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बारिश के बाद बढ़े सर्पदंश के मामले, 30 दिनों में 28 हुए शिकार, एेसे करें बचाव

Snake Bite: मानसून (Monsoon) आते ही छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद (Mahasamund) में सर्पदंश (Snake Bite) के मामले भी बढ़ गए हैं।

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नहरी क्षेत्रों में बढऩे लगी सर्प दंश की घटनाएं

महासमुंद. मानसून (Monsoon) आते ही छत्तीसगढ़ के महासमुंद में सर्पदंश (Snake Bite) के मामले भी बढ़ गए हैं। इसकी वजह से खतरा भी बढ़ गया है। 15 जून से अब तक 28 लोग सर्पदंश का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंच चुके हैं। हालाकि जिला अस्पताल में किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन झाडफ़ूंक व रेफर करने से जान जा चुकी है। अप्रैल से 20 जुलाई तक 38 सर्पदंश के मामले सामने आए हैं। अप्रैल में 4, मई में 6 और जून में 14 और जुलाई में 14 केस आए हैं।

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बारिश के बाद जमीन के अंदर बिल बनाकर रहने वाले सांप बाहर आ जाते हैं। बिल में पानी भर जाने के बाद सांप रहवासी क्षेत्रों में प्रवेश करने लगते हैं। इसे देखते हुए सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दवाएं भी उपलब्ध करा दी गई है। जिला अस्पताल में 145 एंटी स्नेक विनम उपलब्ध हैं। हालांकि एंटी वेनम दवाइयों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में इसके लिए व्यवस्था नहीं है।

बाजार में एंटी वेनम दवाएं लगभग 350 रुपए में मिलती है। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को होती है। वहां अस्पताल पहुंचने के लिए संसाधन नहीं होते हैं। इसके अलावा आस-पास अच्छे अस्पताल भी नहीं होते हैं। इसकी वजह से ग्रामीणों की मौत हो जाती है। जंगल और ग्रामीण क्षेत्रों में सांप के डसने से होने वाली मौत की वजह से कई बार सही आंकड़े भी नहीं आ पाते हैं। ग्रामीणों का बिना जांच किए ही अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।

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जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में पहुंचने वाले को दवा दी जाती है, उसके बाद उन्हें रायपुर रेफर कर दिया जाता है। कई लोगों की जानें बच जाती है, तो कई लोगों की मौत हो जाती है। डॉक्टर्स लोगों को बारिश के मौसम में जमीन पर न सोने और बैगा, गुनिया से इलाज नहीं कराने की अपील लोगों से कर रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता का अभाव
सांप काटने के बाद अक्सर ग्रामीण झाडफ़ूंक और बैगा गुनिया का सहारा लेते हैं। इसकी वजह से कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। देर से अस्पताल पहुंचने की वजह से लोगों की मौत हो जाती है। बारिश के दिनों में सरकार की ओर से ग्रामीणों को जागरूक भी नहीं किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में बिच्छू और सांप काटने की शिकायत ज्यादा आती है। खेतों में कार्य करने वाले किसान व कच्चे मकानों में रहने वाले लोग इसके ज्यादा शिकार होते हैं। इसके अलावा कई लोग सांप को भगाने के चक्कर में सांप का शिकार हो जाते हैं।

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लोगों को सतर्क रहना चाहिए
जिला अस्पताल के सीएस आरके परदल ने बताया, जिला अस्पताल में स्नेक बाइट से किसी की जान नहीं गई है। अप्रैल से अब तक 38 मामले आए हैं। हमारे पास 145 दवा अभी उपलब्ध है। बारिश के दिनों में लोगों को सतर्क रहना चाहिए। Snake bite

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