
अयोध्या पहुंचे दक्षिण कोरिया के गारक राजवंश के वंशज
Ayodhya South Korea Tourism : दक्षिण कोरिया के गारक राजवंश के प्रतिनिधियों सहित 80 सदस्यीय शिष्टमंडल 13 मार्च को अयोध्या पहुंचा। उन्होंने अयोध्या स्थित ‘क्वीन हो मेमोरियल पार्क’ का भ्रमण किया और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह यात्रा भारत और दक्षिण कोरिया के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
दक्षिण कोरिया की किंवदंतियों के अनुसार लगभग 2,000 वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना ने कोरिया के राजा किम सुरो से विवाह किया था। विवाह के बाद राजकुमारी सुरीरत्ना कोरियाई इतिहास में ‘रानी हियो ह्वांग-ओक’ के नाम से जानी गईं और उन्हें गारक राजवंश की संस्थापक माना जाता है। यही कारण है कि दक्षिण कोरिया के लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं और प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
अयोध्या में स्थित ‘क्वीन हो मेमोरियल पार्क’ को भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक माना जाता है। इस पार्क में कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए। दक्षिण कोरिया के 80 सदस्यीय शिष्टमंडल ने यहां न केवल अपने इतिहास को याद किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और अयोध्या की ऐतिहासिक विरासत से भी परिचित हुए। इस दौरान कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने राम मंदिर, सरयू आरती, और विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। उन्होंने लेजर शो का भी आनंद लिया, जिसमें भगवान राम के जीवन से जुड़ी कथाओं का जीवंत चित्रण किया गया।
दक्षिण कोरियाई गारक राजवंश की यह 72वीं पीढ़ी है। कोरिया राजवंश के सदस्य सदियों से अपनी भारतीय जड़ों से जुड़े रहे हैं। कोरियाई इतिहास और पौराणिक ग्रंथों में रानी हियो ह्वांग-ओक का विशेष उल्लेख मिलता है, जो अयोध्या की राजकुमारी थीं। किम सुरो और रानी हियो ह्वांग-ओक के 12 पुत्र हुए, जिनसे कोरिया में एक शक्तिशाली वंश का निर्माण हुआ। कोरिया में इस ऐतिहासिक संबंध को लेकर विशेष सम्मान की भावना है और कोरियाई लोग इसे अपनी विरासत का हिस्सा मानते हैं।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि कोरियाई प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जिनमें कपिलवस्तु, कुशीनगर, कौशाम्बी, सारनाथ, संकिसा और श्रावस्ती प्रमुख हैं।
जयवीर सिंह ने कहा, “दक्षिण कोरिया के लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और उत्तर प्रदेश में स्थित बौद्ध स्थलों में उनकी गहरी रुचि है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में कोरियाई पर्यटक इन स्थलों का दौरा करने आते हैं। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।”
अयोध्या आगमन पर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। इस दौरान आठ भारतीय कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के इस अनूठे आयोजन ने दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ किया। कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि उन्हें अयोध्या आकर अपने पूर्वजों से जुड़ने का एहसास हुआ। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और यहां की संस्कृति को करीब से जाना।
दक्षिण कोरिया के गारक राजवंश के वंशजों ने अपनी भारत यात्रा की शुरुआत दिल्ली से की थी। 11 मार्च को यह दल राष्ट्रीय राजधानी पहुंचा, जहां से 12 मार्च को वाराणसी रवाना हुआ। 13 मार्च को उन्होंने अयोध्या में क्वीन हो मेमोरियल पार्क का दौरा किया और फिर आगरा पहुंचे, जहां उन्होंने ताजमहल का भी दीदार किया। इस यात्रा के माध्यम से कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय संस्कृति और धरोहर का अनुभव किया।
कोरिया राजवंश के प्रतिनिधियों की यह यात्रा केवल एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह भारत और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ते कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों का भी प्रतीक थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए कई पहल की जा रही हैं। भारत और कोरिया के बीच व्यापार, तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
दक्षिण कोरिया के गारक राजवंश के वंशजों की अयोध्या यात्रा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक घटना थी। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सदियों पुराने संबंध आज भी जीवंत हैं। अयोध्या में आयोजित इस विशेष यात्रा ने न केवल कोरियाई प्रतिनिधिमंडल को अपनी जड़ों से जोड़ा, बल्कि भारत-कोरिया के कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी एक नया आयाम दिया।
Published on:
15 Mar 2025 09:16 pm
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