानों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
फुल्लनपुर के उमेश के खेतों में गुलाब और गेंदे की मनचाही फसल लहलहा रही है। वह रोजाना खेत भी जाते हैं और फूलों की तोड़ाई भी करते हैं, लेकिन बाजार में इन फूलों का कोई खरीदार नहीं। हजारों रुपये के फूल इसी तरह रोज सड़ रहे हैं। फूलों की खेती के लिये मशहूर फूल्लनपुर के किसानों की लॉक डाउन में यही कहानी है। फूल उगाने वाले किसान उमेश कुमार कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से स्थिति बहुत खराब है। रोजाना जो 500 से 600 की बिक्री छोटा किसान भी कर लेता था, वह अब 50 रुपये भी मुश्किल हो गया है। मंदिर से लेकर सभी धर्मस्थल बंद हैं और वैवाहिक लग्न भी सारे कैंसिल हो चुके हैं। इसके चलते मंडी सुनसान पड़ी है और किसान बर्बाद हो चुका है।
किसानों का गुजारा मुश्किल
फूल के किसान सुनील यादव ने बताया कि वे लोग गुलाब, गेंदा, कुंद समेत विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करते हैं। फूल पौधों पर लगे हुए हैं, पर समझ नहीं आ रहा कि इन्हें तोड़े या पेड़ से ही झड़ जाने दें, क्योंकि मौजूदा वक्त में फूलों का कोई खरीदार नहीं हैं। सरकार से अपेक्षा है कि फूल के किसानों के लिए भी कुछ करे। चंदन कुमार ने भी कहा लॉकडाउन में हम जैसे किसानों को सरकारी मदद की दरकार है, नहीं तो बर्बाद हो जाएंगे। अब तक सीजन पर लाखों के फूल बेचने वाली अर्चना कहती हैं कि कोरोना के चलते सारी लग्न कैंसिल हो चुकी है। आमदनी कुछ नहीं हो रही। गुजारा मुश्किल हो गया है।
जिला उद्यान अधिकारी बोले
जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया कि जिले में करीब 200 किसान विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करते हैं। पंजीकृत और गैर-पंजीकृत मिलाकर यह संख्या 500 से कहीं ज्यादा हो सकती है। लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा फूल के किसानों के लिए कोई ऐसा निर्देश नहीं दिया गया है। अगर भविष्य में राहत के लिये कुछ आता है तो उनके लिये जरूर कुछ किया जाएगा।- शैलेंद्र दुबे, जिला उद्यान अधिकारी गाजीपुर
सब्जी उगाने वाले किसान भी परेशान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सब्जी उगाने वाले किसान परेशान हैं। सबसे अधिक वे किसान हैं जो कच्ची खेती कर रोज का रोज फसल तोड़ने और उससे पैसे कमाने का काम करते हैं। लॉकडाउन के डर से किसान सब्जी मंडी नहीं जा पा रहा है और जो जा रहा है उसकी बिक्री नहीं हो पा रही है, क्योंकि खरीददार सब्जी मंडियों में नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे किसान की लागत तो दूर मंडी तक सब्जी पहुंचाने की ढुलाई का खर्च भी नहीं निकल पा रहे हैं। नतीजन, आगे सब्जी की बुआई प्रभावित होगी। इसे लेकर किसानों की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अपील की है कि जिला, तहसील, ब्लॉक स्तर पर सब्जी क्रय केन्द्र खुलवाने की पहल करें, ताकि सब्जी किसान इस संकट से उबर सके।
Updated on:
12 Apr 2020 09:41 am
Published on:
11 Apr 2020 03:28 pm
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