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सउदी अरब की टेंशन से कच्चे तेल की कीमतों पर होगा असर, 85 डॉलर तक जा सकते हैं दाम

locationनई दिल्लीPublished: Oct 18, 2018 08:17:12 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनाॅमिस्ट अभिक बरूआ के मुताबिक, हमारे हिसाब से इस टेंशन के खत्म होने के बाद कच्चे तेल का भाव 78 से 85 डाॅलर प्रति बैरल के आसपास ट्रेड करेगा।

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Petrol diesel prices fall by Rs 5

नर्इ दिल्ली। बीते सप्ताह अंतराष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल की कीमतों में हल्की कमी देखने को मिली। साप्ताहिक स्तर पर ब्रेंट क्रुड आॅयल में करीब 5 फीसदी तक की कमी रही। लेकिन अमरीका द्वारा र्इरान पर प्रतिबंध को लेकर नए रूख के बाद एक बार फिर कच्चे तेल के बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। गत मंगलवार से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गर्इ है। हाल ही में वाॅशिंगटन पोस्ट की एक काॅलम्निस्ट जमाल खशोगी सऊदी अरब के इस्तांबुल से लापता है। इसको लेकर अमरीका आैर सऊदी अरब एक दूसरे के प्रति तल्ख तेवर में दिखार्इ दे रहे हैं। कर्इ जानकारों का मानना है कि दोनों देशों के बीच चल रहे इस विवाद से वैश्विक तेल बाजार पर भी असर देखने काे मिल सकता है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में तेल की कीमतें इस बात पर भी निर्भर करेगा।


एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनाॅमिस्ट अभिक बरूआ के मुताबिक, हमारे हिसाब से इस टेंशन के खत्म होने के बाद कच्चे तेल का भाव 78 से 85 डाॅलर प्रति बैरल के आसपास ट्रेड करेगा। लेकिन यदि यह विवाद आगे आैर बड़ा होता है तो तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल के पार भी जा सकता है। डिमांड के हिसाब से देखें तो दुनियाभर की इक्विटी बाजार में अार्इ कमजोरी से वैश्विक ग्रोथ पर असर पड़ेगा। इन दोनों कारणों से कच्चे तेल के डिमांड में कमी आ सकती है। फिलहाल आसार इस बात के हैं कि कच्चे तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल के नीचे ही रहेगा। हालांकि यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि विवाद कितने कम समय के लिए रहता है या फिर आैर आगे बढ़ता है।


बाजार के लिए क्या हैं चिंता?

अक्टूबर माह के पहले सप्ताह तक तेल की कीमतों में लगातार सात हफ्तों से तेजी देखने को मिल रही थी। कच्चे तेल की कीमतों में ये तेजी अमरीका द्वारा र्इरान पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध को लेकर था। दरअसल इस बात की आशंका थी कि अमरीकी प्रतिबंध के बाद र्इरान से होने वाले तेल सप्लार्इ में कमी आ सकती है। इसके साथ दक्षिण अमरीकी देश वेनेजुएला में चल रहे आर्थिक संकट से भी तेल के भाव पर असर पड़ा है। अभीक बरूआ ने कहा कि तीन अक्टूबर को ब्रेंट क्रुड आॅयल का भाव जब 86 डाॅलर प्रति बैरल के पार पहुंचा तो कर्इ एनलिस्ट समेत हम भी इस तेल बाजार के अगले पड़ाव को लेकर चिंतित थे। हालांकि अभी भी हमारा मानना है कि तेल का भाव 100 डाॅलर प्रति बैरल के पार नहीं जा सकता है। कच्चे तेल के भाव को लेकर हमारे पहले के एनलिसिस से समझ आ रहा कि मौजूदा समय की तेजी कमोबेश साल 2009-11 जैसी ही रहेगी।

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तेल आपूर्ति की कमी से निवेशकी की चिंता बढ़ी

