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69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद गहराया, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई से पहले अभ्यर्थियों ने याची लाभ देने की मांग दोहराई

69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर है। सुप्रीम कोर्ट में 18 नवंबर को होने वाली अहम सुनवाई से हजारों अभ्यर्थियों को बड़ी उम्मीदें हैं। आरक्षण प्रभावित उम्मीदवार सरकार से याची लाभ दिए जाने की मांग कर रहे हैं, ताकि मामला शांतिपूर्ण तरीके से निस्तारित हो सके।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 16, 2025

लंबे समय से अटका विवाद, अब निर्णायक क्षण (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

लंबे समय से अटका विवाद, अब निर्णायक क्षण (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

69000 Bharti Latest News: उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69000 सहायक अध्यापक भर्ती एक बार फिर सुर्खियों में है। आरक्षण को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में 18 नवंबर को होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाई को लेकर आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों में भारी उम्मीद और बेचैनी दोनों देखी जा रही हैं। अभ्यर्थियों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि अदालत में "याची लाभ" देने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए, जिससे इस लंबे विवाद का समाधान निकले और किसी भी अभ्यर्थी को इस भर्ती से बाहर न किया जाए।

आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों ने शासन और विभागीय प्रमुख अधिकारियों को मेल भेजकर साफ कहा है कि इस मामले में सरकार यदि सकारात्मक रुख अपनाए, तो यह विवाद बिना किसी बड़े नुकसान के सुलझ सकता है। उनका कहना है कि किसी भी चयनित अभ्यर्थी का चयन रद्द किए बिना, प्रभावित अभ्यर्थियों को याची लाभ देकर न्यायिक समाधान संभव है।

लंबे समय से अटका विवाद, अब निर्णायक क्षण

69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 से ही विवादों के घेरे में रही है। मेरिट निर्धारण, कट ऑफ, आरक्षण मानक, जिला आवंटन समेत कई बिंदुओं पर अभ्यर्थियों के बीच असंतोष बना रहा। विशेषकर आरक्षण से संबंधित गलतियों को लेकर दर्जनों याचिकाए विभिन्न अदालतों में दाखिल हुईं।

आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का सही अनुपालन नहीं किया गया, जिससे कई पात्र अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर रह गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट इसका अंतिम समाधान करेगा। 18 नवंबर की सुनवाई इसलिए अत्यंत अहम मानी जा रही है क्योंकि इस दिन अदालत सरकार के रुख और याचिकाकर्ताओं की दलीलों के आधार पर आगे की दिशा तय कर सकती है।

अभ्यर्थियों की मांग - ‘याची लाभ ही विवाद का शांतिपूर्ण समाधान’

आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों का प्रमुख अनुरोध यह है कि किसी भी चयनित अभ्यर्थी को भर्ती से बाहर न किया जाए। आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों को याची लाभ प्रदान किया जाए। सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस दिशा में सकारात्मक प्रस्ताव पेश करें। लंबित मामला जल्द निपटे ताकि वर्षों से रुका भविष्य आगे बढ़ सके। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे केवल न्याय चाहते हैं, किसी को हटाने या नुकसान पहुँचाने की मांग नहीं कर रहे। उनका मानना है कि याची लाभ (benefit to the petitioners) प्रदान करके सरकार और न्यायालय दोनों एक संतुलित समाधान निकाल सकते हैं।

अभ्यर्थियों का प्रतिनिधिमंडल राज्य मंत्री से मिला

पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप और प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बताया कि हाल ही में अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मिला था। मुलाकात के दौरान अभ्यर्थियों ने मंत्री को अपनी स्थिति विस्तार से बताई और उनसे आग्रह किया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में ठोस और न्यायोचित रुख अपनाए। मंत्री संदीप सिंह ने आश्वासन दिया कि सरकारी अधिवक्ता 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। सरकार अभ्यर्थियों की मांग और न्यायिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सर्वोत्तम समाधान की दिशा में कदम उठाएगी। यह आश्वासन अभ्यर्थियों को कुछ राहत देता है, पर वे अंतिम निर्णय के लिए अब भी अदालत की प्रतीक्षा में हैं।

18 नवंबर की सुनवाई क्यों महत्वपूर्ण है

इस सुनवाई का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह मामला पाँच वर्षों से अटका हुआ है। हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य इससे जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भर्ती की अंतिम स्थिति तय करेगा। चयन सूची और नियुक्तियों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार को अपने पक्ष और इरादे स्पष्ट करने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट अगर याची लाभ या समानुपातिक समाधान की बात स्वीकार करता है, तो यह भविष्य में होने वाली सभी बड़ी भर्तियों के लिए भी मिसाल बनेगा।

अभ्यर्थियों की बेबसी-नौकरी इंतजार में, उम्र निकल रही

अनेकों अभ्यर्थी लगातार कह रहे हैं कि भर्ती की देरी से उनकी उम्र निकलती जा रही है। कई अभ्यर्थियों ने वर्षों तक तैयारी की लेकिन विवादों के कारण नियुक्तिया रुकने से वे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से दबाव में आ चुके हैं। हमने 2019 में फॉर्म भरा था। अब 2025 आ गया है। नौकरी नहीं मिली, ऊपर से उम्र भी समाप्ति के कगार पर है,यह भावना लगभग सभी प्रभावित अभ्यर्थियों में देखने को मिलती है। कई उम्मीदवार आज भी कोर्ट-कचहरी, विभागीय कार्यालयों और जनप्रतिनिधियों के बीच दौड़ते दिखाई देते हैं।

शासन की चुप्पी और अभ्यर्थियों की बेचैनी

हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस बार सरकार विवाद का स्थायी समाधान चाहती है। भर्ती विवादों के कारण शासन की छवि भी प्रभावित होती है और सरकार चाहती है कि बहुप्रतीक्षित शिक्षक भर्ती मुद्दा अब शांत हो जाए। अभ्यर्थियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार कहीं तटस्थ रुख न अपनाए। इसलिए वे बार-बार ईमेल, ज्ञापन, और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपनी आवाज़ सरकार तक पहुँचा रहे हैं।

समाधान की संभावनाएँ

यदि सुप्रीम कोर्ट यह मान ले कि किसी चयनित शिक्षक को हटाए बिना,प्रभावित अभ्यर्थियों को याची लाभ प्रदान करके,भर्ती को नियमित किया जा सकता है, तो यह सभी पक्षों के लिए लाभकारी होगा।

ऐसा होने पर

  • चयनित शिक्षक अपनी नौकरी पर बने रहेंगे
  • आरक्षण प्रभावित दावेदारों को न्याय मिलेगा
  • वर्षों से लंबित प्रक्रिया पूरी होगी
  • शिक्षा विभाग में स्थिरता आएगी

अगली सुबह का इंतज़ार-सुनवाई से बड़ी उम्मीदें

अब लाखों अभ्यर्थी सिर्फ 18 नवंबर का इंतजार कर रहे हैं। यह तारीख उनके जीवन में राहत और उम्मीद की नई किरण ला सकती है, विवाद को और लंबा भी खींच सकती है। लेकिन सभी की इच्छा यही है कि अदालत और सरकार मिलकर ऐसा रास्ता निकालें जिससे न्याय और व्यवस्था दोनों सुरक्षित रहें।