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Madhyanchal Vidyut Nigam: वर्टिकल व्यवस्था पर फिर संशय: अब 15 नवंबर से लागू होगी नई बिजली प्रणाली, आदेश जारी

Power Shake-Up in Lucknow: लखनऊ में पावर कॉरपोरेशन की महत्वाकांक्षी वर्टिकल व्यवस्था एक बार फिर संशय में पड़ गई है। अब यह व्यवस्था 1 नवंबर के बजाय 15 नवंबर 2025 से लागू होगी। मविविनि की प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल ने नया आदेश जारी कर बताया कि तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से लागू तिथि आगे बढ़ाई गई है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 31, 2025

UP Power Update (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

UP Power Update (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Madhyanchal Vidyut Nigam Power System: राजधानी लखनऊ में बिजली आपूर्ति प्रणाली में बड़ा प्रशासनिक बदलाव एक बार फिर टल गया है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अध्यक्ष आशीष गोयल की महत्वाकांक्षी “वर्टिकल व्यवस्था (Vertical System)” योजना अब 1 नवंबर की बजाय 15 नवंबर 2025 से लागू होगी। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (मविविनि) की प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल ने इस संबंध में नया आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि “विस्तृत विचार-विमर्श के उपरांत” लागू तिथि को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

क्या है वर्टिकल व्यवस्था

“वर्टिकल व्यवस्था” पावर सेक्टर में एक नई कार्यप्रणाली है, जिसके तहत विद्युत आपूर्ति, बिलिंग, शिकायत निवारण और राजस्व वसूली से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां क्षेत्रवार एकीकृत ढांचे में लाई जानी हैं। अब तक विद्युत वितरण प्रणाली क्षेत्‍त्रीय (Zone-wise) और कार्यात्मक (Functional) आधार पर संचालित होती रही है, यानी अलग-अलग अधिकारी बिलिंग, रखरखाव और तकनीकी कार्यों को देखते थे। नई व्यवस्था में इन सभी इकाइयों को ‘वन पॉइंट कमांड’ यानी एक वरिष्ठ अधिकारी के अधीन लाया जाएगा, ताकि जवाबदेही और दक्षता दोनों बढ़ सकें।

लखनऊ में इस व्यवस्था के तहत चार विद्युत क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं --

  • अमौसी क्षेत्र
  • लखनऊ मध्य क्षेत्र
  • जानकीपुरम क्षेत्र
  • गोमती नगर क्षेत्र

प्रत्येक क्षेत्र का अपना कार्यपालक अभियंता (E.E.), राजस्व प्रभारी, तकनीकी प्रभारी और उपभोक्ता सेवा प्रबंधक होगा, जो मिलकर वर्टिकल यूनिट के रूप में कार्य करेंगे।

1 नवंबर से 15 नवंबर तक क्यों टला लागू होना

18 अक्टूबर 2025 को मविविनि मुख्यालय से इन चारों क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कार्यालय आदेश जारी किए गए थे, जिनमें यह व्यवस्था 1 नवंबर से प्रभावी की जानी थी। लेकिन गुरुवार को जारी नवीन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि वर्टिकल व्यवस्था अब 15 नवंबर 2025 से लागू होगी। सूत्रों के अनुसार इस निर्णय के पीछे तकनीकी और प्रशासनिक कारण हैं। कई क्षेत्रों में कार्मिक पुनर्व्यवस्था (Staff Realignment),दायित्व वितरण (Responsibility Mapping) और वित्तीय नियंत्रण (Financial Authority Clarification) से संबंधित बिंदु अब भी लंबित हैं। इन मुद्दों के निपटारे के बिना नई व्यवस्था लागू करने पर कार्य-व्यवधान और भ्रम की स्थिति बन सकती थी। इसलिए अधिकारियों ने समय लेकर इसे व्यवस्थित करने का निर्णय लिया है।

