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Railway का बड़ा फैसला: अगले दो साल में 10 हजार नॉन-एसी कोच, जनरल और स्लीपर यात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत

रेलवे ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगले दो वर्षों में दस हजार नॉन-एसी कोचों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 5300 जनरल कोच शामिल होंगे। लालगढ़ से डिब्रूगढ़ जाने वाली अवध असम एक्सप्रेस समेत कई लंबी दूरी की ट्रेनों में भीड़ की समस्या को देखते हुए जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया गया है, जिससे आम यात्रियों को धक्का-मुक्की और अन्य परेशानियों से राहत मिलेगी।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jul 08, 2024

Railway Updates

Railway Updates

Railway Updates: रेलवे ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगले दो वर्षों में दस हजार नॉन-एसी कोचों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 5300 जनरल कोच शामिल होंगे। यह कदम विशेष रूप से लालगढ़ से डिब्रूगढ़ जाने वाली ट्रेनों में आम यात्रियों को हो रही परेशानी को देखते हुए उठाया गया है।

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थर्ड एसी इकोनॉमी कोचों पर रहा फोकस

हाल के वर्षों में रेलवे ने थर्ड एसी और थर्ड एसी इकोनॉमी कोचों को बढ़ावा दिया है, जिससे कम किराए में एसी में यात्रा करने की सुविधा मिल सके। इसके चलते जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या में कमी आई थी, जिससे आम यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।

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लालगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन की समस्याएं

लालगढ़ से डिब्रूगढ़ जाने वाली अवध असम एक्सप्रेस के जनरल कोचों में इतनी भीड़ हो जाती है कि यात्रियों को शौचालय में तक बैठना पड़ता है। लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों में जनरल कोचों की कमी से यात्रियों को भारी परेशानी होती है।

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नॉन-एसी कोचों का उत्पादन

रेलवे बोर्ड ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। अगले दो वर्षों में 5300 जनरल कोचों सहित दस हजार नॉन-एसी कोचों का उत्पादन किया जाएगा। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान यह कोच तैयार किए जाएंगे।

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आम यात्रियों को राहत

रेलवे की इस योजना के तहत 2024-25 में 2605 जनरल कोच, 1470 नॉन एसी स्लीपर कोच, 323 एसएलआर कोच, 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पेंट्रीकार बनाए जाएंगे। इन कोचों के ट्रेनों में लगने के बाद आम यात्रियों को यात्रा के दौरान काफी राहत मिलेगी। रेलवे की इस पहल से उम्मीद है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में आम यात्रियों को धक्का-मुक्की से निजात मिलेगी और वे अधिक आरामदायक यात्रा कर सकेंगे।

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