
Torrential Downpours Create Flood‑Like Conditions, Administration in High‑Alert Mode Photo source: Patrika
UP Weather Alert : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। विशेषकर तराई के इलाकों में मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद जैसे जिलों में सोमवार को ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। इन इलाकों में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश के तराई और दक्षिणी हिस्सों में जुलाई के पहले पंद्रह दिनों में अच्छी मानसूनी बारिश हुई थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश की गति धीमी पड़ गई थी। अब एक बार फिर से पश्चिमी यूपी के तराई इलाकों में बादलों की गर्जना के साथ भारी बारिश शुरू हो गई है। इससे निचले इलाकों में जलभराव, फसल क्षति और सड़कों पर अव्यवस्था की स्थिति बनने लगी है।
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं बागपत, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, बरेली और आसपास के क्षेत्रों में भी मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा 56 जिलों में आकाशीय बिजली गिरने की भी आशंका जताई गई है। लोगों को सलाह दी गई है कि बिजली चमकने के दौरान खुले स्थानों पर खड़े न हों और सुरक्षित आश्रय स्थल पर चले जाएं।
बारिश की तीव्रता को देखते हुए कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, विशेष रूप से गंगा, यमुना, घाघरा और शारदा नदी के किनारे बसे जिलों में प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। गांवों में जलभराव से जनजीवन प्रभावित हुआ है।
लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती और बलरामपुर जिलों में बहने वाली नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन ने इन जिलों में नावों और राहत सामग्री की व्यवस्था पहले से ही दुरुस्त कर रखी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है।
प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और तहसील अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतें। राजस्व, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग की संयुक्त टीमें गठित की गई हैं जो हालात की निगरानी कर रही हैं। जिलों में राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है।
लगातार बारिश से किसानों की फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। धान की रोपाई वाले क्षेत्रों में अत्यधिक जलभराव के कारण पौधों का सड़ना शुरू हो गया है। वहीं कुछ क्षेत्रों में बाढ़ से फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। कृषि विभाग ने सर्वे की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि क्षति का आकलन कर मुआवजा दिया जा सके।
कई जिलों में जिला प्रशासन ने स्कूलों को बंद करने पर विचार करना शुरू कर दिया है, खासकर जहां जलभराव की स्थिति गंभीर हो गई है। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए संबंधित बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) और डीआईओएस (जिला विद्यालय निरीक्षक) को निर्देश दिए जा चुके हैं।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे जरूरी कार्य होने पर ही घरों से बाहर निकलें। किसी भी आपात स्थिति में तत्काल 112 या जिला नियंत्रण कक्ष से संपर्क करें। बाढ़ और बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता फैलाने का अभियान भी शुरू किया गया है।
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Updated on:
21 Jul 2025 01:07 pm
Published on:
21 Jul 2025 11:55 am
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