
विक्रांत वीर को मिली लखनऊ डीसीपी सेंट्रल की जिम्मेदारी, चर्चित आईपीएस अनिरुद्ध कुमार सिंह भेजे गए इटावा 28 वीं वाहिनी पीएसी (फोटो सोर्स : Whatsapp )
IPS Vikrant Veer: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में शुक्रवार देर रात एक बार फिर तबादला एक्सप्रेस दौड़ी। गृह विभाग ने चार आईपीएस अधिकारियों के तबादले करते हुए कई जिलों और महकमों में फेरबदल किया। लखनऊ कमिश्नरेट में भी बड़ा बदलाव किया गया है , डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव को उनके पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह अब आईपीएस विक्रांत वीर को लखनऊ का नया डीसीपी सेंट्रल बनाया गया है। इसके साथ ही, आईपीएस अनिरुद्ध कुमार सिंह जो कुछ समय पहले सीआईडी (क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) में तैनात थे, को 28 वीं वाहिनी पीएसी इटावा का सेनानायक (Commandant) नियुक्त किया गया है। वहीं आईपीएस अनिल कुमार सिंह और आशीष श्रीवास्तव,दोनों को अब पुलिस अधीक्षक, सुरक्षा मुख्यालय (Security Headquarters, Lucknow) की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में हुए इस बदलाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजधानी की केंद्रीय क्षेत्र (Central Zone) में कानून व्यवस्था और वीआईपी मूवमेंट का दबाव सबसे अधिक रहता है। नई जिम्मेदारी पाने वाले आईपीएस विक्रांत वीर एक सख्त और अनुशासित अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं। वे पहले आगरा, मुरादाबाद और बाराबंकी जैसे जिलों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं। अपराध नियंत्रण और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में उनकी भूमिका सराही गई है।
पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ के सेंट्रल जोन में हाल के दिनों में बढ़ते विवादों, सड़क अपराधों और पुलिस की साख को लेकर कुछ शिकायतें सामने आई थीं। संभवतः इन्हीं कारणों से डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव का तबादला किया गया है।
इस तबादले सूची में सबसे ज्यादा चर्चा में आईपीएस अनिरुद्ध कुमार सिंह का नाम है। हाल ही में उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे कथित रूप से एक व्यापारी से ₹20 लाख की रिश्वत मांगते दिखाई दे रहे थे। वीडियो सामने आने के बाद विभागीय जांच शुरू की गई थी, और उन्हें सीआईडी मुख्यालय में संबद्ध कर दिया गया था। अब उन्हें इटावा में 28 वीं वाहिनी पीएसी का सेनानायक बनाकर भेजा गया है। हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह तबादला “रूटीन प्रक्रिया” का हिस्सा है, लेकिन राजनीतिक और पुलिस हलकों में इसे अनुशासनात्मक संतुलन का हिस्सा माना जा रहा है।
लखनऊ कमिश्नरेट से हटाए गए आशीष श्रीवास्तव और वरिष्ठ आईपीएस अनिल कुमार सिंह ,दोनों को पुलिस अधीक्षक (सुरक्षा मुख्यालय) बनाया गया है। सुरक्षा मुख्यालय में यह दोनों अधिकारी वीआईपी सुरक्षा, संवेदनशील कार्यक्रमों और राज्य स्तरीय सुरक्षा प्रबंधन की निगरानी करेंगे। अनिल कुमार सिंह इससे पहले कई जिलों में एसपी और एसएसपी के रूप में कार्य कर चुके हैं। वे अपने शांत और रणनीतिक नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं।
लखनऊ कमिश्नरेट प्रणाली की स्थापना 2020 में की गई थी, जिसमें शहर को चार प्रमुख जोनों , सेंट्रल, ईस्ट, वेस्ट और नॉर्थ में बांटा गया है। डीसीपी सेंट्रल का क्षेत्र सबसे संवेदनशील माना जाता है क्योंकि इसमें विधानसभा, सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, और उच्च न्यायालय की बेंच जैसे महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान आते हैं। इसलिए यहां तैनाती को “विश्वास और जिम्मेदारी” का प्रतीक माना जाता है।
