28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अमरीका से डेढ़ अरब डाॅलर का कच्चा तेल खरीदेगा आर्इआेसी, पहली बार हुआ वार्षिक करार

आर्इआेसी ने अमरीका के साथ 30 लाख टन क्रूड ऑयल खरीदने का समझौता किया। 30 लाख टन क्रूड ऑयल खरीदने पर करीब 1.5 अरब डॉलर की लागत आएगी। आईओसी पहली पीएसयू है, जिसने यूएस ओरिजिन क्रूड ऑइल ग्रेड के लिए कोई कॉन्ट्रैक्ट फाइल किया है।

2 min read
Google source verification

image

Saurabh Sharma

Feb 19, 2019

Crude oil price

अमरीका से डेढ़ अरब डाॅलर का कच्चा तेल खरीदेगा आर्इआेसी, पहली बार हुआ वार्षि करार

नई दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अमरीका के साथ पहली बार वार्षिक करार करते हुए डेढ़ अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदने की जानकारी दी है। एक अप्रैल से करीब 30 लाख टन अमरीकी कच्चा तेल आईओसी की रिफाइनरी तक पहुंचना शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि भारत की ओर से पहली बार 2017 में अमरीका से कच्चे तेल का आयात शुरू किया था। खास बात ये है कि पहली बार किसी भारतीय ऑयल कंपनी ने अमरीका के साथ इस तरह का वार्षिक करार किया है।

यह भी पढ़ें:-शेयर बाजार में लौटी बहार, सेंसेक्स में 127 अंकों की बढ़त, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को फायदा

करार की खास बातें
- 15 फरवरी को फाइनल हुआ कॉन्ट्रैक्ट।
- अमरीका के साथ 30 लाख टन क्रूड ऑयल खरीदने का समझौता किया।
- 30 लाख टन क्रूड ऑयल खरीदने पर करीब 1.5 अरब डॉलर की लागत आएगी।
- आईओसी पहली पीएसयू है, जिसने यूएस ओरिजिन क्रूड ऑइल ग्रेड के लिए कोई कॉन्ट्रैक्ट फाइल किया है।
- इससे पहले आईओसी ने अमरीका के साथ पिछले साल अगस्त में टर्म-टेंडर डील साइन की थी।
- नवंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच डिलीवरी के वादे के साथ कंपनी ने 60 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदने का समझौता किया था।

यह भी पढ़ें:-सरकार और देश का गणित बिगाड़ सकता है क्रूड ऑयल, आयात बिल हो सकता है दोगुना

ऑयल कंपनियों को नहीं विदेशी कंपनियों से करार करने की परमीशन
इससे पहले आईओसी और दूसरी सरकारी ऑयल कंपनियां अमरीका से स्पॉट मार्केट के जरिए टेंडर बेसिस पर कच्चे तेल खरीदती थीं। कंपनियां बोर्ड की मंजूरी के बिना खास अवधि या मात्रा में तेल खरीदने का समझौता नहीं कर सकतीं। अभी उन्हें विदेशी कंपनियों के साथ ऐसे कॉन्ट्रैक्ट करने की इजाजत नहीं है। आईओसी और बीपीसीएल-एचपीसीएल जैसी सरकारी कंपनियां खासतौर पर पश्चिम एशिया की राष्ट्रीय तेल कंपनियों के साथ तेल खरीदने के लिए सालाना करार करती हैं।