
बसपा सुप्रीमो ने कहा- बसपा ही है हाशिए पर पड़े समुदायों की सच्ची हितैषी, 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं से पूरी ऊर्जा लगाने का आह्वान (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )
Mayawati Speech: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों के चरित्र में राजनीतिक ईमानदारी का घोर अभाव है। मायावती ने दावा किया कि केवल बसपा ही एक ऐसी पार्टी है जो हाशिए पर पड़े वर्गों, वंचितों और बहुजन समाज के अधिकारों के लिए सच्चे मन से संघर्षरत है।
लखनऊ में उत्तर प्रदेश इकाई की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा का लक्ष्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम करना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में अपनी पूरी ऊर्जा और संसाधन झोंक दें।
अपने संबोधन में मायावती ने कहा कि बसपा का मूल उद्देश्य "राजनीतिक सत्ता को मास्टर कुंजी" के रूप में हासिल करना है ताकि समाज के कमजोर वर्गों को न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि उस सोच के खिलाफ है जो गरीब, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और महिलाओं को सशक्त होने से रोकती है। बसपा की विरासत सामाजिक और आर्थिक मुक्ति के लिए है, और हम इसे आगे बढ़ाते रहेंगे।
मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि (9 अक्टूबर) पर लखनऊ में हुए राज्य स्तरीय आयोजन की ऐतिहासिक सफलता पर सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की स्वैच्छिक भागीदारी ने यह साबित किया कि बसपा का जनाधार मजबूत और जीवंत है। लोग अपनी मेहनत की कमाई से ट्रेन, निजी बसों, ट्रैक्टरों, छोटे वाहनों और पैदल तक कार्यक्रम में पहुंचे। यह बसपा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने इस कार्यक्रम की सफलता से घबराकर यह आरोप लगाया कि बसपा ने भीड़ जुटाने के लिए सरकारी बसों का इस्तेमाल किया। यह आरोप उनकी हताशा और तुच्छ राजनीति का उदाहरण है,” उन्होंने कहा।
बसपा प्रमुख ने इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार का आभार भी व्यक्त किया कि उसने बसपा द्वारा दी गई एक लिखित मांग को स्वीकार किया है। इसमें कहा गया था कि बसपा शासनकाल में बनाए गए स्मारकों, पार्कों और पर्यटन स्थलों से टिकट बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग उनके रखरखाव के लिए किया जाए। यह बसपा की ईमानदार सोच और जिम्मेदारी का प्रमाण है कि हमने अपने शासन में बनाए गए स्थलों के संरक्षण की बात की, जबकि अन्य सरकारें उन्हें उपेक्षित छोड़ देती हैं,” मायावती ने कहा।
मायावती ने समाजवादी पार्टी को “जातिवादी मानसिकता” से ग्रस्त बताया। उन्होंने कहा कि सपा सरकार के दौरान बसपा शासन में बने स्मारकों, जिलों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के नाम बदल दिए गए थे, जो बहुजन समुदाय के संतों, गुरुओं और समाज सुधारकों के सम्मान में रखे गए थे। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने अपनी जातिवादी सोच के चलते बसपा के योगदानों को मिटाने की कोशिश की। उन्होंने न केवल हमारे कार्यों की उपेक्षा की, बल्कि बहुजन समाज की विरासत का भी अपमान किया।”
मायावती ने यह भी कहा कि यदि सपा सरकार ने ऐसा व्यवहार नहीं किया होता, तो उसका नाम “इतिहास के काले पन्नों” में दर्ज नहीं होता। उन्होंने 2 जून 1995 के ‘राज्य अतिथि गृह कांड’ का उल्लेख करते हुए कहा कि वह सपा के राजनीतिक चरित्र का स्थायी दाग है।आज भी उनमें पश्चाताप की कमी है। वे छल, द्वेष और बेईमानी की राजनीति से ऊपर नहीं उठ पाए हैं,” मायावती ने कहा।
मायावती ने स्पष्ट कहा कि बसपा छल, कपट, हेराफेरी या गुप्त समझौतों की राजनीति नहीं करती। उन्होंने कहा कि पार्टी की राजनीति एक “खुली किताब” की तरह है, पारदर्शी, ईमानदार और सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर आधारित। हमारी राजनीति किसी को नीचा दिखाने की नहीं, बल्कि समाज को ऊपर उठाने की है। बसपा नीले आसमान तले खुली और सच्ची राजनीति में विश्वास रखती है, चाहे वह विपक्ष में हो या सत्ता में,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि यह पार्टी केवल बयानबाज़ी और प्रतीकात्मक राजनीति तक सीमित रह गई है। कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता में रहकर भी दलितों, पिछड़ों और गरीबों के लिए कुछ ठोस नहीं किया। अब जब जनता ने उन्हें नकार दिया है, तो वे झूठे वादों और गठबंधन की राजनीति से खुद को प्रासंगिक दिखाने की कोशिश कर रहे हैं,” मायावती ने कहा। उन्होंने जोड़ा कि कांग्रेस और सपा दोनों ही दल बसपा के बढ़ते जनाधार से डरते हैं और इसलिए झूठे आरोपों और अफवाहों के सहारे बसपा की छवि को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करते हैं।
बैठक में मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि अब वक्त है जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने, बूथ स्तर तक पहुंच बनाने और जनसमर्थन बढ़ाने का। हमें विपक्ष की तरह सिर्फ नारों पर नहीं, बल्कि ठोस संगठन और अनुशासन पर ध्यान देना होगा। बसपा का इतिहास संघर्ष का इतिहास है, और 2027 में हमें इसे दोहराना है,” उन्होंने कहा। बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा कि पार्टी के पास न तो धनबल है न बाहुबल, लेकिन “जनबल और ईमानदारी” है, जो किसी भी सत्ता को चुनौती देने के लिए पर्याप्त है।
मायावती ने कहा कि बसपा की राजनीति में ईमानदारी, अनुशासन और जवाबदेही सर्वोच्च हैं। हमारे लिए राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि समाज सेवा का मार्ग है। यही अंतर हमें अन्य पार्टियों से अलग करता है,” उन्होंने कहा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे नकारात्मक राजनीति से दूर रहें और जनता के बीच जाकर बसपा की नीतियों को समझाएं।
Published on:
17 Oct 2025 08:12 am
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
