मनीष यादव की तरफ से कोर्ट में दिए गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि शाही ईदगाह में प्राचीन शिलालेख व पौराणिक साक्ष्य मौजूद हैं, जो ईदगाह में दबा दिए गए हैं। पौराणिक साक्ष्यों को अदृश्य कर दिया गया है। इस स्थिति को अदालत के समक्ष लाना आवश्यक है। किसी वरिष्ठ अधिवक्ता को कमिश्नर नियुक्त कर मौके की वीडियोग्राफी कराकर रिपोर्ट मंगाई जाए। प्रार्थना पत्र में मनीष यादव ने अंदेशा जताया है कि अगर कमीशन जारी नहीं किया जाता है तो प्रतिवादी गण हिन्दू निशानियों को मिटा सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि इसके साथ ही प्रतिवादी गण वाराणसी के ज्ञानवापी केस से प्रभावित होकर साक्ष्य मिटा सकते हैं।
ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय ने गुरुवार को ही चार माह में मामले की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि के मुख्य पक्षकार मनीष यादव ने मथुरा न्यायालय में शुक्रवार को प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। कोर्ट एक जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा।
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एशिया की सबसे अधिक सोना जड़ित जामा मस्जिद को लेकर आईटीआई में बड़ा खुलासा मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्ति मनीष यादव के प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके अलावा केशव देव जी विराजमान मामले में वाद संख्या 950 /2020 के पक्षकार महेंद्र प्रताप व हिंदू महासभा के दिनेश कौशिक ने भी प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह और दिनेश कौशिक के प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष के मामले पर आपत्ति जाहिर करने के लिए समय मांगने पर केस की सुनवाई की अगली तारीख दे दी है।