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Roadways Vs Daggamar: डग्गामार हटाओ, रोडवेज बचाओ: सड़कों पर उतरे परिवहन कर्मचारी

UP Roadways Staff Rise Against Illegal Private Transport:  राजधानी लखनऊ में रोडवेज कर्मचारियों ने डग्गामार प्राइवेट बसों और टैक्सियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पारिजात गेट से लेकर अवध बस स्टैंड तक कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि अवैध वाहनों पर तुरंत रोक लगे, ताकि सरकारी परिवहन व्यवस्था को बचाया जा सके।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Aug 05, 2025

डग्गामार के खिलाफ बगावत: लखनऊ में रोडवेज कर्मचारियों का सड़कों पर हंगामा फोटो सोर्स : Patrika

डग्गामार के खिलाफ बगावत: लखनऊ में रोडवेज कर्मचारियों का सड़कों पर हंगामा फोटो सोर्स : Patrika

Roadways Vs Private: लखनऊ की सड़कों पर सोमवार सुबह एक अलग ही नजारा देखने को मिला। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के कर्मचारियों ने पारिजात गेट से लेकर पुलिस चौकी तक डग्गामार वाहनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। "डग्गामार हटाओ, रोडवेज बचाओ" के नारों से आसमान गूंज उठा। कर्मचारियों का आक्रोश और गुस्सा इस कदर था कि कई बार यातायात भी प्रभावित हुआ।

अवैध परिवहन के खिलाफ बिगुल

प्रदर्शन कर रहे रोडवेज कर्मचारियों का आरोप है कि लखनऊ के बस स्टैंडों के बाहर और आसपास प्राइवेट टैक्सियों, मिनी बसों और अन्य अवैध वाहनों का जमावड़ा है जो नियमों को ठेंगा दिखाते हुए यात्रियों की खुलकर ढुलाई कर रहे हैं। खासकर अवध बस स्टेशन और कमता क्षेत्र डग्गामार वाहनों के गढ़ बन चुके हैं।

सवाल सवारी का, चोट आमदनी पर

प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था: "सवारी हमारी, आमदनी तुम्हारी क्यों?", "अवैध पर कार्रवाई कब?"। ये नारे सीधे तौर पर उस अन्याय की ओर इशारा कर रहे थे जो लंबे समय से रोडवेज कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है। रोडवेज कर्मियों का कहना है कि डग्गामार वाहन ना सिर्फ सरकारी परिवहन को आर्थिक नुकसान पहुँचा रहे हैं बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक हैं। इनके पास न फिटनेस सर्टिफिकेट होता है, न लाइसेंस की जांच, और न ही कोई यात्रा बीमा।

डग्गामारी नहीं, डग्गा-जाम!

कर्मचारियों ने 'डग्गामार' को 'डग्गा-जाम' करार दिया। उनका कहना है कि हर दिन बस अड्डे के बाहर अवैध स्टैंड बन चुके हैं जहाँ नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। यात्री भ्रमित होते हैं और सस्ते किराए की आड़ में असुरक्षित विकल्प चुन लेते हैं।

रोडवेज की हालत पतली

इस पूरी व्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान सरकारी परिवहन को हो रहा है। रोडवेज की बसें आधी खाली जा रही हैं, राजस्व में गिरावट आ रही है और स्टाफ की नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन की चुप्पी अब समर्थन जैसी लगने लगी है।

कर्मचारियों की तीन बड़ी मांगें

  • प्राइवेट ऑपरेटरों पर सख्त कार्रवाई हो: अवैध वाहनों को जब्त किया जाए, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएँ और स्टैंड संचालन पर निगरानी हो।
  • रोडवेज स्टाफ को सुरक्षा व सम्मान मिले: कई बार डग्गामार चालकों से रोडवेज स्टाफ का विवाद होता है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
  • नियमित जांच और निगरानी तंत्र विकसित किया जाए: परिवहन अधिकारियों को स्थायी निगरानी टीम बनानी चाहिए जो अवैध स्टैंड्स पर कार्रवाई करे।

प्रशासन पर सवालिया निशान

जब खुद परिवहन विभाग के कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं, तो यह न केवल उनकी पीड़ा दर्शाता है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर क्या कारण है कि डग्गामार वाहनों की भरमार के बावजूद शासन की ओर से कोई कठोर कदम नहीं उठाया जा रहा.

क्या मिली कोई प्रतिक्रिया

अभी तक परिवहन विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों की मानें तो उच्चस्तरीय बैठक की तैयारी हो रही है जिसमें कर्मचारियों की मांगों पर विचार किया जाएगा। लेकिन कर्मचारी चेतावनी दे चुके हैं कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन और व्यापक होगा।

वित्तीय नुकसान का खामियाजा

रोडवेज के सूत्रों के अनुसार, राजधानी लखनऊ में ही डग्गामार वाहनों के कारण प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो परिवहन निगम को दीर्घकालिक वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।

न्याय और नियमों की मांग

यह आंदोलन किसी वेतन वृद्धि या सुविधा को लेकर नहीं, बल्कि सिस्टम की गड़बड़ियों के खिलाफ है। रोडवेज कर्मचारी चाहते हैं कि उन्हें सम्मान से काम करने दिया जाए और सरकारी तंत्र के भीतर समान अवसर मिले।