
डॉक्टर होंगे निलंबित, ओपीडी से गायब मिले तो CMS भी जिम्मेदार (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)
UP Government Warns: उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था और मरीजों के शोषण पर कड़ा रुख अपनाया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि अब किसी भी सरकारी डॉक्टर को बाहर की महंगी दवा सादी पर्ची पर लिखते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ सीधी कार्रवाई होगी और वह निलंबन तक भी पहुंच सकती है। साथ ही, ओपीडी समय में डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर चिकित्सा अधीक्षक (CMS) और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMO) भी बराबर की जिम्मेदारी वहन करेंगे। शासन की यह सख्ती उन लगातार मिल रही शिकायतों का परिणाम है, जिनमें मरीजों ने आरोप लगाया कि कई डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध दवाओं के बजाय बाहर की महंगी ब्रांडेड दवाएं लिखकर अनावश्यक बोझ डालते हैं।
उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन (UPMSC) द्वारा पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को लगभग 200 से अधिक दवाएं लगातार उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा जन औषधि केंद्र भी संचालित हैं, जहाँ जेनेरिक दवाएं बहुत कम कीमत पर उपलब्ध होती हैं। इन सभी के बावजूद कुछ डॉक्टर अस्पताल की सरकारी पर्ची में कुछ दवाएं भरकर फिर सादी पर्ची पर महंगी कंपनियों की दवाएं लिख देते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ऐसी प्रथाएं न केवल सरकारी संसाधनों की अवहेलना हैं, बल्कि गरीब मरीजों के साथ आर्थिक अन्याय भी है। कई बार मरीजों को महंगी दवा खरीदने के लिए कर्ज लेना पड़ता है या इलाज ही बीच में छोड़ना पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित कुमार घोष ने स्पष्ट चेतावनी जारी की है ,कोई भी डॉक्टर यदि सादी पर्ची पर बाहर की दवा लिखता पाया गया, तो उसके खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई की जाएगी। आदेशों का पालन न करने पर किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि मरीजों को केवल अस्पताल में उपलब्ध दवाएं या फिर जन औषधि केंद्र की जेनेरिक दवाएं ही दी जाएं। यदि किसी दवा की कमी है, तो तत्काल विभाग को सूचित किया जाए।
अक्सर देखने में आता है कि कई अस्पतालों में निर्धारित समय पर डॉक्टर अपने कक्ष में मौजूद नहीं होते। कई डॉक्टर समय से पहले चले जाते हैं या अपने नर्सिंग होम, निजी क्लिनिक व अन्य कार्यों में लग जाते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस पर भी कड़ा रुख अपनाया है।
तो सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि CMS और CMO दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। क्योंकि प्रबंधन यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा सेवाएं सुचारू रूप से चलें।
अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि 15 नवंबर के बाद शासन-स्तरीय टीमें पूरे प्रदेश में औचक निरीक्षण शुरू करेंगी। ये निरीक्षण बिना पूर्व सूचना के होंगे, और टीम सीधे ओपीडी, आपातकाल, दवा वितरण केंद्र और अन्य महत्वपूर्ण विभागों की जांच करेगी।
शासन ने सीएमएस और प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सुबह से दोपहर दो बजे तक तीन बार पूरे अस्पताल का अनिवार्य निरीक्षण करें और सभी कमियां तुरंत दूर कराएं।
सरकार ने मरीजों को भी अधिकार दिए हैं कि यदि कोई डॉक्टर बाहर की ब्रांडेड दवा लिखे ,सादी पर्ची का उपयोग करें, मरीज को अनावश्यक दवा खरीदने के लिए मजबूर करे
जिला स्वास्थ्य अधिकारी और यदि कोई कार्रवाई न हो, तो मरीज महानिदेशक (DG Health) को भी लिखित शिकायत भेज सकते हैं। शासन ने सुनिश्चित किया है कि हर शिकायत पर संज्ञान लिया जाएगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग अब ऐसे मामलों को केवल चेतावनी तक सीमित नहीं रखेगा। यदि कोई डॉक्टर बार-बार आदेशों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो:
प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में मरीजों से मिली शिकायतों की संख्या बढ़ी है। कई डॉक्टर कमीशन आधारित दवा कंपनियों से जुड़े पाए गए, महंगी दवाएं बेचने वाली कंपनियों से सौदे करते पाए गए ,सरकारी दवाओं को नजरअंदाज कर रहे थे। इन आरोपों के कारण अस्पतालों की छवि खराब हो रही थी। सरकार चाहती है कि गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, और इसलिए यह कठोर कदम जरूरी हो गया।
Published on:
07 Nov 2025 09:57 am
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