23 सितंबर काे आोपेक व नाॅन-आेपेक देशों के बीच हुए बैठक में तेल प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर कोर्इ फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन हाल ही में सऊदी अरब व रूस ने इस बात के तरफ इशारा किया है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बीच वो तेल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। इसके बाद भी निवेशक दो बात के लिए चिंतित है। पहला यह कि क्या आेपेक आैर उसके सहयोगी दल र्इरान आैर वेनेजुएला से तेल की सप्लार्इ में कमी की भरपार्इ कर सकते हैं आैर दूसरा यह कि आखिर कितनी जल्दी वो आउटपुट में बढ़ोतरी कर सकते हैं।


85 डाॅलर प्रति बैरल के से कितना अधिक बढ़ सकता है कच्चे तेल का दाम

एक बड़ा सवाल ये भी है कि कच्चे तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल के पार जाएगा या नहीं। यह मुख्यतः तीन बातों पर निर्भर करता है कि आखिर कच्चे तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल से कितना अधिक बढ़ सकता है। पहला यह कि र्इरान पर प्रतिबंध के बाद सप्लार्इ में आखिर कितनी कमी आती है। दूसरा यह कि आखिर किस हद तक आेपेक आैर नाॅन-आेपेक सदस्य इस कमी की भरपार्इ कर सकते हैं। सबसे अंतिम बात यह कि ट्रेड वाॅर व वित्तीय बाजार में मौजूदा कमजोरी से वास्तविक डिमांड पर क्या असर पड़ता है।


भारत पर र्इरान फैक्टर का क्या होगा असर ?

एक अांकड़े के मुताबिक पहले ही र्इरान से होने वाले तेल निर्यात में प्रतिदिन करीब 10 लाख बैरल तक की कमी आ चुकी है। जबकि भारत आैर चीन (र्इरान से कुल आयात का करीब 50 फीसदी कच्चा तेल आयात करते है) ने साफ कर दिया है वो अमरीकी प्रतिबंध के बाद भी र्इरान से तेल का अायात करते रहेंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पहले ही र्इरान से तेल आयात में कमी कर दी है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि वो अमरीकी प्रतिबंध के आगे नहीं झुकेगा। एेसे में कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रतिबंध का माैजूदा तेल के दाम पर पूरा असर देखना अभी बाकी है। भविष्य में कच्चे तेल को लेकर हमने जो दूसरे फैक्टर की बात की थी वो यह थी र्इरान पर प्रतिबंध के बाद आेपेक व नाॅन-अोपेक देश आखिर कितना भरपार्इ करते हैं। र्इरान के पास 13 लाख बीपीडी, रूस के पास 2 लाख बीपीडी आैर बाकी आेपेक दलों (र्इरान को छोड़कर) 1 से 2 लाख बीपीडी तेल सप्लार्इ की भरपार्इ करने के लिए है। लेकिन र्इरान के साथ-साथ वेनेजुएला से होने वाल संभावित कटौती से संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।

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इन फक्टर्स पर भी निर्भर रहेगा डिमांड

कच्चे तेल की डिमांड की स्थिति के बारे में बात करें तो यह सप्लार्इ से भी अधिक जटिल है। मौजूदा समय में दुनियाभर के इक्विटी बाजार में बिकवाली के दौर से निवेशक वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित दिखार्इ दे रहे हैं। ब्याज दरों में इजाफा, कर्इ अर्थव्यवस्थाआें में चल रही राजनीतिक उठापटक, डाॅलर में मजबूती व उभरती अर्थव्यवस्थाआें में कमजोरी कुछ एेसे फैक्टर्स हैं जो कि वैश्विक ग्रोथ के साथ-साथ कच्चते तेल डिमांड को भी प्रभावित करेगा। आश्चर्य की बात है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आर्इएमएफ) ने वैश्विक आर्थिक ग्रोथ के पूर्वानुमान में 2018 के मुकाबले 2019 में बदलाव किया है। आर्इएमएफ ने इस 3.7 फीसदी से बदलकर कर 3.9 फीसदी कर दिया है।

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