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Shree Krishna Janmashtami 2021: मथुरा की कंस कारागार में आज भी श्रीकृष्ण के पैदा होने के साक्ष्य मौजूद

Shree Krishna Janmashtami 2021: यहां के पुजारियों का दावा है कि ये वहीं प्राचीन हजारों वर्ष पुराना कारागार है, जहां कंस ने अपनी बहन देवकी और अपने जीजा वासुदेव को बंदी बनाकर रखा था।

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Shree Krishna Janmashtami 2021: मथुरा. राजा कंस (Raja Kans) के अत्याचारों से मथुरावासी (Mathura) हाहाकार करने लगे। कंस के अत्याचार देख लोगों की पुकार सुनकर भादों के महीने में आधी रात बारह बजे चक्रधारी विष्णु के अवतार में श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने कंस (Kans) की कारागार (Jail) में माता देवकी (Mata Devki) के गर्भ से जन्म लिया। रात के अंधेरे में कारागार (Jail) के सभी सुरक्षाकर्मी गहरी नींद में सो गए। जेल (Jail) के ताले अपने आप ही खुल गए और वासुदेव (Vashudev) की हाथों की हथकड़ी भी खुल गई। जिसके बाद श्रीकृष्ण (Shri Krishna) को लेकर वासुदेव (Vashudev) यमुना (Yamuna) के मार्ग से गोकुल पहुंचे।

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पुजारी का दावा, हजारों वर्ष पुराना है कारागार

आज हम आपको उसी कंस के कारागार के बारे में बताएंगे। यहां के पुजारियों का दावा है कि ये वहीं प्राचीन हजारों वर्ष पुराना कारागार है, जहां कंस ने अपनी बहन देवकी और अपने जीजा वासुदेव को बंदी बनाकर रखा था। जिसे कृष्ण का प्राचीन जन्मस्थान बताया जाता है।

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कारागार में श्रीकृष्ण ने लिया था जन्म

मथुरा नगरी के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और जीजा वासुदेव को कैद करके रखा था। जहां पर भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने राजा कंस के पापों से बृजवासियों को मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। आज भी मंदिर में माता देवकी वासुदेव जी के साथ श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है। हर तरफ श्री कृष्ण के जन्म स्थान होने के बारे में लिखा है। वहीं कुछ प्राचीन साक्ष्य भी यहां मौजूद है। जिसके बारे में पुजारी रामकृष्ण गोस्वामी द्वारा बताया गया कि ये ही प्राचीन कृष्ण जन्मस्थान है। जिसके बारे में कई पुराणों में भी लिखा है। मगर लोग जन्मभूमि को हाईलाइट होने के कारण ज्यादा जानते है।

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पुजारी ने बताया कंस कारागार का महत्व

कंस कारागार के पुजारी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म इसी कारागार में हुआ था और कृष्ण के कारागार में जन्म होने के बाद उनके विग्रह को ले जाकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया। वर्तमान में आज उसी को सब लोग कृष्ण की जन्मस्थली ही मानते हैं। जो कृष्ण जन्मभूमि नहीं है। हालांकि ये दोनों ही प्राचीन केशव देव के हैं। मगर यहां का महत्व अधिक है और इसी के पास वो पोतरा कुंड भी बना है, जहां श्रीकृष्ण के जन्म के बाद माता देवकी के गंदे वस्त्र यानी लोथरा-पोथरा धोए गए थे। इसी लिए उसे पोथरा कुंड कहते हैं। यहां ये मान्यता है कि उनके वसंजों के अलावा कोई और सेवा नहीं कर सकता है।

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