
दिल्ली ब्लास्ट के बाद डॉक्टर मॉड्यूल की गहरी साजिश उजागर (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )
Doctor-Terror Nexus Exposed: दिल्ली मेट्रो स्टेशन विस्फोट ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को एक व्यापक और संगठित आतंकी मॉड्यूल के सामने ला खड़ा किया है। यह मॉड्यूल किसी आम संदिग्धों का नहीं, बल्कि मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े उन सफेदपोश लोगों का था, जिनके बारे में सामान्य हालात में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। जैसे-जैसे देश की खुफिया एजेंसियां जांच में गहराई तक उतर रही हैं, कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इस नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा कानपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, मेवात और कश्मीर से जुड़ा हुआ है।
सबसे ताजा और महत्वपूर्ण खुलासा डॉ. आरिफ मीर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. मुजम्मिल के बीच हुई बातचीत और उनकी गतिविधियों से जुड़ा है। ये बातचीत धमाके की अंतिम डमी तैयार होने के बाद अत्यधिक बढ़ गई थी, जो साफ संकेत देता है कि ये तीनों सिर्फ संपर्क में ही नहीं थे, बल्कि किसी बड़ी साजिश के सूत्रधार भी थे।
जांच एजेंसियों ने जैसे ही आरिफ के डिजिटल उपकरणों को खंगाला, एक सप्ताह के भीतर हुई इनकी बातचीत का पूरा पैटर्न सामने आया। इस अवधि में, 39 वाइस कॉल,43 व्हाट्सएप कॉल,200 से अधिक संदेश,23 डिलीटेड मैसेज कुल मिलाकर लगभग 82 कॉल और भारी मात्रा में चैटिंग के रिकॉर्ड मिले हैं। यह संख्या सामान्य संपर्क से काफी अलग है, जिस वजह से सुरक्षा एजेंसियों के शक ने और जोर पकड़ लिया है। फोरेंसिक विशेषज्ञों को डिलीटेड संदेश सफलतापूर्वक मिल गए हैं, जिनकी डिकोडिंग जारी है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि धमाके की डमी तैयार होने के बाद इनकी डिजिटल गतिविधियाँ असामान्य रूप से बढ़ गई थीं। यह वही समय था जब दिल्ली में विस्फोट की साजिश को अंतिम रूप दिया जा रहा था।
जांच के दौरान सबसे महत्वपूर्ण सुराग कानपुर शहर से मिला। शाहीन की गिरफ्तारी के बाद आरिफ को अंदेशा हो गया था कि अब एजेंसियों की नजर उसी पर टिक चुकी है। यही कारण था कि वह कानपुर छोड़कर कश्मीर भागने की फिराक में था। जब दिल्ली स्पेशल सेल और यूपी एसटीएफ ने आरिफ के अशोक नगर स्थित फ्लैट पर छापेमारी की तो पैक्ड सूटकेस,ट्रैवल बैग,यात्रा में इस्तेमाल होने वाला आपातकालीन सामान,कपड़े,टॉय लेटरी,डिजिटल डिवाइस।बरामद हुए। ये सभी संकेत बताते हैं कि वह कभी भी फरार होने की तैयारी में था। कमरे की स्थिति देखकर टीम ने तुरंत समझ लिया कि फरारी अंतिम चरण में थी।
आरिफ ने अपनी सुरक्षा और संपर्क गोपनीयता के लिए एक नहीं, बल्कि तीन मोबाइल फोन इस्तेमाल किए.दो आई फोन,एक की-पैड फोन,एजेंसियों ने दो फोन बरामद कर लिए हैं, जबकि तीसरे का IMEI और नंबर उसकी डायरी से मिला है। यह फोन अभी तक बरामद नहीं हो सका है, जो इस नेटवर्क की डिजिटल परतों को और जटिल बनाता है। लैपटॉप में भी कई पर्सनल और संदिग्ध डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें कोड भाषा में लिखे नोट्स, विदेशी नंबर, और संभवतः लॉजिस्टिक से जुड़े निर्देश शामिल हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि भले ही डॉ. शाहीन ने GSVM मेडिकल कॉलेज कानपुर को काफी समय पहले छोड़ दिया था, लेकिन उसकी आवाजाही कॉलेज और उसके आसपास लगातार बनी रहती थी।
रिपोर्ट के अनुसार वह नियमित रूप से कुछ डॉक्टरों और जूनियर स्टाफ से मिलती थी।कॉलेज में उसकी परिचितों की मजबूत पकड़ थी । इन्हीं मुलाकातों के दौरान उसका संपर्क डॉ. आरिफ से और मजबूत हुआ । आरिफ ने पूछताछ के दौरान कॉलेज से जुड़े कुछ नाम भी बताए हैं जिन्हें शाहीन की गतिविधियों की जानकारी थी। इसी आधार पर शुक्रवार की सुबह कानपुर पुलिस और एजेंसी टीम कॉलेज पहुंची। हालांकि अधिकतर जिम्मेदारों ने बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि कई डॉक्टर अब भी रडार पर हैं।
जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनमें सबसे गंभीर है शाहीन की ट्रेनिंग और उसकी भूमिका। खुफिया सूत्रों के अनुसार शाहीन पाकिस्तान में ट्रेनिंग ले चुकी है। उसे स्पेशल “हनी ट्रैप यूनिट” में शामिल किया गया।वह कई जिलों में मिलिट्री हेल्थ कैंप में डॉक्टर बनकर जाती थी । जवानों और अधिकारियों से संपर्क बनाती।संवेदनशील जानकारी निकालने का प्रयास करती।डेटा ट्रांसफर और डिजिटल जासूसी करती।मॉड्यूल उसका उपयोग नेटवर्क विस्तार के लिए करता था।सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि शाहीन नशे की लत में भी फंस गई थी और मॉड्यूल ने इसका फायदा उठाया।
दिल्ली स्पेशल सेल को जैसे ही पुख्ता इनपुट मिला कि आरिफ कानपुर छोड़कर कश्मीर भागने वाला है, टीम तुरंत कानपुर पहुंची।दो दिनों तक उसके मूवमेंट,मिलने-जुलने वालों।लोकेशन।कॉलिंग पैटर्न।पर निगरानी रखी गई। जब पुष्टि हो गई कि वह भागने की तैयारी में है, तो उसे तत्काल हिरासत में लेकर दिल्ली रवाना किया गया।अधिकारियों के अनुसार यदि कुछ घंटे भी देर होती, तो मॉड्यूल की कड़ी हाथ से निकल सकती थी।
आरिफ के लैपटॉप, मोबाइल, और डायरी से मिले सबूतों में शामिल हैं:
शहर के कम से कम छह इलाकों में ड्रोन सर्विलांस,मोबाइल टावर डंप,इलेक्ट्रॉनिक वॉच,गुप्त तकनीकी यूनिट तैनात कर दी गई हैं। लोकल पुलिस को पूरे ऑपरेशन में शामिल नहीं किया गया है ताकि कोई भी जानकारी संदिग्धों तक न पहुंचे।
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Published on:
15 Nov 2025 02:01 pm
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