25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हेट स्पीच मामले में सीएम योगी पर नहीं चलेगा केस, सुप्रीम कोर्ट से राहत

हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया। प्रदेश सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं।  

2 min read
Google source verification
yogi.jpg

CM Yogi

हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया। प्रदेश सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी फरवरी 2018 में मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। फिर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। आज सेवानिवृत्त हो रहे सीजेआई एनवी रमण, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने आज इस मामले में फैसला सुनाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि एक लोकतांत्रिक देश में असली ताकत अगर किसी के पास होती है तो वो मतदाता ही होते हैं।

हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया

याचिकाकर्ता के वकील फुजैल अहमद अय्यूबी ने हाईकोर्ट के समक्ष रखे गए मुद्दों में से एक का सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख किया था। इसमें लिखा गया था कि क्या सरकार धारा 196 के तहत आपराधिक मामले में ऐसे व्यक्ति के लिए आदेश पारित कर सकती है जो उसी बीच राज्य का मुख्यमंत्री चुना जाता है और अनुच्छेद 163 के तहत कार्यकारी प्रमुख है। वकील ने कहा था कि, हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया।

यह भी पढ़ें - सीएम योगी के ओएसडी की सड़क हादसे में मौत, पत्नी की हालत गंभीर

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, एक और मुद्दा है

इस पर पीठ ने पूछा, एक और मुद्दा है। एक बार जब आप निर्णय के अनुसार योग्यता पर चले जाते हैं और सामग्री के अनुसार, यदि कोई मामला नहीं बनता है तो मंजूरी का सवाल कहां है। अगर कोई मामला है, तो मंजूरी का सवाल आएगा। अगर कोई मामला ही नहीं है तो मंजूरी का सवाल कहां है। अय्यूबी ने कहा,ए मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के कारण ही केस में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है।

यह भी पढ़ें -यूपी सरकार ने टमाटर फ्लू पर जारी की एडवाइजरी

इस मामले में कुछ बचा ही नहीं - वकील मुकुल रोहतगी

यूपी सरकार का पक्ष रखते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि, इस मामले में कुछ बचा ही नहीं है। सीएफएसएल के पास सीडी भेजी गई थी और पाया गया कि उसके साथ छेड़छाड़ हुआ था। साथ ही याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है हाईकोर्ट ने उस पर ध्यान दिया है।

2007 में गोरखपुर में हुआ था दंगा

याचिकाकर्ता परवेज परवाज का कहना था कि, तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद 2007 में गोरखपुर में दंगा हुआ था। इसमें कई की जान चली गई थी। साल 2008 में दर्ज एफआईआर की राज्य सीआईडी ने कई साल तक जांच की। उसने 2015 में राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। याचिका में कहा गया कि, मई 2017 में राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। जब राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार किया, तब तक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे। ऐसे में अधिकारियों की तरफ से लिया गया यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है।