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Atal Bihari Vajpayee Death : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कालजयी रचनाएं जिन्हें लोग आज भी करते हैं याद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी Death Update : दूध में दरार पड़ गई, कदम मिलाकर चलना होगा, जैसी रचनाएं आज भी लोग बड़े उत्साह से हैं पढ़ते.

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Aug 16, 2018

saharanpur news

atal bihari vajpayee

लखनऊ. देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद नाजुक है और पूरा देश उनके लिए दुआएं करने में लगा हुआ। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक, दिल्ली के एम्स अस्पताल का दौरा कर अटल बिहारी वाजपेयी का हाल जान रहे हैं। वहीं आज जब पूरा देश उनकी नाजुक हालत की जानकारी से गमजदा है, तो उनकी कविताओं लोगों को जहन में आ रही हैं, जो सकारात्मकता का प्रतीक हैं और जिन्हें अटल जी ने अपने अंदाज से अमर कर दिया है। जब-जब वे इन कविताओं को किसी भी मंच से सुनाते थे तो लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते थे। उनमें से टॉप 3 कविताएं निम्न हैं-

1. दूध में दरार पड़ गई-

खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया.
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है.
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई.

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता.
बात बनाएं, बिगड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.

2. कदम मिलाकर चलना होगा-

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.

3. मनाली मत जइयो-

मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में.

जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में.

जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में.

जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में.

जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में.

मनाली तो जइहो.
सुरग सुख पइहों.
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में.