मविविनि मुख्यालय से जारी आदेश

प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि लखनऊ जनपद के चारों विद्युत क्षेत्रों में वर्टिकल व्यवस्था लागू करने की तैयारी पूर्ण कर ली गई थी, किंतु विस्तृत विचारोपांत इसे 15 नवंबर से प्रभावी किए जाने का निर्णय लिया गया है। आवश्यक संशोधन कार्य प्रगति पर है। इस आदेश की प्रति चारों क्षेत्रीय अभियंताओं, मुख्य अभियंता (लखनऊ) और वित्त नियंत्रक को भेजी गई है, ताकि 15 नवंबर तक सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जा सकें।

संशय और असमंजस अब भी बरकरार

हालांकि आदेश जारी होने के बाद विभागीय इलाकों में एक बार फिर संशय और असमंजस का माहौल बन गया है। कर्मचारियों के बीच चर्चा है कि अगर सभी तैयारियां पूरी थीं, तो फिर अंतिम समय पर तिथि क्यों बढ़ाई गई? एक वरिष्ठ अभियंता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्टिकल व्यवस्था बहुत उपयोगी मॉडल है, लेकिन इसके लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म और फील्ड स्तर की समन्वय प्रणाली पूरी तरह तैयार नहीं है। जल्दबाजी में लागू करने पर जवाबदेही तय करने में दिक्कत आती। दूसरी ओर कुछ अधिकारी मानते हैं कि बार-बार तिथि बढ़ाने से प्रणालीगत भरोसा (System Confidence) कमजोर पड़ रहा है। कई कर्मचारी नए पदनाम और दायित्वों को लेकर अब भी स्पष्ट नहीं हैं।

 क्यों जरूरी है वर्टिकल व्यवस्था

मौजूदा समय में लखनऊ जैसे बड़े शहर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 25 लाख से अधिक है। इतने बड़े नेटवर्क में बिजली बिलिंग, लाइन हानि, ट्रांसफार्मर फॉल्ट और राजस्व प्रबंधन जैसे कार्य कई विभागों के बीच बंटे रहते हैं, जिससे जिम्मेदारी तय करना कठिन होता है। वर्टिकल व्यवस्था से एक ही अधिकारी पूरे क्षेत्र की आपूर्ति, बिलिंग और वसूली का प्रभारी होगा, उसकी जवाबदेही तय होगी,उपभोक्ता शिकायतों का निस्तारण तेजी से होगा,और विभागीय समन्वय मजबूत बनेगा। योजना का उद्देश्य है कि बिजली उपभोक्ताओं को “वन-विंडो सर्विस” मिले और फील्ड स्तर पर निर्णय प्रक्रिया तेज हो।

फील्ड स्तर पर चुनौतियां बरकरार

भले ही यह व्यवस्था कागज़ पर सशक्त दिखती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर कई चुनौतियां सामने हैं--

  • कई क्षेत्रों में कार्मिकों की कमी है।
  • कुछ पदों पर दोहरी जिम्मेदारी दी गई है।
  • वित्तीय स्वीकृति प्रक्रिया में स्पष्टता का अभाव है।
  • और सबसे महत्वपूर्ण, डेटा एकीकरण (Data Integration) अभी पूरा नहीं हुआ है।

आईटी प्रणाली के अभाव में राजस्व और उपभोक्ता रिकॉर्ड को एक प्लेटफॉर्म पर लाने में दिक्कत आ रही है। ऐसे में विभागीय सूत्रों का कहना है कि 15 नवंबर तक इन खामियों को दूर करने का लक्ष्य रखा गया है।

अधिकारियों का क्या कहना है

मविविनि मुख्यालय ( मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड )  के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्टिकल व्यवस्था बिजली वितरण प्रणाली को आधुनिक रूप देने की दिशा में बड़ा कदम है। हम चाहते हैं कि इसे लागू करने से पहले सभी तकनीकी और प्रशासनिक पक्ष पूरी तरह मजबूत हो जाएँ। इसी कारण तिथि बढ़ाई गई है। वहीं, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि फील्ड स्टाफ से पर्याप्त संवाद नहीं किया गया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है। विद्युत कर्मचारी महासंघ के प्रवक्ता ने कहा कि नई व्यवस्था लागू करना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इसे व्यावहारिक बनाना जरूरी है। जब तक फील्ड स्तर पर दायित्व और संसाधनों की स्पष्टता नहीं होगी, तब तक व्यवस्था सफल नहीं हो सकती।