scriptघर की दहलीज पर रख पाते कदम, उससे पहले ही निकल गया दम, अलग-अलग ट्रेनों में गई 13 की जान | Many people dying in shramik special train before reaching home | Patrika News

घर की दहलीज पर रख पाते कदम, उससे पहले ही निकल गया दम, अलग-अलग ट्रेनों में गई 13 की जान

locationलखनऊPublished: May 28, 2020 04:30:14 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

– श्रमिक ट्रेनों से अब तक प्रदेश में 21 लाख से अधिक कामगार एवं श्रमिक आ चुके हैं.

Shramik train

Shramik train

लखनऊ. लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों व कामगारों को अपने घर पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से हजारों श्रमिक ट्रेनों का परिचालन जारी है, लेकिन अव्यवस्था व खाने पीने के पर्याप्त बंदोबस्त न होने के कारण कई श्रमिकों का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हो रहा है। इनमें वह लोग भी शामिल हैं, जो पहले से ही किसी न किसी बीमारी से घिरे हुए थे। एक मामले में तो आठ माह की मासूम की भी जान चली गई है। यूपी के वाराणसी, बलिया, प्रयागराज, कानपुर व लखनऊ जैसे शहरों के रेलवे स्टेशनोंं पर ट्रेनों से कई श्रमिकों के शव उतारे गए। 27 मई को वाराणसी पहुंचने तक श्रमिक ट्रेन में सफर कर रहे सह यात्रियों को पता ही नहीं लगा कि उनमें से दो श्रमिकों की मौत हो चुकी है। ट्रेन को साफ-सफाई के लिए जब यार्ड में भेज दिया गया तब जाकर सफाई कर्मियों ने इसका खुलासा किया। कई मामलों की असल वजह अब भी तलाशी जा रही है, लेकिन ट्रेनों का विलंब से चलना, खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था न होना और भीषण गर्मी जैसी वजहों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। श्रमिकों का यह भी कहना है कि ट्रेन ऐसी-ऐसी जगहों पर रोकी गई जहां आसपास कुछ भी खाने-पीने को नहीं था। सरकार ने पैदल, साइकिल, बसों, टैंकरों के माध्यम से सफर कर रहे श्रमिकों की पीड़ा का संज्ञान लेते हुए श्रमिक ट्रेनें शुरू की थी। यूपी में अब तक 21 लाख से अधिक कामगार एवं श्रमिक वापस आ भी चुके हैं, लेकिन कुछ के लिए इन ट्रेनों से घर लौटना भी किसी जंग जीतने से कम नहीं रहा। दुर्भाग्यवश बीते कुछ दिनों में एक दर्जन से ज्यादा मजदूर इन श्रमिक ट्रेनों में सफर करते हुए ही यह जंग हार गए।
ये भी पढ़ें- यूपी कैबिनेट मंत्री ने राजा भैया से की मुलाकात, जनसत्ता पार्टी अध्यक्ष ने दिया यह बयान

28 मई- इटावा- नई दिल्ली से पश्चिम बंगाल जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार 51 वर्षीय महिला की मौत हई गई। मौत के बाद महिला का कोरोना सैंपल भी लिया गया है । महिला के दामाद ने आरोप लगाया है कि रेलगाड़ी में हालात बिगड़ने के बाद उसने हेल्पलाइन पर काॅल किया, लेकिन मदद मिलने में विलंब होने से उनकी मौत हो गई।
27 मई- वाराणसी- श्रमिक स्पेशल ट्रेन 01770 में यात्रा कर रहे दो यात्री बुधवार सुबह मृत पाए मिले। ट्रेन मुंबई से चलकर वाराणसी के मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर पहुंची थी। सभी यात्री ट्रेन से उतर चुके थे और ट्रेन को साफ-सफाई के लिए यार्ड में भेज दिया गया था। इसी दौरान रेलवे कर्मचारियों ने एक 20 वर्षीय व एक 50 वर्षीय श्रमिक को शवों को बरामद किया गया। दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
ये भी पढ़ें- बनारस में मिले आठ नए कोरोना मरीज, एक पुलिस जवान व स्वास्थकर्मी भी पॉजीटिव

27 मई- बलिया – जिले में सूरत से हाजीपुर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में मंगलवार शाम को एक व्यक्ति का शव मिला। बलिया में मिले मृतक की पहचान बिहार में सारण निवासी भूषण सिंह (58) के रूप मं हुई। वहीं एक दूसरे मामले में मडगाव से प्रवासियों को लेकर दरभंगा (बिहार) जा रही श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन में मंगलवार को एक श्रमिक बीमार मिला। शोभरन कुमार (28) नामक श्रमिक की हालत नाजुक होने पर उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां बुधवार को उसकी मौत हो गई।
25 मई- प्रयागराज- अहमदाबाद से पटना जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सोमवार की रात एक यात्री की मौत हो गई। मृतक के साथ उसकी पत्नी और तीन छोटे बच्चे भी ट्रेन में सवार थे। बताया जा रहा है कि प्रयागराज जंक्शन के पहले ही यात्री की तबीयत बिगड़ने लगी थी। रात में जब ट्रेन जंक्शन पर प्लेटफार्म नंबर पांच पर पहुंची, तो केंद्रीय चिकित्सालय की एक महिला चिकित्सक ने मरीज को जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।
ये भी पढ़ें- कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने ट्विटर अकाउंट से हटाया पार्टी का नाम

25 मई- कानपुर- मुंबई से बिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में अचानक हालत बिगड़ने से आठ माह के मासूम की मौत हो गई और उसे गोद में लिये मां दुलारती रही। परिवार मुंबई से सीतामढ़ी बिहार जा रहा था, लेकिन रास्ते में अचानक मासूम की तबीयत बिगड़ गई, उसे उल्टी-दस्त होने लगे। आगरा में बच्चे को दवा देकर ट्रेन रवाना की गई, लेकिन कानपुर पहुंचते-पहुंचते बच्चे ने मां की गोद में दम तोड़ दिया।
24 मई- कानपुर- रविवार को एक नहीं बल्कि पांच शव श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उतारे गए। इनमें दो महिलाओं भी शामिल थीं। सभी लोग अलग-अलग ट्रेनों से यात्रा कर रहे थे। अलग-अलग ट्रेनों में मौत के बाद एक शव कानपुर में, तीन उन्नाव में व एक शव चिरगांव स्टेशन पर उतारा गया। कोरोना जांच निगेटिव आने के बाद शवों को सरकारी खर्चे पर भिजवाया गया।
9 मई- लखनऊ- गुजरात के भावनगर से बस्ती जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में नौ मई उस वक़्त दहशत फैल गयी जब एक साथी श्रमिक की अचानक मौत हो गयी। अमौसी रेलवे स्टेशन पर श्रमिकों ने इसकी सूचना रेलवे को दी जिसके बाद चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को रोका गया और युवक के शव को ट्रेन से उतारा गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो