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वो कोई चमत्कारी नहीं… मेरे एक संस्कृत श्लोक का अर्थ समझा दें, प्रेमानंद महाराज को यह क्या बोल गए संत रामभद्राचार्य

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक यूट्यूब चैनल से वार्तालाप के दौरान प्रेमानंद जी महाराज पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें कोई चमत्कारी नहीं मानता। आइए जानते हैं पूरा मामला...।

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वृंदावन : वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। राज कुंद्रा, विराट कोहली जैसी कई मशहूर हस्तियां उनके वृंदावन आश्रम आते हैं और साथ ही एकांतिक वार्तालाप करते हैं। हाल ही में राज कुंद्रा द्वारा प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने की पेशकश ने सुर्खियां बटोरीं। इस पर भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव ने इसे सस्ता पब्लिसिटी स्टंट करार दिया। इस विवाद के बीच एक यूट्यूब चैनल से वार्तालाप के बीच उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी।

'प्रेमानंद मेरे लिए बालक समान, चमत्कारी नहीं'

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'प्रेमानंद को मैं चमत्कारी नहीं मानता। वो मेरे सामने एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखा दें या मेरे संस्कृत श्लोक का अर्थ समझा दें। वो तो मेरे बालक के समान हैं। शास्त्र का ज्ञान जिसे हो, वही चमत्कार है।' उन्होंने किडनी दान के मुद्दे पर कहा, 'किडनी का डायलिसिस तो होता रहता है। जो वो करना चाहते हैं, उन्हें करने दें। सेलेब्रिटी अपनी इमेज चमकाने के लिए उनके पास जाते हैं। वृंदावन, अयोध्या सब तो हैं।'

रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि उनका प्रेमानंद से कोई द्वेष नहीं है, लेकिन वे उन्हें विद्वान या चमत्कारी नहीं मानते। उन्होंने कहा, 'चमत्कार उसे कहते हैं जो शास्त्रीय चर्चा कर सके। उनकी लोकप्रियता अच्छी है, लेकिन यह कुछ पलों की होती है। यह कहना कि वो चमत्कारी हैं, मुझे स्वीकार्य नहीं।'

गांधी जी के विचारों पर भी बोले रामभद्राचार्य

प्रेमानंद महाराज के गांधी जी के विचारों को उद्धृत करने पर, जिसमें उन्होंने सभी धर्मों और जातियों को समान बताया, रामभद्राचार्य ने असहमति जताई। उन्होंने कहा, 'बड़े लोग ऐसी गलतियां कर देते हैं। गांधी जी के कारण ही देश का विभाजन हुआ। वे जवाहरलाल नेहरू से बहुत प्यार करते थे और उनकी गलतियों को चुपचाप सह लेते थे। पहली बात तो यह कि कोई धर्म है ही नहीं।'


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