
Electricity bill
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. यूपी का चार सरकारी बिजली कम्पनियों (Power supply company) के लिए ख़ुशख़बर है। वे अब उप्र के बाहर अन्य राज्यों के ग्राहकों को बिजली बेचकर मुनाफ़ा कमा सकेंगी। इसी तरह उप्र का ग्राहक यदि अपने प्रदेश की बिजली कम्पनी से नाखुश है, तो वह अब सिम की तरह किसी दूसरी कंपनी का चयन कर बिजली सप्लाई ले सकता है। अब उसे एक कंपनी के एकाधिकार से परेशान होना नहीं पड़ेगा। वह अपने घर, दुकान, व्यवसाय, दफ्तर इत्यादि के लिए देश की किसी भी विद्युत कंपनी का चयन कर सकता है। जहां ग्राहक को सस्ती व बेहतर सुविधाएं मिलें, वहां वह बिना किसी दबाव या परेशानी के रुख कर सकता है। दरअसल, केंद्र सरकार ने बजट में बिजली अधिनियम, 2003 में संशोधन की योजना बनाई है, जिसके तहत नियामक की मंजूरी के बाद कोई भी विद्युत कंपनी किसी भी क्षेत्र में अपनी बिजली सप्लाई कर सकेगी। इससे मौजूदा बिजली वितरण कंपनियों का एकाधिकार खत्म होगा है। निजी क्षेत्र के डिस्कॉम (डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी) देश के सभी इलाकों में बिजली सप्लाई कर सकेंगे। ग्रिड एक होने से इसमें कोई समस्या भी नहीं आएगी।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम (UPRVUN), उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL), उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL), यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPTCL) जैसी सरकारी संस्थाएं बिजली वितरण करती हैं। ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में कुछ अन्य कंपनियां भी बिजली सप्लाई करती हैं। नए नियम के तहत यह कंपनियां देश के अन्य राज्यों में भी अपनी बिजली सप्लाई कर सकेंगी। साथ ही अन्य राज्यों की कंपनियां यूपी में आकर अपनी सेवाएं भी दे सकेंगी। विधेयक के अनुसार, इसमें दो या उससे अधिक डिस्कॉम को एक ही इलाके में पंजीकरण और बिजली सप्लाई करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। साथ ही किसी एक क्षेत्र में मौजूदा बिजली खरीद करार को सभी डिस्कॉम साझा करेंगी और वे अलग से बिजली खरीदने का करार भी कर सकेंगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ फैसले से नाखुश-
कंपनियों के एकाधिकार का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, कंप्टीशन को बढ़ावा देकर उपभोक्ताओं को विकल्प उपलब्ध कराने की जरूरत है। उपभोक्ताओं को मनचाही वितरण कंपनी चुनने का विकल्प देने का खाका तैयार होगा।। इस फैसले से एक ओर जहां उपभोक्ता खुश हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ इससे नाराज है। संघ का मानना है कि निजी बिजली कंपनियां प्रदेश में आने के बाद बिना किसी निवेश किए सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का उपयोग करेंगी। वह केवल मुनाफा वाले औद्योगिक व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और सरकारी कंपनियां घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को घाटा उठाकर बिजली देने पर मजबूर हो जाएंगी।
Published on:
05 Feb 2021 08:31 pm
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