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जरूरी दवाइयां होने जा रही महंगी, हृदय और किडनी की दवाइयों की कीमतें में 10 प्रतिशत इजाफा

locationलखनऊPublished: Mar 27, 2022 12:04:32 pm

Submitted by:

Prashant Mishra

मरीजों के लिए उपयोगी दवाई राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची के तहत मूल्य नियंत्रण में होती हैं। दवा कंपनियों की डिमांड के बाद एनपीपीए संयुक्त निदेशक रश्मि तहिलयानी ने बताया कि उद्योग प्रोत्साहन और घरेलू व्यापार विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने सालाना 10.76 प्रतिशत दवाइयों की कीमतों पर वृद्धि की अनुमति दी गई है। जिसके बाद अब यह आवश्यक दवाएं महंगी हो जाएंगी।

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। बीतें 5 दिनों में 4 बार पेट्रोल की कीमतों में इजाफा किया गया। इसी के साथ दवाइयां भी महंगी होने जा रही हैं। जानकारी मिली है कि दर्द निवारण, संक्रमण, किडनी, हृदय रोग और अस्थमा के मरीजों की 800 आवश्यक दवाएं नए वित्तीय वर्ष में 10.76% तक महंगी हो जाएंगी। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निवारण प्राधिकरण ने इसकी अनुमति दे दी है। जिसके बाद अप्रैल महीने से यह आवश्यक दवाइयां महंगी मिलेंगी। नए वित्तीय वर्ष में दवाइयों की महंगी होने से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इन दवाइयों का असर सीधे इलाज पर पड़ेगा और इन गंभीर बीमारियों का इलाज महंगा हो जाएगा।
ऐसे होता है मूल्य निर्धारण

मरीजों के लिए उपयोगी दवाई राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची के तहत मूल्य नियंत्रण में होती हैं। दवा कंपनियों की डिमांड के बाद एनपीपीए संयुक्त निदेशक रश्मि तहिलयानी ने बताया कि उद्योग प्रोत्साहन और घरेलू व्यापार विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने सालाना 10.76 प्रतिशत दवाइयों की कीमतों पर वृद्धि की अनुमति दी गई है। जिसके बाद अब यह आवश्यक दवाएं महंगी हो जाएंगी।
क्या कहते हैं कारोबारी

लखनऊ की दवाई कारोबारी अनुज मिश्रा ने बताया कि यह पहली बार है कि सूचीबद्ध दवाइयों को सूची से बाहर की दवाओं से ज्यादा महंगा करने की अनुमति दी गई है। मूल्य नियंत्रण सूची से बाहर की दवाएं सालाना 10 फ़ीसदी बढ़ाने की अनुमति है। अबतक की वृद्धि 2 फ़ीसदी होती थी वर्ष 2019 में एनपीपीए ने 2 फ़ीसदी और 2020 में 0.5 प्रतिशत वृद्धि की अनुमति दी थी। लेकिन इस बार 10.76% वृद्धि की अनुमति दी गई है जो बहुत ज्यादा है।
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दवाओं की कीमतों की वृद्धि की अनुमति के पीछे फार्मा उद्योगियों ने अपने तर्क दिए है। फार्मा उद्योगों के अनुसार दबाव के कच्चे माल की कीमत 15 से 150% तक बढ़ी है। सिर्फ ओरल ड्रॉप्स संक्रमण में उपयोगी ग्लाइकोल, ग्लिसरीन सॉल्वेट के दाम 220% तक बढ़े हैं परिवहन, पैकेजिंग रखरखाव महंगा हुआ है जिसके चलते दवाइयों की कीमतों को बढ़ाया जा रहा है।

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