
Electricity Workers Protest (फोटो सोर्स : Electricity Employees Organization )
UP Power Corporation Privatization Protest: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने राज्य सरकार और विद्युत निगम के निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। वहीं, दिवाली पर्व को देखते हुए उन्होंने यह भी संकल्प लिया कि उपभोक्ताओं को पूरा और निर्बाध बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने रविवार को लखनऊ में मंथन शिविर का आयोजन किया। इस दौरान यह फैसला लिया गया कि निजीकरण का प्रस्ताव किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा और इसे खारिज किए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। शिविर में यह भी तय हुआ कि 16 अक्टूबर को सभी जिलों में संघ की आमसभा आयोजित की जाएगी, ताकि आगामी रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सके।
शिविर में अभियंताओं ने अब तक के आंदोलन की समीक्षा की और पावर कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा की। कहा गया कि कॉर्पोरेशन प्रबंधन उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रहा है। कभी स्मार्ट मीटर, कभी निजीकरण के नाम पर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है। इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा,” संघ के वरिष्ठ नेताओं ने कहा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के बाद कर्मचारियों को दिए जा रहे तीन विकल्पों पर चर्चा हुई। सर्वसम्मति से तीनों विकल्पों को खारिज कर दिया गया। संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर, आलोक श्रीवास्तव और जगदीश पटेल ने लखनऊ की व्यवस्था को फ्रेंचाइजी के जरिए चलाने की निंदा की। उनका कहना था कि यह उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के हितों के खिलाफ है।
प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद सहित कई संगठनों ने इसका हर स्तर पर विरोध करने का ऐलान किया है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड मीटर चुनने का अधिकार है। बावजूद इसके, बिजली कंपनियां संशोधन विधेयक का हवाला देकर उपभोक्ताओं के इस अधिकार का हनन कर रही हैं।
प्रदेश में अब तक लगभग 43.44 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें से करीब 20.69 लाख मीटर को बिना उपभोक्ताओं की अनुमति के प्रीपेड में बदल दिया गया। उपभोक्ताओं को यह बताया जा रहा है कि संशोधित विधेयक के अनुसार प्रीपेड मीटर अनिवार्य किया गया है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि “विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में स्पष्ट रूप से उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का अधिकार दिया गया है। किसी भी तरह के बदलाव का प्रस्ताव संशोधन विधेयक 2025 में नहीं है। बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं। इसका हर स्तर पर विरोध होगा। जबरन स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना अधिनियम और उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने विद्युत नियामक आयोग से मांग की कि वह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करें और चेक मीटर घोटाले की भी जांच कराए।
शिविर में यह निर्णय लिया गया कि बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं का आंदोलन निजीकरण प्रस्ताव खारिज होने तक जारी रहेगा। निजीकरण के प्रस्ताव से कर्मचारी अपनी भविष्य सुरक्षा और रोजगार स्थिरता को लेकर चिंतित हैं। संघ ने कहा कि किसी भी हालत में कर्मचारियों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। आंदोलन में प्रदर्शन, आमसभा और सरकार को ज्ञापन देने जैसी गतिविधियां शामिल होंगी। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण की वजह से कर्मचारी अपने कैरियर और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो सकते हैं। यही कारण है कि आंदोलन को अब और तेज किया जाएगा।
हालांकि आंदोलन तेज किया जाएगा, लेकिन दिवाली पर्व पर बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। संघ ने यह स्पष्ट किया कि उपभोक्ताओं को निर्बाध और भरपूर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। संघ के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि हम उपभोक्ताओं के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति संवेदनशील हैं। दिवाली के दौरान बिजली कटौती की कोई संभावना नहीं है। 16 अक्टूबर को सभी जिलों में आमसभा के जरिए यह योजना अंतिम रूप लेगी और आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
संघ और उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि निगम प्रबंधन उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के हितों की अनदेखी कर रहा है। निगम स्मार्ट मीटर और निजीकरण के नाम पर मनमानी कर रहा है। कर्मचारियों के विकल्पों को सीमित किया जा रहा है। लखनऊ में व्यवस्था को फ्रेंचाइजी के जरिए चलाने की निंदा की गई।
विद्युत कर्मचारियों और अभियंताओं के आंदोलन ने राज्य सरकार और निगम पर कानूनी और सामाजिक दबाव बढ़ा दिया है। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन न हो। विद्युत नियामक आयोग को भी स्थिति का निरीक्षण कर उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा करनी होगी। संशोधन विधेयक 2025 के तहत किसी भी तरह के जबरन बदलाव पर रोक लगाई जानी चाहिए।
Published on:
13 Oct 2025 01:48 pm
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