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यूपी विधानसभा : मानसून सत्र आज से, गूंजेगा कानून व्यवस्‍था, नीट परीक्षा और नेम प्लेट का मुद्दा

UP Monsoon Session: यूपी विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। 5 दिन के इस सत्र में जोरदार हंगामे की संभावना है। विपक्ष खासतौर पर सपा-कांग्रेस मिलकर सरकार पर सवाल उठाने की तैयारी में हैं।

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लखनऊ

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Aman Pandey

Jul 29, 2024

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UP Monsoon Session: मानसून सत्र के दौरान महंगाई, कानून व्यवस्था और किसान जैसे पारंपरिक मुद्दों के साथ-साथ इस बार समाजवादी पार्टी नकल माफिया, नीट परीक्षा से जुड़े मामलों, कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने की बाध्यता, और बस्तियों पर बुलडोजर चलाने जैसे मुद्दों को भी उठाएगी। नए नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय इन विषयों पर सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे।

योगी सरकार मानसून सत्र के दौरान 30 जुलाई को अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेगी। इसमें कुंभ मेले के लिए अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए भी अतिरिक्त वित्तीय आवंटन की व्यवस्था की जाएगी। वित्तमंत्री सुरेश खन्ना मंगलवार को दोपहर 12:20 बजे इस बजट को प्रस्तुत करेंगे।

सपा के बागी विधायकों पर होगी सबकी नजर

इस सत्र में सपा के सात बागी विधायकों का रुख क्या होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। पहले मुख्य सचेतक रहे मनोज पांडेय, जो सपा के साथ हैं, उनका क्या रुख रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। वे सदन में सपा विधायकों के साथ बैठेंगे या कहीं और, और सपा के सवालों और विरोध का समर्थन करेंगे या नहीं, यह भी एक प्रश्न है। अखिलेश यादव इन बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की कोशिश में हैं। सपा विधायक पल्लवी पटेल पहले ही पीडीए के मुद्दे पर असहमति जता चुकी हैं, और संभव है कि कुछ अन्य बागी विधायक भी सदन में उपस्थित न हों। भाजपा का इन बागी विधायकों के प्रति रुख भी इसी सत्र में स्पष्ट होगा।

माता प्रसाद पांडेय होंगे नेता प्रतिपक्ष

सदन में इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का स्वरूप बदला हुआ दिखाई देगा। अखिलेश यादव और लालजी वर्मा, जो अब सांसद हैं, सदन में उपस्थित नहीं होंगे। उनकी जगह नेता प्रतिपक्ष के रूप में माता प्रसाद पांडेय दिखेंगे।

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सदन में मंत्री जितिन प्रसाद भी नहीं होंगे क्योंकि वह केंद्रीय मंत्री हो चुके हैं। रालोद, निषाद पार्टी व भाजपा को मिला कर एनडीए के पांच विधायक भी अब सांसद बन गए हैं। चूंकि हर छह माह में विधानसभा सत्र होना जरूरी है। इस संवैधानिक बाध्यता के चलते यह सत्र बुलाया गया। संभव है विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के लिए कोई पहल हो।