
कोडीन युक्त कफ सिरप रैकेट का पर्दाफाश, नए-नए लिंक आए सामने (फोटो सोर्स : Police Media Cell )
Cough Syrup Scam ED Raids Exposed: उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में फैले कोडीन युक्त कफ सिरप तस्करी के बड़े रैकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकंजा कसने वाली कार्रवाई लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। 36 घंटे से ज्यादा समय से चल रही इस छापेमारी में लखनऊ सहित कुल 25 ठिकानों को खंगाला जा रहा है। जांच में अब तक करीब 1000 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार के संकेत मिले हैं, जिसने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी चौंका दिया है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि यह रैकेट कोडीन युक्त कफ सिरप, टैबलेट, कैप्सूल और इंजेक्शन की गैर-कानूनी बिक्री और तस्करी से जुड़ा है। इन दवाओं को मेडिकल उपयोग की आड़ में तैयार कर, बड़े पैमाने पर नशे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। रैकेट की पहुंच उत्तर प्रदेश, झारखंड, गुजरात और अन्य राज्यों तक फैली हुई है।
ईडी ने झारखंड की राजधानी रांची में शुभम जायसवाल की फर्म शैली ट्रेडर्स के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया।
इनके जरिए 450 करोड़ रुपये का फर्जी टर्नओवर दिखाया गया। यह लेन-देन असल में कफ सिरप की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग को छिपाने के लिए किया गया था। जांच एजेंसियों के अनुसार, कागजों पर दवाओं का व्यापार दिखाया जाता था, जबकि असल में इन्हें नशे के बाजार में खपाया जा रहा था।
वाराणसी स्थित शुभम जायसवाल के घर से हाई-एंड लग्जरी सामान बरामद हुआ है। इनमें शामिल हैं, प्रादा और गुच्ची के डिजाइनर बैग,राडो और ऑडेमर्स पिगुएट जैसी महंगी घड़ियां, कुल कीमत 1.5 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है, ईडी को शक है कि यह सब कफ सिरप तस्करी से हुई काली कमाई से खरीदा गया।
इस रैकेट में एक बड़ा नाम सामने आया है-बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह। ईडी की जांच में पता चला है कि आलोक सिंह ने राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके में महलनुमा घर बनवाया है। केवल कंस्ट्रक्शन पर करीब 5 करोड़ रुपये खर्च। जमीन की कीमत अलग से आंकी जा रही है। घर में महंगा इंटीरियर और लग्जरी सुविधाएं अधिकारियों को शक है कि यह पूरी संपत्ति नशे के कारोबार से कमाई गई अवैध रकम से बनाई गई।
जांच में सामने आया है कि शुभम जायसवाल, बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह,सहारनपुर के विभोर राणा, विशाल सिंह इन सभी ने मिलकर एक संगठित सिंडिकेट खड़ा किया था। सभी के घरों में करोड़ों रुपये का इंटीरियर कार्य हुआ है। अब ईडी ने सरकार से अधिकृत वैल्यूअर से इन संपत्तियों का मूल्यांकन कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि आगे जब्ती की कार्रवाई की जा सके।
जांच में यह भी सामने आया है कि मेसर्स आर्पिक फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड कोडीन बेस्ड कफ सिरप के अवैध व्यापार और डायवर्जन में शामिल थी। कंपनी के ठिकानों से करोड़ों रुपये का बेहिसाब लेन-देन मिला,यह कंपनी अपनी सहयोगी इकाई मेसर्स इधिका लाइफ साइंसेज के साथ मिलकर तस्करी कर रही थी। दवाओं को वैध सप्लाई दिखाकर, असल में उन्हें अवैध बाजार में भेजा जा रहा था।
ईडी की टीमें पिछले 36 घंटे से लगातार कार्रवाई कर रही हैं। छापेमारी जिन शहरों में चल रही है, उनमें शामिल हैं,लखनऊ,वाराणसी,जौनपुर,सहारनपुर,रांची,अहमदाबाद लखनऊ में विशेष रूप से आरोपी आलोक सिंह से जुड़े ठिकानों पर जांच तेज है। कई दस्तावेज, डिजिटल डाटा और बैंक खातों की पड़ताल की जा रही है।
इस पूरे मामले की जड़ें 11 अक्टूबर की एक गिरफ्तारी से भी जुड़ी हैं। लखनऊ के कृष्णानगर थाना क्षेत्र में कोडीन युक्त सिरप और अन्य नशीली दवाओं की कालाबाजारी के आरोप में दीपक मानवानी को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसके दो साथी सूरज मिश्रा, प्रीतम सिंह को भी पुलिस ने पकड़ लिया। हालांकि, इस गिरोह का एक सदस्य आरुष सक्सेना अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।
अधिकारियों का मानना है कि यह मामला उत्तर भारत के सबसे बड़े फार्मा-नशा रैकेट्स में से एक हो सकता है। ईडी को शक है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी और बड़े नाम सामने आएंगे। कई और फार्मा कंपनियों की भूमिका उजागर हो सकती है। करोड़ों की और संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं
Published on:
13 Dec 2025 01:56 pm
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