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UP Assembly Elections: क्या बीजेपी Vs सपा होगा 2022 का चुनाव?

लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या गठबंधन उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा बदलाव लाने वाला है।

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लखनऊ

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Nitish Pandey

Aug 08, 2021

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लखनऊ. यूपी में महज कुछ ही महीने के बाद विधानसभा का चुनाव (UP Assembly Elections) होने जा रहा है। यूपी के आम चुनाव पर पूरे देश की नजर होगी। उत्तर प्रदेश का चुनाव कई पार्टियों के लिए बेहद निर्णायक होने वाला है। राजनीतिक दलों के सामने करो या मरो जैसी स्थिति है। यूपी की जनता के मन में क्या है इसका जवाब तो तब मिलेगा जब परिणाम घोषित होगा, लेकिन उससे पहले ये जानना जरुरी है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के राजनीतिक दलों (Political Partys) के मन में क्या है। इन पार्टियों के मुखियाओं के मन में क्या चल रहा है और उत्तर प्रदेश में किस प्रकार का चक्रव्यूह रचा रहा है।

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बीजेपी से लड़ेगी सपा: अखिलेश

हाल ही में सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पीटीआई को एक इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में अखिलेश ने कहा था कि बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) ये तय करें कि उसे किससे लड़ना है। समाजवादी पार्टी से या फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से। सपा ने बीजेपी से लड़ने का निश्चय किया है। अखिलेश यादव के मन में ये बात क्यों आई ? क्या वाकई उत्तर प्रदेश में वैचारिक गठबंधन की आवश्यकता है? क्या बीजेपी को हराने के लिए कोई महागठबंधन बनेगा यूपी में ? या फिर वैचारिक तौर पर उत्तर प्रदेश में सभी विपक्षी पार्टियों में बीजेपी के खिलाफ कोई एकता बनेगी ? कई बार ये सवाल पूछा जा चुका है।

कांग्रेस के पास खुला है गठबंधन का विकल्प

पिछले महीने कांग्रेस (Congress) की महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) यूपी दौरे पर आईं थीं। पत्रकारों ने जब प्रियंका गांधी से गठबंधन पर सवाल किया तो उन्होंने गठबंधन के सवाल को सिरे से खारिज नहीं किया और ये भी नहीं कहा कि गठबंधन करेंगे। यानी विकल्प कांग्रेस ने भी खुले रखे हैं।

क्या कोई गुल खिलाएगा गठबंधन ?

अखिलेश यादव को देख लें या कांग्रेस को देख लें या फिर मायवती (Mayawati) को देख लें...इन तीनों के आपस में गठबंधन के अनुभव ठीक नहीं है। इसीलिए अखिलेश यादव बार-बार कहते हैं कि किसी बड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। तो क्या उत्तर प्रदेश में छोटी-छोटी पार्टियों का कोई गठबंधन बनेगा जो बीजेपी को शिकस्त देने के लिए पर्याप्त हो ? क्या बीजेपी को हराना है तो गठबंधन बनाना है ? क्या चल रहा है कि विपक्ष के मन में। और क्या ये गठबंधन की राजनीति उत्तर प्रदेश में कोई गुल खिलाएगी।

कितना कमाल करेगी यारी ?

बीजेपी के पास अभी सिर्फ अपना दल (Apna Dal) है। निषाद पार्टी (Nisad Party) ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है। ओमप्रकाश राजभर (OM Prakesh Rajbhar) के संयुक्त भागीदारी मोर्चा में बिखराव दिख रहा है। वो किसके साथ जा रहे हैं ये अभी तक साफ नहीं हुआ है, लेकिन ऐसी तस्वीर साफ हो रहा है कि ओमप्रकाश राजभर के साथ जा रहे हैं। लेकिन तब एआईएमआईएम(AIMIM) के ओवैसी (Owaisi) की क्या भूमिका होगी। मुसलमानों के बीच ओवैसी की भूमिका को लेकर बड़ी गंभीर चर्चा है। अगर ओवैसी अकेले चुनाव लड़ने जाते हैं तो सपा, बसपा या विपक्ष को कितना नुकसान पहुंचेगा या वो अपनी पार्टी को कितना फायदा पहुंचाएंगे। वहीं दूसरी बात कि ओवैसी को कोई भी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने साथ लेने को तैयार क्यों नहीं है? यह एक बड़ा प्रश्न है। कोई ओवैसी को अपनाना नहीं चाह रहा है। कारण क्या है ?

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कौन जाएगा किसके संग ?

लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या गठबंधन उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा बदलाव लाने वाला है। और अखिलेश यादव ने ये बयान क्यों दिया कि बसपा और कांग्रेस ये तय करें कि वो किससे चुनाव लड़ना चाहते है। इस बयान के राजनीतिक मायने बहुत है। आम आदमी पार्टी का यह लगभग तय है कि वो समाजवादी पार्टी के साथ जाएगी क्योंकि पिछले दिनों जिस तरह संजय सिंह और अखिलेश यादव की तस्वीरें सामने आई थी उससे ये साफ है कि देर-सबेर आप आदमी पार्टी सपा के साथ जाएगी। शिवपाल यादव भी करीब-करीब समाजवादी पार्टी का ही हिस्सा बनेंगे यह भी स्पष्ट है। यानी उत्तर प्रदेश में दो पाले खिच रहे हैं। एक पाला वो है जो बीजेपी के साथ है दूसरा पाला वो है जो समाजवादी पार्टी के साथ है।

2022 की जीत की सियासी तैयारी

बीएसपी ये साफ कर चुकी है कि वो किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। ऐसी चर्चाएं है कि ब्राह्मण बीजेपी से नाराज हैं शायद यहीं वजह की बसपा और सपा दोनों ब्राह्मणों को साथ जोड़ने लिए प्रयास कर रही है। इसीलिए गठबंधन का स्वरुप बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं, पश्चिमी यूपी की काफी सीटों पर आरएलडी (RLD) का बड़ा प्रभाव है। प्रभाव किसान आंदोलन की वजह से हुआ है। बीजेपी के लिए विपक्षी दलों के साथ-साथ किसान आंदोलन (Kisan Andolan) भी एक बड़ा संकट है। क्योंकि सितंबर से किसान आंदोलन और तेज होने जा रहा है। तो जाहिर सी बात है कि नुकसान बीजेपी का ही होगा।

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