
किसान ने की आत्महत्या, परिजनों ने सींचपाल पर लगाया रिश्वत लेने का आरोप
महोबा. बुंदेलखंड में किसानों का सरकारी मशीनरी के द्वारा शोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। नतीजतन किसान आये दिन आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। ताजा मामला महोबा के सिंचाई विभाग कार्यालय से जुड़ा है। जिसमें तैनात सींच पर्यवेक्षक ने किसान से अधिग्रहीत भूमि मुआवजा दिलाने के एवज में 50,000 की रिश्वत लेने के तीन माह बाद भुगतान न होने से परेशान किसान ने घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। फिलहाल किसान के परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
जानिए क्या है पूरा मामला
बीते एक दशक से दैवीय आपदाओं ओर सूखे से बेहाल अन्नदाताओं की मुसीबतें निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। शासन की बुंदेलखंड के किसानों को दी जाने वाली सिंचाई जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को सिंचाई विभाग के अधिकारी ओर कर्मचारी धरातल पर उतरने से पहले ही जमीदोज करने में लगे हुए हैं। दरअसल कबरई थाना क्षेत्र के गंज गांव में रहने वाला 65 बर्षीय किसान विशाल सिंह की कबरई बांध उच्चीकरण को लेकर सिचाई विभाग महोबा ने जमीन अधिग्रहित की थी जिसकी रजिस्ट्री होने के 3 माह बाद भी लाभार्थी किसान को भूमि मुआवजा नहीं मिल सका है।
सींच परवेक्षक ने मांगी 50 हजार रिश्वत
मृतक किसान लगातार सिंचाई विभाग कार्यालय के चौखट पर चक्कर लगाते लगाते थक गया था। तभी उसकी मुलाकात सिंचाई विभाग में तैनात सींच परवेक्षक सुगर सिंह से हो गई थी। तभी सुगर सिंह ने किसान से भूमि मुआवजा दिलाने के एवज में 50 हजार की रिश्वत ले ली थी। रिश्वत देने के 3 माह बाद भी किसान को अधिग्रहित भूमि का कोई मुआवजा राशि प्राप्त नहीं हो सकी। जिसको लेकर किसान बेहद परेशान हो गया था। सरकारी मशीनरी द्वारा किसान की 15 बीघा जमीन अधिग्रण के बाद भी मुआवजा राशि से महरूम किसान विशाल सिंह ने घर के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
जिला अधिकारी ने कहा यह
डीएम अवधेश कुमार तिवारी ने बताया कि एक किसान द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। सदर तहसीलदार को भेज मामले की जांच की कराई गई। जिसमें किसान की अधिग्रहीत जमीन का करीब 49 लाख मुआवजा दिया जा चुका है। जबकि बैंक कर्ज के चलते कुछ जमीन बंधक है। जिसको लेकर किसान से जमा करने की बात कही गई थी, जिसके 9 लाख रुपये मात्र देना शेष है।
Published on:
16 Jul 2019 10:10 pm
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