हड़ताल के चलते प्रदेश के जिले आजमगढ़, सहारनपुर, गाजियाबाद, मेरठ और वाराणसी में सुबह ही स्वास्थ्यकर्मियाें ने एम्बुलेंस हैंड ब्रेक लगाकर खड़ी कर दी। शनिवार और रविवार का लॉकडाउन हाेने की वजह से समस्या और अधिक गंभीर बन गई। इस हड़ताल का लगभग पूरे प्रदेश में ही असर पड़ा और लाेगाें काे खासी परेशानी उठानी पड़ी। लाेग एम्बुेंस सेवा के लिए फोन घुमाते रहे लेकिन समय से मदद नहीं मिल सकी। यह अलग बात है कि गंभीर दुर्घटनाओं में सेवाओं काे बहाल रखा गया।
ये है पूरा मामला दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में एम्बुलेंस प्रबंधन करने वाली एजेंसी ने नई भर्ती के लिए विज्ञापन दिया है। इस विज्ञापन के आने के बाद अब पुराने कर्मचारियाें काे अपनी नौकरी खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है। स्वास्थ्यकर्मियाें के संगठऩ का कहना है कि उन्हाेंने कोरोना काल में भी अपनी जान पर खेलकर सेवाएं दी हैं। ऐसे में अब उन्हे हटा देना गलत है उन्ही की सेवाएं निरंतर रखी जाएं। एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतीश कुमार का कहना है कि नई कंपनी के आने पर करीब 1200 कर्मचारियों की नौकरी दांव पर है और नई कंपनी मानदेय भी कम दे रही है। पुरानी कंपनी 13,700 रुपये दे रही थी जबकि नई कंपनी 10,700 रुपये ही देगी। इसी बात काे काे लेकर कर्मचारी संगठऩ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। उन्हाेंने कहा कि संगठन ने पहले ही हड़ताल की चेतावनी दे दी थी 24 अप्रैल से संगठन शांतिपूर्वक तरीके से हड़ताल कर रहा था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हाे रही थी। अपनी आवाज काे मजबूती से उठाने के लिए उन्हे हड़ताल करनी पड़ी है।