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एक तरफ बेसिक शिक्षा में करोड़ों का घोटाला, दूसरी तरफ बिना किताबों के शुरू हुआ नया सत्र

प्राइमरी शिक्षा का हाल- एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग में करोड़ों का घोटाला, दूसरी तरफ बिना किताबों के शुरू हुआ नया सत्र

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एक तरफ बेसिक शिक्षा में करोड़ों का घोटाला, दूसरी तरफ बिना किताबों के शुरू हुआ नया सत्र

लखनऊ. यूपी की प्राइमरी शिक्षा का हाल इस बात से समझा जा सकता है कि एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग में हुआ करोड़ों का घोटाला सुर्खियां बटोर रहा है तो दूसरी तरफ प्राइमरी स्कूलों का नया पत्र बिना किताबों के ही शुरू हो गया है। पहले दिन प्राइमरी के अधिकतर छात्रों को किताबें नहीं मिल पाई। गिने-चुने स्कूलों में ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों और माननीयों ने यूनिफॉर्म, बैग और किताबें बांटे। वहीं बच्चों को बांटे जाने वाली किताबों से लेकर जूते-मोजे तक में अनियमितता का खेल खुलने लगा है।आरोप है कि प्रदेश में करीब 252 करोड़ की किताबों का टेंडर दो बार किया गया. इस दौरान दोनों टेंडरों में शर्त बदल दी गई.।


विभाग में करोड़ो का 'खेल'!

बेसिक शिक्षा विभाग ने तत्कालीन पाठ्य पुस्तक अधिकारी अमरेंद्र सिंह के खिलाफ अनुशासनिक जांच बिठा दी है। अमरेंद्र सिंह इस समय उप शिक्षा निदेशक पद पर हैं। आरोप है कि प्रदेश में करीब 252 करोड़ की किताबों का टेंडर दो बार किया गया. इस दौरान दोनों टेंडरों में शर्त बदल दी गई. उत्तर प्रदेश शासन का मानना है कि शर्त बदलने से किताबों को लेकर पेपर मिल और वितरकों की मोनोपोली बनी। प्रदेश शासन ने माना है कि चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए किताब के टेंडर की शर्तें बदली गई हैं। जूते-मोजे देने भी 'अयोग्य' कम्पनियों को टेंडर में शामिल कर लिया गया। जांच एससीईआरटी के निदेशक संजय सिन्हा को सौंपी गई है। वहीं, अमरेंद्र सिंह ने आरोपों को गलत बताया है।

ये था पूरा मामला

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग ने अप्रैल में जूते-मोजे के लिए टेंडर निकाला था। टेंडर की टेक्निकल बिड खोलने के समय ही विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद एक नामी कंपनी ने प्रति जोड़ी जूते के लिए 115.54 रुपये का रेट दिया जो कि सभी में सबसे कम था. कंपनी ने यह भी कहा कि वह अकेले ही 60 प्रतिशत सप्लाई समय पर दे सकती है। टेंडर की शर्त के अनुसार किसी को भी 25 प्रतिशत से कम सप्लाई नहीं दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं अगर सबसे कम दाम देने वाली कंपनी अकेले ही 60 फीसदी काम देने में सक्षम है तो विभाग उसे इतना काम दे सकता है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सभी नियम दरकिनार कर 10 कम्पनियों म काम को बांट दिया।

बिना किताबों के पढ़ेंगे बच्चे!

प्राइमरी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत हो गई है। पहले दिन प्राइमरी के अधिकतर छात्रों को किताबें नहीं मिल पाई। दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग अब तक सिर्फ 38 फीसदी के करीब ही किताबें छपवा पाया है। किताबें बांटने की बात करें तो संख्या और भी कम हो जाती है। सबसे अधिक समस्या कक्षा 4 से 7 तक की किताबों में है। इसके अलावा जिन कक्षाओं की किताबें पहुंची भी तो वह अधूरी हैं। इंग्लिश मीडियम स्कूलों की बात करें तो भी हालात बहुत खराब हैं। इंग्लिश मीडियम के छात्रों को तो कोई भी किताब नहीं मिल पाई है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा के निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह कहते हैं कि किताबें जा रही हैं। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई तक सारी किताबें पहुंच जाएंगीं, ऐसी हमारी योजना है।

बच्चों से करवा दी सफाई

हरदोई के ब‍िलग्राम नगर स्‍थ‍ित कस्‍बे के प्राथम‍िक व‍िद्यालय मैदानपुरा में गंदगी की सफाई के लिए छात्राओं को लगा द‍िया गया। वहीं छात्रों को पीने का पानी भरने की ज‍िम्‍मेदारी दी गई। बच्चों को क‍िताबें तो नहीं म‍िली मगर पूरे व‍िद्यालय की सफाई करनी पड़ गई। व‍िद्यालय में लड़क‍ियों को सफाई का काम सौंपा गया तो वहीं लड़कों को पानी भरने की ज‍िम्‍मेदारी दी गई। सबसे बड़ी बात यह रही कि इसी परिसर में खण्ड शिक्षा अधिकारी का कार्यालय भी है लेकिन किसी भी जिम्मेदार की बच्चों के साथ हुए इस सलूक पर नजर नहीं पड़ी। बच्‍चों के पानी भरने और सफाई करने की तस्‍वीरें प्राप्‍त हुई हैं जिसमें वह पीसने में तर होकर काम करने में जुटे हैं। स बारे में खंड श‍िक्षा अध‍िकारी ब‍िलग्राम सुशील कुमार ने कहा, ' बच्‍चों द्वारा व‍िद्यालय सफाई करने का मामला प्रकाश में आया है जो न‍िंदनीय है। इस मामले की जांच होगी और दोषी के ख‍िलाफ कार्रवाई की जाएगी।