मेट्रो बदलेगा हज़रतगंज की सूरत
मौजूदा समय में हज़रतगंज क्षेत्र में मेट्रो निर्माण में किया जा रहा है। यहां की सूरत बिगड़ी हुई है। एलएमआरसी ने यह फैसला लिया है कि वह अपना काम पूरा होने के बाद हजरतगंज का सौंदर्यकरण कर इसे एलडीए को हैंडओवर करेंगे। हजरतगंज का अंडरग्राउंड स्टेशन दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित राजीव चौक स्टेशन जैसा होगा। हज़रतगंज रोड और मार्किट को एलएमआरसी संवरेगा। यहां क्रॉसिंग, स्पेशल लाइटिंग, मैटेलिक बेंच, म्यूजिकल फाउंटेन, टेक्सटाइल पाथ आदि का निर्माण किया जाएगा। यह कार्य दिसंबर 2018 तक करने का निर्णय लिया गया है। एलएमआरसी ने इसके लिए डिज़ाइन का थ्रीडी व्यू भी माँगा ताकि नए स्वरुप को सम्बंधित विभाग से अप्र्रूव कराया जा सके।
मौजूदा समय में हज़रतगंज क्षेत्र में मेट्रो निर्माण में किया जा रहा है। यहां की सूरत बिगड़ी हुई है। एलएमआरसी ने यह फैसला लिया है कि वह अपना काम पूरा होने के बाद हजरतगंज का सौंदर्यकरण कर इसे एलडीए को हैंडओवर करेंगे। हजरतगंज का अंडरग्राउंड स्टेशन दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित राजीव चौक स्टेशन जैसा होगा। हज़रतगंज रोड और मार्किट को एलएमआरसी संवरेगा। यहां क्रॉसिंग, स्पेशल लाइटिंग, मैटेलिक बेंच, म्यूजिकल फाउंटेन, टेक्सटाइल पाथ आदि का निर्माण किया जाएगा। यह कार्य दिसंबर 2018 तक करने का निर्णय लिया गया है। एलएमआरसी ने इसके लिए डिज़ाइन का थ्रीडी व्यू भी माँगा ताकि नए स्वरुप को सम्बंधित विभाग से अप्र्रूव कराया जा सके।
कायम रहेगा गंज का इतिहास
हजरतगंज का सौंदर्यकरण करते समय सबसे बड़ी चुनौती होगी इसके इतिहास और आर्किटेक्चर को बचाए रखना। सौंदर्यकरण कराते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी दुकान के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जाए। मौजूदा स्वरूप को ही निहारा जाएगा।
हजरतगंज का सौंदर्यकरण करते समय सबसे बड़ी चुनौती होगी इसके इतिहास और आर्किटेक्चर को बचाए रखना। सौंदर्यकरण कराते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी दुकान के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जाए। मौजूदा स्वरूप को ही निहारा जाएगा।
आठ साल पहले गंज का हुआ था कायाकल्प
8 साल पहले 2008-09 में एलडीए ने बसपा सरकार के दौरान हजरतगंज मार्केट को संवारने का काम किया था। उस दौरान हजरतगंज के मिलेजुले वास्तु से छेड़छाड़ करने की जगह सभी दुकानों और शोरूम को एक ही रुप में बदला था। तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि इसका स्वरूप दिल्ली के कनॉट प्लेस जैसा होगा। यहां भूमिगत केबल की मदद से पूरे मार्केट से तारों का जाल भी खत्म किया गया था। क्रीम और काले रंग से दिखने वाला हजरतगंज इन दिनों बीमार सा दिख रहा है। इसको वापस दोस्त करने की जिम्मेदारी लखनऊ मेट्रो ने उठाई है।
8 साल पहले 2008-09 में एलडीए ने बसपा सरकार के दौरान हजरतगंज मार्केट को संवारने का काम किया था। उस दौरान हजरतगंज के मिलेजुले वास्तु से छेड़छाड़ करने की जगह सभी दुकानों और शोरूम को एक ही रुप में बदला था। तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि इसका स्वरूप दिल्ली के कनॉट प्लेस जैसा होगा। यहां भूमिगत केबल की मदद से पूरे मार्केट से तारों का जाल भी खत्म किया गया था। क्रीम और काले रंग से दिखने वाला हजरतगंज इन दिनों बीमार सा दिख रहा है। इसको वापस दोस्त करने की जिम्मेदारी लखनऊ मेट्रो ने उठाई है।
अभी सिर्फ आगरा और कानपुर मेट्रो पर हामी
लखनऊ मेट्रो के अलावा कानपुर मेट्रो और आगरा मेट्रो का नया डीपीआर तैयार कर प्रदेश सरकार को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। वहीं गोरखपुर,वाराणसी, इलाहाबाद और मेरठ शहर में मेट्रो के चलने पर अभी असमंजस बना हुआ है। दरअसल नई मेट्रो पॉलिसी आने के बाद वाराणसी मेट्रो के डीपीआर को बदलने के लिए कहा गया था और गोरखपुर, इलाहाबद, मेरठ जैसे शहरों में मेट्रो चलाने के बजाए ट्रैफिक कण्ट्रोल के लिए वैकल्पिक तरीकों पर विचार किया जा रहा है। नई मेट्रो पॉलिसी में कहा गया है कि टायर थ्री शहर यानी जहां जनसंख्या 20 लाख से कम है वहां पर मेट्रो से पहले अन्य विकल्पों पर ध्यान दिया जाए।
क्या होती है लाइट मेट्रो
लाइट मेट्रो में पैसेंजर ढोने की क्षमता काफी कम होती है और इसके निर्माण में मीडियम मेट्रो के मुकाबले 20 प्रतिशत से भी कम खर्च आता है। श्रीधरन ने कहा कि नयी मेट्रो पालिसी में साफ़ दर्शाया गया है कि मेट्रो प्रपोजल बनाने से पहले ये ज़रूर सुनिश्चित कर लें की शहर में मेट्रो की ज़रुरत है की नहीं। यदि उन शहरों में अन्य विकल्पों से ट्रैफिक कंट्रोल किया जा सकता है तो फिलहाल वहां मेट्रो ना चलाई जाए। एक्सपर्ट की टीम भी गोरखपुर में फिलहाल ग्राउंड सर्वे कर रही है। फिलहाल गोरखपुर में मेट्रो चलाए जाने पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। यही हाल वाराणसी का भी है। श्रीधरन ने इस बात की संभावनाएं जताईं कि इन दोनों शहरों में लाइट मेट्रो भी चलाई जा सकती है। बतादें मौजूदा समय में दिल्ली में हैवी मेट्रो और अन्य शहरों में मीडियम मेट्रो का सञ्चालन हो रहा है।
लाइट मेट्रो में पैसेंजर ढोने की क्षमता काफी कम होती है और इसके निर्माण में मीडियम मेट्रो के मुकाबले 20 प्रतिशत से भी कम खर्च आता है। श्रीधरन ने कहा कि नयी मेट्रो पालिसी में साफ़ दर्शाया गया है कि मेट्रो प्रपोजल बनाने से पहले ये ज़रूर सुनिश्चित कर लें की शहर में मेट्रो की ज़रुरत है की नहीं। यदि उन शहरों में अन्य विकल्पों से ट्रैफिक कंट्रोल किया जा सकता है तो फिलहाल वहां मेट्रो ना चलाई जाए। एक्सपर्ट की टीम भी गोरखपुर में फिलहाल ग्राउंड सर्वे कर रही है। फिलहाल गोरखपुर में मेट्रो चलाए जाने पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। यही हाल वाराणसी का भी है। श्रीधरन ने इस बात की संभावनाएं जताईं कि इन दोनों शहरों में लाइट मेट्रो भी चलाई जा सकती है। बतादें मौजूदा समय में दिल्ली में हैवी मेट्रो और अन्य शहरों में मीडियम मेट्रो का सञ्चालन हो रहा है।
मार्च 2019 तक एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक मेट्रो
मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने बताया कि लखनऊ मेट्रो का संचालन और नार्थ – साउथ कॉरिडोर पर आगे का निर्माण तेजी से हो रहा है। इसे मार्च 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंडरग्राउंड मेट्रो का काम सितंबर 2018 तक पूरा हो जाएगा हालांकि बिजली के कुछ काम बाद में किए जाएंगे।
मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने बताया कि लखनऊ मेट्रो का संचालन और नार्थ – साउथ कॉरिडोर पर आगे का निर्माण तेजी से हो रहा है। इसे मार्च 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंडरग्राउंड मेट्रो का काम सितंबर 2018 तक पूरा हो जाएगा हालांकि बिजली के कुछ काम बाद में किए जाएंगे।
मार्च में दूसरी लाइन पर शुरू होगा काम
लखनऊ मेट्रो के एमडी कुमार केशव ने बतया कि लखनऊ मेट्रो की दूसरी लाइन ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर यानी चारबाग से वसंत कुज पर काम अगले साल मार्च 2018 से शुरू हो सकता है। दरअसल नई मेट्रो पॉलिसी आने के बाद इस रुट का डीपीआर बदलने की कवायद की गई थी। डीपीआर बन चुका है और दिल्ली मेट्रो को फाइनल स्टडी के लिए भेजा है। उसके बाद इसे प्रदेश सरकार के पास अनुमति के लिए भेजा जाएगा। अगर अनुमति मिल जाती है तो इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 महीने का समय लगेगा। सब कुछ सही रहा तो मार्च 2018 से नए रूट पर कार्य शुरु कर दिया जाएगा।
लखनऊ मेट्रो के एमडी कुमार केशव ने बतया कि लखनऊ मेट्रो की दूसरी लाइन ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर यानी चारबाग से वसंत कुज पर काम अगले साल मार्च 2018 से शुरू हो सकता है। दरअसल नई मेट्रो पॉलिसी आने के बाद इस रुट का डीपीआर बदलने की कवायद की गई थी। डीपीआर बन चुका है और दिल्ली मेट्रो को फाइनल स्टडी के लिए भेजा है। उसके बाद इसे प्रदेश सरकार के पास अनुमति के लिए भेजा जाएगा। अगर अनुमति मिल जाती है तो इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 महीने का समय लगेगा। सब कुछ सही रहा तो मार्च 2018 से नए रूट पर कार्य शुरु कर दिया जाएगा।
बिना डीपीआर मंजूर हुए काम करने की मांगी अनुमति
जानकारी देते हुए मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने बताया कि हम प्रदेश सरकार से गुजारिश करेंगे कि जब तक मेट्रो निर्माण की मंजूरी प्रक्रिया में है तब तक प्रारंभिक कार्य करने की अनुमति दी जाए। प्रारंभिक कार्य में पेपर वर्क के अलावा भूमि अधिग्रहण जैसे कार्य किए जा सकते हैं। इनमें काफी समय लगता है। मेट्रो मैन ने कहा कि इन कार्यों को पहले करने से निर्माण कार्य में समय बचेगा। जिन और शहरों में मेट्रो का प्रपोजल फाइनल स्टेज पर है या मंजूरी के लिए रुका हुआ है वहां भी ऐसे कार्यों करने की अनुमति दी जाए।
जानकारी देते हुए मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने बताया कि हम प्रदेश सरकार से गुजारिश करेंगे कि जब तक मेट्रो निर्माण की मंजूरी प्रक्रिया में है तब तक प्रारंभिक कार्य करने की अनुमति दी जाए। प्रारंभिक कार्य में पेपर वर्क के अलावा भूमि अधिग्रहण जैसे कार्य किए जा सकते हैं। इनमें काफी समय लगता है। मेट्रो मैन ने कहा कि इन कार्यों को पहले करने से निर्माण कार्य में समय बचेगा। जिन और शहरों में मेट्रो का प्रपोजल फाइनल स्टेज पर है या मंजूरी के लिए रुका हुआ है वहां भी ऐसे कार्यों करने की अनुमति दी जाए।