23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब आपके शहर के पार्कों में चहलकदमी करते दिखेंगे कान्हा नेशनल पार्क के चीतल, देखें अद्भुत नजारा

ढाई माह में 74 चीतल नौरादेही टायगर रिजर्व पहुंचाए गए, सागर के लिए 500 चीतल पहुंचाने की योजना बनाई गई है।

3 min read
Google source verification
news

अब आपके शहर के पार्कों में चहलकदमी करते दिखेंगे कान्हा नेशनल पार्क के चीतल, देखें अद्भुत नजारा

मंडला. कान्हा नेशनल पार्क के चीतल सागर समेत अन्य पार्कों में चहल कदमी करते दिखाई देंगे। इसकी शुरूआत ढाई महीनेपहले ही हो चुकी है। नए साल के साथ तीसरे शिफ्ट में 27 चीतलों को रवाना किया गया। जानकारी के अनुसार कान्हा नेशनल पार्क से प्रदेश के अन्य नेशनल पार्को में आबाद करने के उद्देश्य से चीतल शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है।

योजना के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व से 500-500 चीतलों को नोरादेही, खिमनी सेंचरी देवास और गांधी सागर सेंचरी में शिफ्ट करने की योजना है। चीतलों को शिफ्ट करने के पहले चरण में नौरादेही टाइगर रिजर्व सागर को चुना गया है। प्रथम चरण में तीन महीने के भीतर कुल 74 चीतलों को नौरादेही टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा चुका है। बता दें कि नौरादेही अभयारण्य सागर टाइगर रिजर्व बना है। कान्हा में बोमा कैप्चरिंग तकनीक से 19 मादा चीतल 8 नर चीतल को विशेष वाहनों में भेजा गया।

यह भी पढ़ें- Cheetah Cube : कूनो की आशा ने दी बड़ी खुशखबरी, 3 शावकों को दिया जन्म, देखें पहली झलक


बोमा तकनीक से की जाती है कैप्चरिंग

जानकारी अनुसार मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से 2 जनवरी को विशेष वाहन से 27 चीतलों को नौरादेही अभयारण्य सागर के लिए रवाना किया गया। यहां संबंधित अधिकारीयों की मौजूदगी में इन चीतलों को नौरादेही अभयारण्य में रिलीज किया गया। बताया गया कि चीतलों को कैप्चर करने के लिए बोमा तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इन्हें बोमा के अंदर ले जाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। वन्य प्राणियों के इस तरह के ऑपरेशन के लिए लंबे समय से तैयारी की जाती है। जंगल के ऐसे क्षेत्र में पहले से बोमा तैयार कर लिया जाता है, जहां शाकाहारी वन्य प्राणियों का समूह मिलता है। ये वन्यप्राणी खुद घास चरते हुए बनाए गए बोमा के अंदर पहुंच जाते हैं। शिफ्टिंग योग्य संख्या में वन्यप्राणियों के बोमा के अंदर पहुंचते ही उसके दोनों मुहानों को बंद कर दिया जाता है। शिफ्टिंग के दौरान सकरे वाले मुहाने पर वाहन लगाकर वन्य प्राणियों को हांका जाता है जिससे वो वाहन में चढ़ जाते हैं।


ऐसे होती है बोमा कैप्चरिंग

बताया गया कि चीतल, हिरण और बारहसिंघा बेहद नाजुक वन्य प्राणी होते हैं, जिन्हें पकड़ना या टेंक्यूलाइज करना खतरे से खाली नहीं होता। जिसके कारण चीतल को बिना हाथ लगाए और बेहोश किए कैप्चर करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए वाई के आकार का एक अपारदर्शी बाड़ा तैयार किया जाता है, जिसका एक हिस्सा काफी चौड़ा और सामने से खुला होता है, वहीं दूसरा हिस्सा पतली गली सा होता है। पतली गली वाले हिस्से के मुहाने पर उस वाहन को लगा दिया जाता है जिसमें बारहसिंघा परिवहन किए जाने हैं। बाड़े के चौड़े वाले खुले हिस्से से बारहसिंघा अंदर प्रवेश कर जाते हैं और फिर उन्हें हांककर पतली गली वाले हिस्से की तरफ ले जाया जाता है, जिसके मुहाने पर खड़े वाहन में चीतल सवार हो जाते हैं।


कब कितने चीतल किए गए शिफ्ट ?

फील्ड डॉयरेक्टर एसके सिंह ने बताया कि जिन क्षेत्रों में चीतल या शाकाहारी जानवरों की संख्या ज्यादा है और जहां इनकी संख्या कम है। वहां उनकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से पार्क के अंदर और अन्य पार्कों में चीतलों को स्थानांतरित किया जाता है। इसी उद्देश्य से कान्हा के पिछले ढाई माह में कान्हा के चीतलों को नौरादेही भेजा गया है, जिसमें कान्हा टायगर रिजर्व के किसली परिक्षेत्र से 15 अक्टूबर 2023 को 13 नर, 19 मादा चीतल, कान्हा टायगर रिजर्व के मुक्की परिक्षेत्र से 10 दिसंबर 2023 को 03 नर, 12 मादा चीतल और कान्हा मुक्की परिक्षेत्र से 02 जनवरी 2024 को 08 नर, 19 मादा चीतलों को नौरादेही टायगर रिजर्व सागर के लिए शिफ्ट किया गया है।