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30 लाख टन कम हो सकता है दलहन के उत्पादन, कीमतों में हो सकता है इजाफा

260 लाख टन मांग के मुकाबले इस वर्ष 230 लाख टन दलहनों का होगा उत्पादन बारिश की वजह से उड़द की पैदावार में 40 से 50 फीसदी की कमी होने का अनुमान

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pulse production

Pulses production may be reduced by 30 lakh tons, prices may increase

नई दिल्ली। भारी बारिश की वजह से सिर्फ सब्जियों को ही नहीं नुकसान नहीं हुआ है। इसका असर दलहनों पर भी पड़ा है। जिसकी वजह से देश में मांग के मुकाबले दालों का उत्पादन ( Pulses Production ) 30 लाख टन कम होने का अनुमान है। आने वाले दिनों में दालों की कीमतों में इसका असर देखने को मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन ( India Pulse and Grains Association ) ने देश में पर्याप्त मात्रा में विभिन्न प्रकार की दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इन्हें आयात को कर मुक्त करने की मांग की है। आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में दलहनों की पैदावार में भारी वृद्धि हुई जिसकी वजह से आयात में काफी कमी आई थी।

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30 लाख टन कम होगी पैदावार
आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 230 लाख टन दलहनों के उत्पादन होगा जबकि मांग 260 लाख टन की है। ऐसे में 30 लाख टन दालों का आयात किया जाएगा। किसानों को दलहनों का बेहतर मूल्य मिले इसके लिए सरकार ने दालों की आयात सीमा निर्धारित कर दी है, जिसके कारण अधिक मात्रा में किसी खास प्रकार की दालों का आयात नहीं किया जा सके। देश में हरी मटर की सालों भर मांग रहती है, लेकिन इसके आयात पर जितने तरह का कर है उससे एक किलो आयातित हरे मटर का मूल्य 300 रुपए होगा। इसी प्रकार से देश में पीली मटर की दाल की भी भारी मांग है, लेकिन चने के उत्पादन में वृद्धि के कारण पीली मटर दाल के आयात सीमा पर रोक है।

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उड़द की दाल का उत्पादन होगा 50 फीसदी तक कम
भेदा और घेरपदे ने कहा कि इस वर्ष भारी वर्षा से उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ है। देश में औसतन करीब 30 लाख टन उड़द की पैदावार होती है, लेकिन इस बार इसके उत्पादन में 40 से 50 फीसदी की कमी होने का अनुमान है। उन्होंने हरे मटर, उड़द और पीली मटर दाल के आयात में कर प्रणाली समाप्त करने की मांग की।

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दलहन एसोसिएशन करा रही है महासम्मेलन
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का 12 से 14 फरवरी तक महाराष्ट्र के एम्बी वैली सिटी लोनावला में सम्मेलन हो रहा है, जिसमें देश की दलहन नीति, दलहन उत्पादन एवं इसके उपयोग, प्रसंस्करण, मूल्य संवद्र्धन, प्रोटीन की उपलब्धता, तथा कटाई के बाद प्रबंधन आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में करीब 1500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे जिनमें अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यंमार और अफ्रिकी देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दलों को लेकर सरकार को ऐसी योजना बनानी होगी जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित हों। एसोसिएशन सरकार के साथ मिलकर गरीबों को किफायती दर पर दालें उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है, ताकि मांग और उत्पादन के बीच संतुलन बनाया जा सके।