
CM Yogi
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
मथुरा. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार अयोध्या (Ayodhya) के बाद मथुरा (Mathura) को भी संवारने में जुट गई है। यूपी सरकार अयोध्या की तरह वृंदावन को भी बड़े तीर्थांटन स्थल के रूप में विकसित करने का खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए रविवार को मुख्यमंत्री ने मथुरा के विकास के लिए 411 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास/लोकार्पण किया। इससे पहले सीएम योगी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वृंदावन पहुंचे जहां उन्होंने ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन किए। इसके उपरांत वे विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ वृंदावन के टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर भी पहुँचे, जिसके बाद उन्होंने दूरदराज से आए संतों को अपने हाथों से भोजन कराया। सीएम ने यहां मंच से संतों को संबोधित करते हुए कहा कि योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए ब्रज क्षेत्र के विकास के लिए तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है। वृंदावन जिस सम्मान का हकदार है वह सम्मान उसे और इस पूरे तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो इसके लिए आपका सानिध्य ऐसे ही बना रहे। सीएम ने इस दौरान ध्वजारोहण वैष्णव बैठक मेले का ध्वजारोहण किया। वैष्णवी कुंभ/दिव्य कुंभ 16 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। यह कुंभ 25 मार्च तक चलेगा।
ब्रज का विकास देखते हुए मुझे खुशी हो रही हैः सीएम
उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। जिस भव्य आयोजन के लिए आपने संघर्ष किए थे, हमारी पीढ़ियाँ लगी थी, आज हम उस कार्य को भी अपनी आंखों से देख रहे हैं। अयोध्या विश्व के मानचित्र में सबसे अत्याधुनिक नगरी होती हुई दिखाई दे रही है। ब्रज का विकास जिस तरह से हो रहा है उसे देखते हुए मुझे खुशी हो रही है। वृंदावन जिस सम्मान का हकदार है। वृंदावन को विश्व पटल पर इसका सानिध्य निरंतर बना रहे इस विश्वास के साथ हम काम कर रहे हैं।
सरकारें आजादी के बाद से आती और जाती रही हैं: सीएम योगी
मंच से संतों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा कि सरकारें आजादी के बाद से आती और जाती रही हैं। विकास भी कम और ज्यादा होते रहे होंगे। संतों की भावनाओं के प्रति भारत का समग्र विकास होगा। योगी आदित्य नाथ ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सानिध्य में कितनी मजबूती के साथ विकास हो रहा है। हर व्यक्ति गौरव की अनुभूति कर सकता है। दिव्य और भव्य कुंभ कैसे हो सकता है, उसका उदाहरण प्रयागराज कुंभ था, जो सुरक्षा, सुव्यवस्था और स्वच्छता के मानकों पर खरा उतरा था।
रोचक रहा है मेले का इतिहास, कभी यहां आते थे हाथी-घोड़े, सांप-अजगर
वैष्णवी कुंभ/दिव्य कुंभ का रोचक इतिहास रहा है। इसकी छटा महाकुंभजैसी ही आकर्षण का केंद्र रही है। यहां कभी हाथियों के रेले निकला करते थे। साथ ही संतोंकी विशेष सवारियां भी होती थीं। वृंदावन के लिए यह हाथी साधु-संतों के बीच कौतूहल का विषय बनते थे, हालांकि अब यहां हाथी नहीं लाए जाते। दरअसल 1986 में आयोजित कुंभ में यहां आया एक हाथी आक्रोषित हो गया था, जिसे बड़ा हादसा हो गया था। पहले सांप-अजगर भी इस मेले का आकर्षण होते थे। संत समाज से जुड़े लोग भी बताते हैं कि यहां कुंभ की परंपरा काफी पुरानी है। हालांकि ऐतिहासिक तथ्य पर इसकी प्राचीनता की गणना स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह दावा किया जाता है है कि औरंगजेब के शासन काल में जब सनातन धर्म के लिए संकटपूर्ण समय था उस समय भी यहां लोगों का समागम यमुना किनारे होता था।
Updated on:
14 Feb 2021 05:02 pm
Published on:
14 Feb 2021 04:52 pm
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