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जन्माष्टमी विशेष: मंदी की चपेट में आया श्रीकृष्ण का जन्मदिन, 90 फीसदी कारोबार ठप

Published: Aug 24, 2019 01:38:23 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

मंदी की चपेट में जन्माष्टमी के उत्सव का कारोबार
5000 हजार करोड़ रुपए का होता था कारोबार
करीब 2.5 लाख लोग इस व्यापार से सीधे तौर पर जुड़े हैं

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नई दिल्ली। पूरा देश में मंदी की चपेट में है। कारोबार पूरी तरह से ठप है। ऐसे में श्रीकृष्ण भगवान जन्मोत्सव इससे कैसे अछूता रह सकता है। खासकर उस जगह जहां यह उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जी हां, यह इलाका है उत्तर प्रदेश का ब्रज मंडल। जन्माष्टमी के अवसर पर वैसे तो यहां के व्यापार में काफी तेजी देखने को मिलती है। आगरा, हाथरस, मथुरा, वृंदापवन और आसपास के जिलों में खूब व्यापार होता है। लेकिन इस बार तस्वीर काफी अलग है। इस दौरान 5000 करोड़ रुपर से ज्यादा का कारोबार करने वाले इस क्षेत्र में 90 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है।

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5000 करोड़ रुपए का होता था कारोबार
2016 की एसोचैम की रिपोर्ट की मानें तो ब्रज मंडल के जिलों में अर्थव्यवस्था जन्माष्टमी के त्योहार के दौरान बढ़ जाती है। यूपी के इस क्षेत्र में कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के दौरान वार्षिक व्यापार का लगभग 5,000 करोड़ रुपए कारोबार होता है। जिसमें मुख्य रूप से पर्यटन, कढ़ाई किए गए परिधानों, आभूषणों की बिक्री और देवताओं के लिए अन्य सामान शामिल हैं जो ज्यादातर निर्यात किए जाते हैं। विशेष मांग पर पूरे भारत के शहरों और यहां तक कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। लेकिन इस बार पूरा देश मंदी से घिरा हुआ है। डिमांड काफी कम है। जिसका असर ब्रज मंडल में भी देखने को मिल रहा है।

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करीब 2.5 लाख कारीगरों के परिवारों का भरता है पेट
जन्माष्टमी उत्सव के दौरान तैयार किए जाने वाले सामान को बनाने वाले उद्योग से करीब ढाई लाख कारीगर जुड़े हुए हैं। लगभग दो लाख से ज्यादा कारीगर ब्रज मंडल में काम कर रहे ळैं। वहीं उसके आसपास 20,000 से अधिक छोटे और मध्यम उद्यमों में काम कर रहे हैं और उनका कारोबार लगभग 25 फीसदी से ज्यादा की सालाना की दर से बढ़ रहा है। इसका विशेष कारण ये है कि देश ही नहीं विदेशी में भी इस उत्सव की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता।

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250 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए का है सामान
मथुरा और वृंदावन के बाजारों में रत्न और कीमती पत्थरों के साथ्र विभिन्न सजावटी वस्तुओं का उपयोग करके भगवान श्रीकृष्ण और अन्य देवीदेवताओं की पोषाक तैयार की जाती है। वहीं बाकी सामान भी तैयार करने में काफी रुपया और मेहनत होती है। जिनकी कीमत 250 रुपए से 10 लाख रुपए और उससे अधिक है।

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50 फीसदी से ज्यादा फुटफॉल
जन्माष्टमी से ब्रज मंडल में धार्मिक पर्यटन और तीर्थयात्रा में भी काफी तेजी आती है, जो वर्ष के इस समय के दौरान देश के अधिकांश उत्तरी भागों से फुटफॉल में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होती है। जानकारों की मानें तो यही फुटफॉल ब्रज मंडल की इकोनॉमी की जान है।

मंदी का दिख रहा है असर: संगठन
वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि के कोषाध्यक्ष नरेश कुच्छल का कहना है कि जन्माष्टमी के त्योहार इस बार मंदी की चपेट में आ गया है। सिर्फ ब्रज मंडल ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में इसका असर दिखाई दे रहा है। लिक्विडिटी की कमी की वजह से लोगों का व्यापार पूरी तरह से ठप है। सिर्फ भीड़ दिखाई दे रही है। खरीदारी बिल्कुल नहीं हो रही। कुच्छल ने आगे जोड़ते हुए कहा कि इस बार जन्माष्टी का त्योहार महीने के आखिरी सप्ताह में आया है। जिसकी वजह से लोगों का बजट भी गड़बड़ाया हुआ है।

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