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Yogi Sarkar: स्टाम्प वादों से मिलेगा छुटकारा: योगी सरकार की नई समाधान योजना लागू

Yogi Sarkar: योगी सरकार ने प्रदेश में लंबित 53,631 स्टाम्प वादों के समाधान के लिए "स्टाम्प वाद समाधान योजना" शुरू की है। यह योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी, जिसमें पक्षकार केवल मूल स्टाम्प शुल्क जमा कर जुर्माने और अर्थदंड से छुटकारा पा सकते हैं। यह पहल न्यायालयों का भार कम करेगी।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 24, 2024

31 मार्च 2025 तक मिलेगी राहत,स्टाम्प शुल्क भुगतान कर पाएं मुकदमों से निजात

31 मार्च 2025 तक मिलेगी राहत,स्टाम्प शुल्क भुगतान कर पाएं मुकदमों से निजात

Yogi Sarkar: योगी सरकार ने प्रदेश में लंबित स्टाम्प वादों के समाधान के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए "स्टाम्प वाद समाधान योजना" को लागू किया है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के हजारों लंबित मामलों का निपटारा किया जाएगा, जिसमें पक्षकार स्टाम्प शुल्क जमा कर मुकदमों से मुक्त हो सकते हैं। योजना के तहत कोई भी पक्षकार अर्थदंड और जुर्माने से बचाव कर सकता है। यह योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी।

समाधान योजना के लाभ

अर्थदंड से छूट: पक्षकारों को स्टाम्प शुल्क जमा करने पर अर्थदंड या जुर्माने का भुगतान नहीं करना होगा।
समय की बचत: लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा होगा।
आर्थिक राहत: देरी से होने वाले ब्याज के भुगतान से छुटकारा।
सरकार को राजस्व वसूली में मदद: स्टाम्प शुल्क की राशि समय पर प्राप्त होगी।

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स्टाम्प मामलों की स्थिति

वर्तमान में उत्तर प्रदेश के विभिन्न राजस्व न्यायालयों में कुल 53,631 स्टाम्प विवाद लंबित हैं। इन मामलों का वर्गीकरण इस प्रकार है:
मंडलीय राजस्व न्यायालय: 4,553 मामले
जिलाधिकारी राजस्व न्यायालय: 8,169 मामले
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व): 17,643 मामले
सहायक आयुक्त स्टाम्प: 22,731 मामले
सीसीआरए (प्रयागराज): 535 मामले

कैसे मिलेगा छुटकारा?

स्टाम्प वाद समाधान योजना के तहत पक्षकारों को केवल मूल स्टाम्प शुल्क जमा करना होगा। शुल्क जमा करने के बाद न्यायालय निस्तारण का आदेश जारी करेगा और पक्षकार मुकदमे से मुक्त हो जाएंगे।

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सरकार की मंशा
इस योजना का उद्देश्य न केवल लंबित मामलों का निपटारा करना है, बल्कि राजस्व वसूली को भी समयबद्ध करना है। इस पहल से प्रदेश के न्यायालयों में मामलों का बोझ कम होगा और नागरिकों को त्वरित राहत मिलेगी।
राजस्व विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देगी। इससे पक्षकारों का समय और पैसा दोनों बचेगा।