3.5 किमी की निकाली गई शोभायात्रा
महाभिषेक के बाद निधिवन से ठाकुर बांकेबिहारी तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या भक्त शामिल हुए। करीब 3.5 किलोमीटर की यात्रा में श्रद्धालुओं ने बधाई गीत गाए और मंदिर तक पहुंचे। दोपहर 2 बजे बांके बिहारी मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। वहीं, शाम के समय में निधिवन और बांके बिहारी मंदिर में आतिशबाजी की जाएगी। क्यों मनाया जाता है प्राकट्य उत्सव?
481 साल पहले वृंदावन की पवित्र भूमि पर रसिक साधना के महान संत स्वामी हरिदास जी ने अपनी अद्भुत संगीत साधना के माध्यम से भगवान श्री बांके बिहारी जी को प्रकट किया। यह दिव्य घटना बिहार पंचमी के दिन हुई थी। तब से, हर वर्ष बिहार पंचमी पर बड़े धूमधाम से बांके बिहारी जी का उत्सव मनाया जाता है।