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ललितपुर में बारिश के साथ गिरे बड़े-बड़े ओले, चना, मटर, मसूर, आदि की फसलें खराब होने की आशंका

locationलखनऊPublished: Jan 09, 2022 10:49:58 am

Weather update यूपी समेत ढेर सारे जिलों में पिछले करीब एक सप्ताह से खराब मौसम के चलते लगातार बारिश हो रही है। कई इलाकों में ओलावृष्टि भी हुई है। जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। हाल ही में कई इलाकों में हुई ओलावृष्टि से चना, मटर, मसूर, दलहन जैसी फसलों को खतरा उत्पन्न हो गया है।

ललितपुर में बारिश के साथ गिरे बड़े-बड़े ओले, चना, मटर, मसूर, आदि की फसलें खराब होने की आशंका

ललितपुर में बारिश के साथ गिरे बड़े-बड़े ओले, चना, मटर, मसूर, आदि की फसलें खराब होने की आशंका

ललितपुर. weather update यूपी समेत ढेर सारे जिलों में पिछले करीब एक सप्ताह से खराब मौसम के चलते लगातार बारिश हो रही है। कई इलाकों में ओलावृष्टि भी हुई है। जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। हाल ही में कई इलाकों में हुई ओलावृष्टि से चना, मटर, मसूर, दलहन जैसी फसलों को खतरा उत्पन्न हो गया है। ओलावृष्टि से फसलें खराब होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि कृषि विभाग ने इलाके के किसानों के लिए खराब मौसम के चलते एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें फसलों की सुरक्षा के उपाय बताए गए हैं।
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आधे घंटे तक गिरे बड़े-बड़े ओले

मिली जानकारी के अनुसार जनपद में पिछले करीब एक सप्ताह से मौसम खराब चल रहा है। जिसके चलते पूरे जनपद में रुक रुक कर और लगातार बारिश हो रही है। इस बारिश के साथ कई इलाकों में छिटपुट मात्रा में ओलावृष्टि हुई है तो कई इलाकों में बड़ी मात्रा में ओलावृष्टि हुई है। जिन इलाकों में ओलावृष्टि हुई है उनमें तालबेहट, जखौरा, बार बांसी, महरौनी, मडावरा, पाली, धौर्रा आदि क्षेत्र शामिल हैं। जहां चने के आकार के ओले गिरे है। जिनमें से बांसी बार महरौनी के बिल्ला आदि क्षेत्रों में ज्यादा मात्रा में ओलावृष्टि हुई है। यहां के लोगों ने बताया कि यहां पर बड़े-बड़े ओले करीब आधे घंटे तक गिरे। इस इलाके के किसानों की फसलों को ज्यादा खतरा उत्पन्न हो गया है।
ओलावृष्टि से किसान चिंतित

इस इलाके में हुई हुई चना मटर मसूर दलहन जैसी फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना है, हालांकि इस बारिश से और ओलावृष्टि से गेहूं आदि की फसलों को कोई नुकसान नहीं है बल्कि उन्हें पानी की आवश्यकता है। लेकिन कई फसलों में पानी दिया जा चुका है और हमें पानी की कोई आवश्यकता नहीं है जिनके खराब होने की स्थिति बनी हुई है। जिस कारण आधे जनपद से अधिक के किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। क्योंकि किसान लगातार भीषण पड़ रही ठंड के बावजूद अपने खेतों में पानी देने का काम कर रहा है। साथ ही फसलों की रखवाली भी कर रहा है।
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फसलें खराब हुई तो किसान की आर्थिक स्थिति होगी खराब

और इस तरह कि खराब मौसम के चलते यदि फसलें खराब हो जाती है तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि अगर फसलें खराब हो जाती है तो उनकी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती है क्योंकि जनपद की करीब 80 से 85 फीसद अर्थव्यवस्था सिर्फ खेती पर टिकी हुई है।
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