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सरकारी आवासों में फ्री बिजली उड़ाने वालों को लेना होगा अपना इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन, राज्यपाल ने दिए कड़े निर्देश

विश्वविद्यालयों द्वारा अधिकतम बिजली भुगतान को देखते हुए राज्यपाल (कुलाधिपति) आनंदीबेन पटेल ने इस गंभीरता से लिया। जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालयों के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम से ही बिजली कनेक्शन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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लखनऊ

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Jyoti Singh

May 12, 2022

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उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय के सरकारी आवासों में रहकर फ्री बिजली उड़ाने वालों के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके मुताबिक, अब से इन विश्वविद्यालय के सरकारी आवासों में रहने वालों को खुद के नाम पर बिजली कनेक्शन लेना होगा। ऐसा करने के पीछे की वजह बिजली का खूब दुरुपयोग होना बताया जा रहा है। जिसे देखते हुए ये फैसला लिया गया। दरअसल, अभी तक विश्वविद्यालयों के नाम से लिए गए कनेक्शन से ही ज्यादातर आवासों में बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही नाम-मात्र का भुगतान होने से विश्वविद्यालयों को भारी-भरकम बिजली का बिल चुकाना पड़ रहा है।


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राज्यपाल के निर्देश पर पावर कारपोरेशन ने लिया फैसला

बता दें, विश्वविद्यालयों द्वारा अधिकतम बिजली भुगतान को देखते हुए राज्यपाल (कुलाधिपति) आनंदीबेन पटेल ने इस गंभीरता से लिया है। जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालयों के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम से ही बिजली कनेक्शन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। राज्यपाल के निर्देश के बाद पावर कारपोरेशन के प्रबंधक निदेशक ने सभी डिस्काम के प्रबंध निदेशकों को विश्वविद्यालय परिसर में कैंप लगाकर निजी नाम से कनेक्शन देने की बात कही है। पिछले दिनों राज्य विश्वविद्यालयों व संबंधित संस्थानों की समीक्षा के दौरान यह तथ्य संज्ञान में आने पर कुलाधिपति द्वारा कुलपतियों व निदेशकों को व्यवस्था ठीक करने के निर्देश देते हुए कहा गया था कि सरकारी आवास में रहने वाले अपने-अपने नाम से बिजली कनेक्शन लें लेकिन ज्यादातर ने अपने नाम से कनेक्शन नहीं लिया।


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बड़े पैमाने पर बने सरकारी आवासों में रह रहे अधिकारी से लेकर कर्मचचारी

गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 29 विश्वविद्यालयों और संस्थानों के परिसर में बड़े पैमाने पर बने सरकारी छोटे-बड़े आवासों में अधिकारी से लेकर कर्मचचारी और अध्यापक रह रहे हैं। इतना ही नहीं वह विश्वविद्यालय के बिजली कनेक्शन से ही अपने आवास में भी बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उन्हे अधिक से अधिक मात्र कुछ सौ रुपए ही बिजली बिल देना पड़ता है। लेकिन बिजली का खर्च ज्यादा से ज्यादा किया जाता है। इससे सारा बोझ विश्वविद्यालयों पर पड़ जाता है। जिसे देखते हुए अब यह कदम उठाए गए हैं।