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मिसाल : चंबल के बीहड़ों की पगडंडियों को प्रैक्टिस ट्रेक बना किसान की बेटी बन गई राष्ट्रीय स्तर की एथलीट

International Women's Day 2022 पर स्टेडियम तो नहीं था पर चम्बल के उबड़ खबड़ रास्तों पर दौड़ते हुए गिरते पड़ते मनीषा ने पहले गांव और फिर जिले में अपना रोशन किया। उसके बाद जो जीतने को सिलसिला शुरू हुआ वह रुका नहीं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में ढेर सारे पदक जीतने के बाद अब मनीषा कुशवाह का सपना ओलंपिक में पदक जीत कर देश का नाम रोशन करना है। आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है।

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मिसाल : चंबल के बीहड़ों की पगडंडियों को प्रैक्टिस ट्रेक बना किसान की बेटी बन गई राष्ट्रीय स्तर की एथलीट

मिसाल : चंबल के बीहड़ों की पगडंडियों को प्रैक्टिस ट्रेक बना किसान की बेटी बन गई राष्ट्रीय स्तर की एथलीट

आज भी चंबल के बीहड़ की बातें करें तो लोगों के होश फाख्ता हो जाते है। पर इसी चम्बल की दुश्वारियों को हराते हुए अपनी मेहनत के बल पर मनीषा एथलीट बन गई है। टीवी के एक दृश्य को देखकर उसने एथलीट बनने का सपना बुनना शुरू किया। पर स्टेडियम तो नहीं था पर चम्बल के उबड़ खबड़ रास्तों पर दौड़ते हुए गिरते पड़ते मनीषा ने पहले गांव और फिर जिले में अपना रोशन किया। उसके बाद जो जीतने को सिलसिला शुरू हुआ वह रुका नहीं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में ढेर सारे पदक जीतने के बाद अब मनीषा कुशवाह का सपना ओलंपिक में पदक जीत कर देश का नाम रोशन करना है। आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है।

अभावों में मेहनत रंग लाई

आगरा जिले के बाह के एक गांव गोपालपुरा निवासी मनीषा कुशवाहा ने इस वक्त अपने प्रदर्शन को निखरे के लिए देश के सबसे बड़े प्रशिक्षण संस्थान पटियाला के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं। मनीषा के पिता मुरारीलाल एक गरीब किसान है। और मां कमलेश आम कामकाजी घरेलू महिला है। घर में पैसे का अभाव है। पर मनीषा अपने सपने को पूरा करने के लिए अडिग रही। खेत में फसल की कटाई, निराई करने की चंबल की पगडंडियों पर की गई मेहनत रंग लाई।

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किसान की बेटी से मनीषा बनी एथलीट

किसान की बेटी मनीषा एथलीट बन गई। 2019 में जूनियर नेशनल एथेलिटिक्स गुंटूर (आंध्र प्रदेश) में रजत पदक जीता। फेडरेशन कप में अंडर-20 में 54.50 सेकेंड के समय के साथ रजत पदक जीता। वर्ष 2019 में ही नेपाल सैफ गेम्स में 4 गुणा 4 मीटर रिले में कांस्य पदक जीता था। फरवरी 2022 में भुवनेश्वर में आयोजित आल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 4 गुणा 4 मीटर रिले में स्वर्ण पदक जीता।

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स्टेडियम नहीं बीहड़ की पगडंडियां बनी ट्रेक

एथलीट मनीषा ने बताया कि, 12 साल पहले टीवी पर लड़कियों को खेल में पदक जीतते हुए देखा था। उस दिन से एथलीट बनने का सपना आंखों तैरने लगा। प्रशिक्षण की सुविधा नहीं थी बीहड़ में दौड़ लगाती। चोट लगी पर हिम्मत नहीं हारी। बीहड़ की पगडंडियों पर दौड़ते हुए अच्छा समय निकालने लगी तो स्थानीय, जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

एशियाड-ओलंपिक पदक जीतने का सपना

एथलीट मनीषा का सपना एशियाड और ओलंपिक में देश के लिए खेलने और पदक जीतने का है।