UP Political Change: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर से करवट लेती नजर आ रही है। पूर्व मंत्री और समाजवादी नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक नया राजनीतिक गठबंधन 'लोक मोर्चा' के गठन की घोषणा करके राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। इस गठबंधन में कुल नौ छोटे-बड़े दलों ने हिस्सा लिया है और सभी ने सर्वसम्मति से स्वामी प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है। यह गठबंधन आगामी चुनावों में सामाजिक न्याय, समावेशिता और बहुसंख्यक वंचित वर्गों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का दावा कर रहा है।
लोक मोर्चा का उद्देश्य प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देना है। गठबंधन का मूल मंत्र 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' स्पष्ट रूप से यह बताता है कि यह समूह सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में संतुलन लाने के लिए प्रयासरत है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब राजनीति में केवल उच्च वर्गों और पूंजीपतियों का वर्चस्व नहीं चलेगा, बल्कि बहुसंख्यक पिछड़े, दलित और वंचित समाज को उनकी जनसंख्या के अनुपात में अधिकार और भागीदारी मिलनी चाहिए।
गठबंधन में शामिल दल और उनके नेता
इन सभी नेताओं ने एकजुट होकर मौर्य को अपना सर्वसम्मत नेता मानते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए प्रत्याशी घोषित किया है।
लोक मोर्चा का गठन ऐसे समय में हुआ है जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। ऐसे में यह नया मोर्चा विशेष रूप से ओबीसी, दलित और अन्य वंचित वर्गों को केंद्र में लाकर राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की सियासी पकड़ खासकर गैर-यादव पिछड़े वर्गों में अच्छी है, और वे सामाजिक न्याय की राजनीति के मजबूत पक्षधर माने जाते हैं। यदि गठबंधन की रणनीति सफल रही तो यह आने वाले विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन कई रंगों से भरा रहा है। वे बसपा में रहे, फिर भाजपा में शामिल हुए और बाद में समाजवादी पार्टी से जुड़े। उनकी छवि एक मजबूत ओबीसी नेता की रही है, जिन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय की वकालत की है। अब वे अपनी खुद की पार्टी 'अपनी जनता पार्टी' के माध्यम से 'लोक मोर्चा' की कमान संभालते हुए राज्य की राजनीति को नया मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं।
लोक मोर्चा अब प्रदेशभर में जनसभाएं, रैलियां और पदयात्राएं आयोजित करेगा। गठबंधन का लक्ष्य है कि वह हर जिले में संगठनात्मक मजबूती बनाए और युवाओं, किसानों, मजदूरों तथा महिलाओं को अपने साथ जोड़े। गठबंधन के प्रचार का केंद्र बिंदु रहेगा, सामाजिक भागीदारी, आरक्षण में समानता, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा तथा रोजगार के अवसर।
हालांकि भाजपा और सपा ने इस गठबंधन को गंभीर चुनौती मानने से इनकार किया है, लेकिन अंदरखाने इस नई राजनीतिक इकाई पर नजर जरूर रखी जा रही है। कांग्रेस और बसपा जैसी पार्टियों के लिए यह गठबंधन उनके संभावित वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।
Updated on:
12 Jun 2025 02:44 pm
Published on:
12 Jun 2025 02:43 pm