लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष का ध्यान नहीं रखा। पीड़ित पक्ष की सुनी नहीं गई। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है। जमानत रद करने की याचिका पर फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुनाया है। हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों द्वारा हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
यह भी पढ़ें
प्रदेश सरकार का दावा सीवर प्वांइट बनें सेल्फी प्वांइट, नमामि गंगे ने नदियों की संस्कृति को किया पुनर्जीवित
क्या बोले राकेश टिकैत राकेश टिकैत ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका रद्द किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ठीक काम करती है, यदि काम करने दिया जाए। आशीष मिश्रा को एक हफ्ते का समय है तो सरेंडर करना चाहिए।'' इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर टिकैत ने कहा कि वह इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं। कोर्ट कोर्ट को कह सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पूरा देश मान रहा था कि गलत हुआ था। उन्होंने कहा, ''संसद से बड़ा कोर्ट है। जब कोर्ट अपनी पावर का इस्तेमाल करेगा तो देश ठीक चलेगा। परिवारों ने खटखटाया था सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों ने उच्च न्यायालय के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि यह फैसला कानून की नजर में सही नहीं है क्योंकि सरकार द्वारा कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं की गई है। हालांकि इससे पहले अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने आशीष मिश्रा की जमानत रद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
यह भी पढ़ें