
Jewelers will make money by melting new jewelery during Corona era
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के दौर ( Coronavirus Era ) में गहनों की डिमांड ( Jewelery Demand ) भी काफी कम हो गई है। इसका अंदाजा मौजूदा वित्त वर्ष में के शुरुआती गोल्ड इंपोर्ट की गिरावट ( Gold Import Decline ) से साफ लगाया जा सकता है। ऐसे में ज्वेलर्स क्या करें? ज्वेलर्स का स्टॉक खत्म नहीं हो रहा है। ऐसे में अपने नुकसान की भरपाई के लिए पुरानी ज्वेलरी के साथ नई ज्वेलरी को पिघलाया ( Melting New Jewelery ) जा रहा है। जाकि मेकिंग चार्ज ( Gold Jewelery Making Charges ) को कम किया जा सके। साथ ही बचे हुए स्क्रैप से भी कमाई करने की योजना बना जा रही है।
अब नई ज्वेलरी को पिघलाकर करेंगे कमाई
जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में ज्वेलर्स अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए नई ज्वेलरी को भी पिघला रहे हैं। इससे पहले ज्वेलर्स पुरानी ज्वेलरी को पिघलाते थे। जो नई ज्वेलरी बेचने पर मिलती थी। जानकारों की मानें तो ऐसा ज्वेलर्स कोरोना वायरस के दौर में आई मंदी के कारण कर रहे हैं। क्योंकि इ दौर में नए गहनों की डिमांड काफी कम हो गई है। जिसकी वजह से उनका बिजनेस काफी प्रभ्भावित हुआ है। गहनों की बिक्री ना होने के कारण ज्वेलर्स के पास इंवेंट्रीज अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
बढ़ गया है स्क्रैप को पिघलाने का स्टॉक
मेटल फोकस में साउथ एशिया के प्रिंसिपल कंसल्टेंट चिराग शेठ के अनुसार मौजूदा समय में मेल्ट करने के लिए दो तरह के स्क्रैप आने शुरू हो गए हैं। अब तक, केवल पुरानी ज्वैलरी ही स्क्रैप में जा रही थी, लेकिन अब कई ज्वैलर्स ने ताजा ज्वैलरी स्टॉक भी पिघलाना शुरू कर दिया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष 119 टन के मुकाबले 2020 में 140 टन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की मेल्टिंग को भी संस्थागत रूप दिया जा रहा है, ताकि स्क्रैप अब रिफाइनरीज में सीधा जाए। पहले, यह आसपास की दुकानों या केंद्रों में पिघलाया जाता था।
समीक्षा करने का मिला समय
ओआरआरए के प्रबंध निदेशक दीपू मेहता ने कहा के अनुसार कोविड लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपनी रणनीति को समीक्षा करने और पोस्ट कोविड के बाद नई मांग की की समीक्षा करने का भी पूरा समय मिला है। उन्होंने बढ़ी हुई इन्वेंट्री को रेशनलाइज करने का तरीका कोई नया नही है।
नहीं कर पा रहे थे एक्सट्रा इंवेंट्रीज
कई बड़े चेन स्टोर पहले से ही सिंगल स्टोर्स में कम इन्वेंट्री पर काम कर रहे थे, लेकिन अपने खुद के आउटलेट से एक डिज़ाइन उपलब्ध होने पर दूसरे आउटलेट से व्यवस्था कर देते थे। हालांकि, छोटे और स्टैंडअलोन स्टोर जिनके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं था, वे ग्राहकों को बनाए रखने के लिए जहां भी संभव हो, उच्चतर इन्वेंट्री रख रहे थे। इस तरह के स्टोर जो ज्यादा ज्वेलरी को अफॉर्ड नहीं कर पा रहे थे, अब आभूषणों की एक्सट्रा इंवेंट्रीज को पिघलाने लगे हैं।
Updated on:
05 Jul 2020 06:47 pm
Published on:
05 Jul 2020 06:46 pm
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