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पांच निर्णय जिन्होंने किया साबित, अब योगी पर भारी पड़ रहे हैं शिव प्रताप शुक्ला

तीन दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है जब गोरखपुर सीट पर बीजेपी का कोई उम्मीदवार गोरखनाथ मंदिर से नहीं है...

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लखनऊ

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Nitin Srivastva

Feb 28, 2018

Shiv Pratap Shukla more influence than CM Yogi Adityanath in Gorakhpur

CM Yogi says now BJP will win West Bengal, Kerala, Karnataka Odisha

लखनऊ. यूपी की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों सीटों के लिए अपने उम्मीदवार भी मैदान में उतार दिए हैं। गोरखपुर सीट से बीजेपी ने उपेंद्र शुक्ला जबकि फूलपुर सीट से कौशलेंद्र सिंह पटेल को टिकट दिया है। सूत्रों के मुताबिक गोरखपुर से सीएम योगी आदित्यनाथ अपने किसी करीबी नेता को टिकट दिलाना चाह रहे थे, जबकि फूलपुर से केशव प्रसाद मौर्या अपनी पत्नी के लिए पार्टी से टिकट मांग रहे थे। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने दोनों की बात न मानकर दूसरे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

योगी की पसंद को नहीं मिला टिकट

दरअसल गोरखपुर सीट योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी। उपचुनाव में सीएम योगी यहां से गोरखनाथ पीठ के मुख्य पुजारी कमल नाथ को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन तीन दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इस सीट पर बीजेपी का कोई उम्मीदवार गोरखनाथ मंदिर से नहीं है। जानकारों की अगर मानें तो गोरखपुर सीट से उपेंद्र शुक्ला को बीजेपी का टिकट दिया जाना सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है। क्योंकि योगी ने अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। लेकिन आखिर में पार्टी ने केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला की पसंद उपेंद्र शुक्ला को टिकट दिया है। बीजेपी सूत्रों की अगर मानें तो उपेंद्र शुक्ला 2017 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ के दबाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।

मंदिर से बाहर गया टिकट

इसबार भी सीएम योगी इच्छा यह थी कि लोकसभा सीट मंदिर के पास ही रहे। इसके लिए वह गोरखनाथ पीठ के मुख्य पुजारी कमल नाथ को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन स्थानीय स्तर पर नेता दबी जुबान यह मांग कर रहे थे कि गोरखपुर सीट पर मंदिर से बाहर के किसी सक्रिय कार्यकर्ता को टिकट दिया जाए। हालांकि मंदिर के बाहर भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने धर्मेंद्र सिंह को टिकट दिए जाने की वकालत की थी। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने उनकी इस डिमांड को भी खारिज कर दिया और शिव प्रताप शुक्ला के करीबी उपेंद्र शुक्ला को उपचुनाव के लिए टिकट दे दिया।

मेयर चुनाव में भी नहीं चली

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद कई बार ऐसा हो चुका है जब उनके अपने ही गढ़ में उनकी मंशा के खिलाफ पार्टी ने कोई निर्णय लिया हो। इससे पहले भी जब गोरखपुर में मेयर पद के चुनाव हुए थे, उस वक्त भी योगी की पसंद को किनारे करते हुए बीजेपी ने सीताराम जायसवाल को उम्मीदवार बनाया था। सीताराम जायसवाल भी शिव प्रताप शुक्ला के करीबी माने जाते हैं। मेयर पद के लिए भी योगी आदित्यनाथ की पसंद धर्मेंद्र सिंह थे। जानकारों की अगर मानें तो सीएम योगी ने धर्मेंद्र सिंह को पार्टी टिकट की गारंटी देते हुए चुनावों की तैयारी में जुट जाने के लिए भी कहा था। लेकिन योगी उनको टिकट दिना नहीं सके।

शिव प्रताप शुक्ला पड़े भारी

योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में पहला झटका तब लगा था जब शिवप्रताप शुक्ल को मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में मंत्री बनाया गया था। उसके बाद अब उपचुनाव में उपेंद्र दत्त शुक्ल को पार्टी टिकट दे दिया गया है। आपको बता दें कि दोनों ही शुक्ला योगी आदित्यनाथ के चलते एक दशक से भी ज्यादा समय से हाशिये पर थे। लेकिन जिस शिवप्रताप शुक्ल को योगी आदित्यनाथ विधायक और सांसद नहीं बनने देना चाहते थे, अब वह केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री हैं। शिवप्रताप शुक्ल भी गोरखपुर से ही आते हैं। बीजेपी में इन्हें ब्राह्मणों के एक प्रभावी चेहरे को तौर पर देखा जाता है। वहीं योगी को राजपूतों का बड़ा नेता माना जाता है। ऐसे में दोनों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई पुरानी है। जिसमें अब शिव प्रताप शुक्ला भारी पड़ते जा रहे हैं।

अमित शाह ने दिया ईनाम

दरअसल गोरखपुर में शिव प्रताप शुक्ला बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के विश्वासपात्र माने जाते हैं। अमित शाह का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। राजनाथ सिंह जब 2013 में दोबारा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तो उस समय अमित शाह बतौर राष्ट्रीय महासचिव गोरखपुर आए थे। उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। शिव प्रताप शुक्ला तब से ही लगातार अमित शाह का विश्वास जीतने के लिए मेहनत कर रहे हैं। जिसको देखते हुए 2016 में शिव प्रताप शुक्ला को राज्यसभा भेजकर उन्हें इसका ईनाम भी दिया गया। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के ही कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी के ही कुछ लोग योगी को अपने गढ़ में कमजोर करना चाहते हैं। वहीं पार्टी के लोगों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने योगी की पसंद को टिकट न देकर यह संदेश दिया है कि किसी इलाके में किसी का एकछत्र वर्चस्व मंजूर नहीं है।