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Yogi Govt gifts state employees: कर्मचारियों को बड़ी राहत, सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष

Yogi Govt Retirement Age : लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत का ऐलान हुआ। अब इन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है, जिससे वे अधिक समय तक सेवा दे सकेंगे।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jul 03, 2025

Yogi Govt Retirement Age : लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत का ऐलान हुआ। अब इन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है, जिससे वे अधिक समय तक सेवा दे सकेंगे।

Yogi Govt Retirement Age : लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत का ऐलान हुआ। अब इन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है, जिससे वे अधिक समय तक सेवा दे सकेंगे।


Yogi Govt Cabinet Approves Retirement Age Hike : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। कुल 30 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें से एक विशेष और प्रतीक्षित निर्णय उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कर्मचारियों के लिए था। सरकार ने संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। यह निर्णय कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर लिया गया है और इससे उन्हें न केवल राहत मिलेगी बल्कि भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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भाषा संस्थान को मिला विशेष स्थान

उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान राज्य सरकार के भाषा विभाग के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है, जिसका कार्य राज्य में भाषाओं के संवर्धन, साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और भाषाई अध्ययन को बढ़ावा देना है। इसमें वर्तमान समय में चार कर्मचारी कार्यरत हैं, जो वर्षों से अपनी सेवा अवधि में वृद्धि की मांग कर रहे थे।

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समानता की दिशा में उठाया गया कदम

कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि भाषा विभाग के अन्य स्वायत्तशासी संस्थानों में पहले से ही 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु लागू है। ऐसे में भाषा संस्थान के कर्मचारियों के साथ समानता लाने हेतु यह निर्णय जरूरी हो गया था। सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सभी स्वायत्त संस्थानों के बीच सेवा शर्तों में कोई असमानता न रहे।

आदेश की कानूनी प्रक्रिया पूर्ण

सुरेश खन्ना ने बताया कि यह निर्णय 12 अगस्त 2013 को राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत लिया गया है। इस आदेश में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि किस प्रकार से स्वायत्त संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाया जा सकता है। भाषा संस्थान ने सभी प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं को पूरा किया, जिसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा गया और सर्वसम्मति से पारित किया गया।

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कर्मचारियों को मिलेगा प्रत्यक्ष लाभ

इस निर्णय से न केवल कर्मचारियों को दो वर्षों की अतिरिक्त सेवा का अवसर मिलेगा बल्कि उन्हें आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा। पेंशन, ग्रेच्युटी एवं अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की गणना भी अब 60 वर्ष के आधार पर की जाएगी, जिससे उनका कुल परिलब्धि पैकेज बढ़ जाएगा। साथ ही, संस्थान को भी अनुभवयुक्त स्टाफ की सेवाएं और अधिक समय तक प्राप्त होंगी, जिससे कार्यों की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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राज्य में भाषाई संरक्षण और संवर्धन को मिलेगा बढ़ावा

उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान न केवल हिंदी, बल्कि उर्दू, संस्कृत, अवधी, ब्रज, बुंदेली जैसी स्थानीय भाषाओं के विकास और संरक्षण का कार्य करता है। यह संस्थान समय-समय पर भाषाई संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और शोध प्रकाशनों का आयोजन करता है। कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ने से इन गतिविधियों को स्थायित्व मिलेगा और संस्थागत स्मृति का संरक्षण संभव हो पाएगा।

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भविष्य की दिशा में नई संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय एक उदाहरण स्थापित करेगा और अन्य राज्यों के भाषा एवं साहित्य संस्थानों को भी प्रेरित करेगा। साथ ही, यह संकेत भी देता है कि योगी सरकार भाषाई और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति गंभीर है। भविष्य में यदि संस्थान का दायरा बढ़ाया जाता है या कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि होती है, तो यह निर्णय एक मील का पत्थर साबित होगा।

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कर्मचारी संगठनों ने जताया आभार

भाषा संस्थान के कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का आभार व्यक्त किया है। कर्मचारियों का कहना है कि यह निर्णय उनकी वर्षों की मेहनत और संस्थान में दिए गए योगदान को मान्यता देने जैसा है।