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पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक से नहीं पड़ेगा कच्चे तेल की कीमतों पर कोई असर

पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक करने के बाद भारत के कच्चे तेल आयात पर नहीं पड़ेगा कोई असर। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का दौर। प्रति बैरल कच्चे तेल पर एक डॉलर की बढ़ोतरी से भारत के राजकोषीय घाटे पर 10,700 करोड़ रुपएका बढ़ता है बोझ।

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Crude Oil

पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक से नहीं पड़ेगा कच्चे तेल की कीमतों पर कोइ असर

नई दिल्ली। भारतीय एयरफोर्स द्वारा पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक करने से तेल आयात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तेल बाजार के जानकारों का कहना है कि इससे भारत के तेल आयात पर कोई असर नहीं दिखाई पड़ेगा। हाल ही में ओपेक देश व रूस ने तेल उत्पादन में कटौती की है और साथ ही अमरीका ने वेनेजुएला की एक प्रमुख तेल कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमरीका ने ईरान पर भी गत 4 नंवबर 2018 में प्रतिबंद्ध लगाया था। मौजूदा समय में डब्ल्यूटीआई व ब्रेंट क्रुड की कीमतों में नरमी देखने को मिल रही है। ऐसे में कच्चे तेल का बाजार पर कोई खास असर नहीं देखने को मिलेगा।

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कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है भारत का एनर्जी सेक्टर

देश के स्ट्रैटेजिक प्लानर्स को छोटी अवधि में तेल की कीमतों में अस्थिरता को लेकर चिंता है। इन्हें इसकी चिंता इसलिए भी है क्योंकि भारत एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रमुख तौर पर कच्चे तेल के आयात पर ही निर्भर है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत का इकलौता ट्राई-सर्विस कमांड अंडमान व निकोबार द्वीप स्थापित है जो कि दुनिया का सबसे व्यस्त रूट है। भारत सुमात्रा के उतरी छोर यानी सबांग द्वीप पर भी पहुंच बनाने के लिए प्रयास कर रहा है। यह द्वीप मलाक्का स्ट्रेट से भी नजदीक है। भारत को पड़ोसी देश चीन भी मलाक्का स्ट्रेट पर निर्भर है जो कि दक्षिणी चीन सागर व हिंद महासागर के बीच प्रमुख रूट है। इसी रूट से पश्चिमि एशिया से तेल आयात किया जाता है।

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कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत के राजकोषीय घाटे पर बुरा असर

दिल्ली के एक एनर्जी एक्सपर्ट के मुताबिक, दक्षिणी एशियाई देशों के लिए यह भौगोलिक सोर्सिंग प्वाइंट है। ऐसे में यदि पाकिस्तान इन रास्तों को बंद करने का प्रयास करता है तो इसमें वह सफल नहीं हो पाएगा। वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है जोकि अपनी कुल जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भारत के राजकोषीय घाटे पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। कच्चे तेल के भाव प्रति बैरल पर एक डॉलर की बढ़ोतरी से भारत के राजकोषीय घाटे पर एक साल में 10,700 करोड़ रुपए का असर पड़ता है। साल 201-18 में तेल आयात 25 फीसदी तक बढ़ा है। करीब एक साल पहले इससे भारत के राजकोषीय घाटे पर 109 अरब डॉलर का बोझ बढ़ गया है।

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एनर्जी रिजर्व के दूसरे चरण पर काम कर रही है सरकार

वैश्विक बाजार में इस साल यानी 2019 में कच्चे तेल की मांग 13.5 लाख बैरल प्रति रहने का अनुमान है। भारतीय बास्केट में कच्चे तेल का भाव जोकि ओमान, दुबई व ब्रेंट क्रुड का है, वो बढ़कर 66.19 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। यह आंकड़ा पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का है जोकि 25 फरवरी 2019 तक का आंकड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार एनर्जी सिक्योरिटी आर्किटेक्चर के तहत पेट्रोलियम रिजर्व के दूसरे चरण पर काम कर रही है। इस तरह के रिजर्व से भारत को अपने सप्लाई रिस्क को मजबूत करने में आसानी होगी।

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