गृह विभाग की ओर से जारी तबादला आदेश शुक्रवार देर रात आया। आदेश पर हस्ताक्षर पुलिस मुख्यालय के कार्मिक अनुभाग से जारी किए गए। आदेश में लिखा गया- “राज्य शासन के निर्णयानुसार निम्नलिखित आईपीएस अधिकारियों का तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण एवं तैनाती की जाती है।” यह आदेश जारी होते ही पुलिस महकमे में हलचल मच गई और रात भर अधिकारियों के बीच चर्चा का माहौल बना रहा।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पुलिस महकमे में कई स्तरों पर सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार या लापरवाही की शिकायत मिलने पर “तुरंत कार्रवाई” की जाएगी। इस तबादले को उसी दिशा में एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि सरकार “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति पर कायम है।
तबादले के बाद पुलिस महकमे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कुछ अधिकारियों का मानना है कि यह रूटीन रोटेशन है, जबकि कुछ इसे हाल की घटनाओं से जोड़कर देख रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि डीसीपी सेंट्रल का तबादला किसी भी कमिश्नरेट में बड़ा फैसला होता है। संभवतः यह कदम प्रशासनिक संतुलन के लिए उठाया गया है। वहीं पुलिस कर्मचारियों के संघ ने इसे “सकारात्मक बदलाव” बताया है। उनका कहना है कि नई जिम्मेदारी से विभाग में ऊर्जा और पारदर्शिता दोनों आएंगी।
विक्रांत वीर 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।उन्होंने कानपुर, बरेली,और आगरा में विभिन्न पदों पर कार्य किया है।विक्रांत वीर अपनी सख्त कार्यशैली, अनुशासनप्रिय रवैये और फील्ड में सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति के बाद लखनऊ के सेंट्रल जोन में पुलिसिंग को लेकर नई रणनीति अपनाई जा सकती है, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन और स्थानीय अपराध नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाएगी।
हाथरस कांड में निलंबित एसपी विक्रांत वीर बहाल, शासन ने दी सेवा में वापसी की अनुमति
हाथरस कांड में निलंबित किए गए आईपीएस अधिकारी विक्रांत वीर को शासन ने सेवा में पुनः बहाल कर दिया है। विक्रांत वीर वर्ष 2014 बैच के अधिकारी हैं, जिन्हें सितंबर माह की शुरुआत में निलंबित किया गया था। विक्रांत वीर को पहले उन्नाव से स्थानांतरित कर हाथरस का पुलिस अधीक्षक (SP) बनाया गया था, लेकिन 2020 में हुई दलित युवती की संदिग्ध मौत और दुष्कर्म की घटना के बाद उनका नाम विवादों में आ गया था। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में पुलिस प्रशासन की गंभीर चूकें बताई थीं। इसी रिपोर्ट के आधार पर विक्रांत वीर सहित पांच पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था।
निलंबित अधिकारियों में पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक जगवीर सिंह, और हेड मोहर्रिर महेश पाल शामिल थे। मुख्यमंत्री ने उस समय मामले से जुड़े पीड़ित परिवार, आरोपियों, और संबंधित पुलिसकर्मियों के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट कराने के भी आदेश दिए थे, ताकि जांच पूरी तरह पारदर्शी रहे। विभागीय समीक्षा और अनुशासनिक जांच पूरी होने के बाद शासन ने अब विक्रांत वीर को सेवा में लौटने की अनुमति दी है। सूत्रों के अनुसार, गृह विभाग ने माना कि निलंबन अवधि में जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अधिकारी को अब कार्य पर लौटने दिया जा सकता है।
Updated on:
11 Oct 2025 09:15 am
Published on:
11 Oct 2025 09:09 am
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