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UP Politics: 33 साल बाद कटेहरी में खिला कमल: भाजपा ने रचा इतिहास

UP Politics: धर्मराज निषाद ने सपा की शोभावती वर्मा को दी करारी शिकस्त, कटेहरी में भाजपा की ऐतिहासिक वापसी। BJP Comeback: Katehri Assembly Seat Turns Saffron After Three Decades

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 24, 2024

1991 से 2024 तक का सफर: भाजपा की संघर्ष गाथा

1991 से 2024 तक का सफर: भाजपा की संघर्ष गाथा

UP Politics: कटेहरी विधानसभा क्षेत्र ने 2024 के उपचुनाव में इतिहास रच दिया है। 33 साल बाद भाजपा ने यहां कमल खिलाया और धर्मराज निषाद ने सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा को करारी शिकस्त दी। यह जीत सिर्फ भाजपा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।

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1991 से 2024 तक का सफर: भाजपा की संघर्ष गाथा

कटेहरी में भाजपा की पिछली जीत 1991 में हुई थी, जब राम लहर के दौरान अनिल तिवारी ने यहां से जीत दर्ज की थी और उन्हें मंत्री पद से भी नवाजा गया। इसके बाद 33 वर्षों तक भाजपा को कटेहरी में जीत का स्वाद नहीं चखने मिला। 1993 में बसपा-सपा गठबंधन ने भाजपा को हराकर अपनी पकड़ मजबूत की।

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2002 से 2007 तक धर्मराज निषाद ने बसपा प्रत्याशी के तौर पर लगातार तीन बार जीत हासिल कर एक हैट्रिक बनाई। लेकिन 2009 के परिसीमन और 2012 के चुनावों के बाद राजनीति ने एक नया मोड़ लिया।

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2012 में सपा के शंखलाल मांझी ने पहली बार यहां जीत दर्ज की, और 2022 में लालजी वर्मा ने सपा के टिकट पर विजय प्राप्त की। लालजी वर्मा के सांसद बनने के बाद हुए इस उपचुनाव में भाजपा ने अपनी रणनीति में बड़े बदलाव किए और जीत हासिल की।

सीएम योगी की रणनीति बनी जीत का कारण

इस उपचुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति को दिया जा रहा है। सीएम योगी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाली और जनता तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश की। भाजपा ने बूथ स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा किया और हर वर्ग के मतदाताओं तक अपनी नीतियों को पहुंचाया।

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धर्मराज निषाद की जीत यह साबित करती है कि जनता ने भाजपा की नीतियों पर भरोसा जताया है। यह जीत भाजपा के लिए सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत आधार है।

धर्मराज निषाद: संघर्ष से सफलता तक का सफर

धर्मराज निषाद जो पहले बसपा के साथ थे, ने 2002, 2007 में बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2024 में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया, और उनकी पुरानी लोकप्रियता और भाजपा की रणनीति ने मिलकर इस जीत को संभव किया।

भाजपा के लिए क्या मायने रखती है यह जीत?

राजनीतिक वापसी: 33 साल बाद कटेहरी में भाजपा की जीत ने यह साबित कर दिया है कि पार्टी के पास हर चुनौती का समाधान है।
मिशन 2024: यह जीत लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा के लिए मनोबल बढ़ाने वाली है।
सपा-बसपा गठबंधन को झटका: यह उपचुनाव दिखाता है कि सपा-बसपा के पारंपरिक गढ़ में भाजपा अपनी पैठ मजबूत कर रही है।

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आंकड़ों में कटेहरी उपचुनाव

भाजपा प्रत्याशी: धर्मराज निषाद
सपा प्रत्याशी: शोभावती वर्मा
विजयी अंतर: लगभग 17,000 वोट

भविष्य की राजनीति पर प्रभाव

कटेहरी में भाजपा की जीत आगामी चुनावों के लिए बड़ा संकेत है। यह दिखाता है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा उन क्षेत्रों में भी जीत दर्ज कर सकती है, जहां पार्टी लंबे समय से संघर्ष कर रही थी।

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कटेहरी विधानसभा में 33 साल बाद भाजपा की जीत न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बदलने का संकेत है, बल्कि भाजपा के बढ़ते जनाधार का प्रमाण भी है। धर्मराज निषाद की इस ऐतिहासिक जीत ने न सिर्फ कटेहरी, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई ऊर्जा भर दी है।